Last Updated:January 12, 2025, 16:53 IST
Mumbai news: एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने युवाओं को व्यसनमुक्त रहने का संदेश देने के लिए 4,000 किलोमीटर की साइकिल यात्रा की. इस यात्रा के दौरान उन्होंने युवाओं को स्वस्थ जीवन की प्रेरणा दी और व्यसन से दूर रहने का आह्वान किया.
छत्रपति संभाजीनगर: देश में युवाओं के बीच बढ़ते व्यसन की समस्या चिंता का कारण बन गई है. इसे लेकर एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने अनोखी पहल की है. छत्रपति संभाजीनगर से शुरू हुई यह साइकिल यात्रा 4,000 किलोमीटर की यात्रा पूरी करते हुए नर्मदा परिक्रमा तक पहुंची. इस यात्रा का उद्देश्य युवाओं को व्यसनमुक्त रहने का संदेश देना था. इस यात्रा के लिए सेवानिवृत्त अधिकारी दिनकर बिरारे की सराहना हो रही है.
कठिन हालात से संघर्ष करते हुए बनें क्षेत्रीय अधिकारी
दिनकर बिरारे छत्रपति संभाजीनगर जिले के फुलंबरी तालुका के गणपति बोरगांव के निवासी हैं. उनका बचपन बहुत ही संघर्षपूर्ण था. उनके माता-पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, जिसके कारण दिनकर को खेतों में काम करके अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ी. मामा के घर में रहते हुए उन्होंने 10वीं तक शिक्षा प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए छत्रपति संभाजीनगर के एक होटल में काम किया. कठिनाईयों को पार कर उन्होंने सरकारी नौकरी हासिल की और क्षेत्रीय अधिकारी के पद पर काम किया. 36 साल की सेवा के बाद वे सेवानिवृत्त हो गए. 69 साल की उम्र में भी उन्होंने कभी कोई व्यसन नहीं अपनाया, और यही कारण है कि आज भी वे स्वस्थ हैं और गर्व से कहते हैं कि उन्हें कभी कोई बीमारी नहीं हुई.
युवाओं को व्यसनमुक्त रहने का संदेश
भारत में युवाओं की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन इन्हीं युवाओं में व्यसन की समस्या तेजी से बढ़ रही है. यह समस्या देश के भविष्य के लिए खतरा बन सकती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए दिनकर बिरारे ने 4,000 किलोमीटर की साइकिल यात्रा की. यात्रा की शुरुआत छत्रपति संभाजीनगर से हुई और यह यात्रा ओंकारेश्वर, अमरकंटक होते हुए वापस छत्रपति संभाजीनगर लौट आई. इस यात्रा के दौरान दिनकर बिरारे ने रास्ते में मिलने वाले युवाओं को व्यसनमुक्त रहने का संदेश दिया और उन्हें एक स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा दी.
यात्रा से मिली सुकून और विश्वास
दिनकर बिरारे ने कहा, “देश के युवाओं के लिए मैंने संकल्प लिया था कि उन्हें व्यसन से बचने के लिए जागरूक करूंगा. आज 4,000 किलोमीटर की यात्रा पूरी करके घर लौटने पर मुझे खुशी हो रही है. मुझे इस यात्रा के दौरान कोई थकान महसूस नहीं हुई और भविष्य में भी मैं युवाओं को व्यसनमुक्त रहने के लिए प्रेरित करता रहूंगा.”
परिवार की चिंता और खुशी
दिनकर बिरारे की बेटी, कीर्ति बिरारे-जाधव ने कहा, “हमारे लिए यह यात्रा बहुत चिंताजनक थी. पिता की उम्र 69 साल है और हमें लगता था कि इस उम्र में उन्हें आराम करना चाहिए. जब उन्होंने नर्मदा परिक्रमा की यात्रा करने की इच्छा जताई, तो हम उन्हें मना करने की कोशिश की, लेकिन वे अपने फैसले पर अडिग थे. वे कभी भी हमसे दूर यात्रा पर नहीं गए थे, इसलिए हमें बहुत चिंता हो रही थी. अब वे सुरक्षित घर लौट आए हैं, तो हमारी खुशी का ठिकाना नहीं है.”