Last Updated:May 08, 2025, 14:16 IST
War vs Share Market : भारत और पाकिस्तान एक बार फिर युद्ध की कगार पर हैं और दोनों देशों का तनाव चरम पर पहुंच चुका है. ऐसे में निवेशकों को अपने पैसों की चिंता सताने लगी है. उनके मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या ब...और पढ़ें

ऑपरेशन सिंदूर के बाद शेयर बाजार पर क्या असर पड़ेगा.
हाइलाइट्स
भारत-पाक तनाव से निवेशकों में चिंताइतिहास: युद्ध के बाद बाजार ने अच्छा रिटर्न दियालंबी अवधि के निवेश पर ध्यान दें, घबराएं नहींनई दिल्ली. पाकिस्तान के आतंकी हमले के बाद भारत ने एक बार फिर सीमा पार जाकर मिसाइलें बरसाईं. इसके बाद से दोनों देशों में तनाव चरम पर पहुंच गया है. युद्ध जैसी स्थिति बन गई है और जगह-जगह मॉक ड्रिल के जरिये नागरिकों को बचाव के तरीके भी सिखाए जा रहे हैं. ऐसे में लाखों निवेशकों के मन में एक ही सवाल घूम रहा है कि क्या इसका असर शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड पर भी दिखेगा. युद्ध जैसे हालात और एयर स्ट्राइक के बाद आखिर उनकी रणनीति क्या होनी चाहिए.
निवेशकों के इन सवालों के जवाब इतिहास से जानने की कोशिश करते हैं. इससे पहले जब-जब भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव हुआ था तो शेयर बाजार ने किस तरह का रिएक्शन दिया. उरी, बालाकोट और कारगल युद्ध के बाद किस तरह से भारतीय बाजार ने प्रदर्शन किया था. इन आंकड़ों के आधार पर आगे के कयास लगाए जा सकते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर या फिर पाकिस्तान के टकराव की स्थिति में भारतीय निवेशकों पर क्या असर पड़ सकता है.
क्या कहता है इतिहास
कोटक रिसर्च के अनुसार, इससे पहले 2016, 2019 और 1999 में भारत-पाकिस्तान एक दूसरे से टकरा चुके हैं. 2016 के उरी हमले के बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी और उसके एक साल बाद निफ्टी का रिटर्न 11.3 फीसदी रहा था. इतना ही नहीं, पुलवामा हमले के बाद साल 2019 में भी भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी. इस हमले के एक साल के आंकड़े देखें तो निफ्टी ने 8.9 फीसदी का रिटर्न दिया है. इससे कहीं पहले साल 1999 में जब भारत-पाक कारगिल युद्ध में टकराए तो उसके एक साल बाद निफ्टी का रिटर्न 29.4 फीसदी रहा. इसका सीधा मतलब है कि जब भी युद्ध जैसी स्थिति आई तो बाजार शुरुआत में तो सहमकर पीछे हटा, लेकिन उतनी ही तेजी से वापसी भी की और जमकर रिटर्न दिया.
अर्थव्यवस्था ने क्या रंग दिखाया
इकनॉमी पर युद्ध के असर की बात करें तो भारतीय अर्थव्यवस्था ने ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया और लचीला रुख दिखाया. कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.18 फीसदी रही थी, जो एक साल बाद 8.85 फीसदी तक पहुंच गई. इस दौरान महंगाई दर जो पहले 5.33 फीसदी थी, वह सालभर में ही गिरकर 3.3 फीसदी पर आ गई. हालांकि, राजकोषीय घाटे पर जरूर असर दिखा, जो कुछ समय के लिए 9 फीसदी से भी ऊपर पहुंच गया. 1971 के युद्ध में विकास दर 3.3 फीसदी से गिरकर 1.9 फीसदी पर आ गई थी और महंगाई दर 5.5 फीसदइी के आसपास रही. राजकोषीय घाटा 2.3 फीसदी से बढ़कर 6.8 फीसदी पहुंच गया था. लेकिन, यह असर सिर्फ कुछ समय तक ही दिखे और बाद फिर अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आई.
बाजार पर क्या होगा असर
एक्सपर्ट का मानना है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच एक सीमित संघर्ष होता है तो इसका इकनॉमी पर न्यूनतम असर पड़ेगा और निवेशकों को जरा भी चिंता करने की जरूरत नहीं है. शेयर बाजार भी इस दौरान स्थिर रह सकता है. हालांकि, अगर नौबत लंबे संघर्ष की आती है तो इकनॉमी पर असर दिखेगा. महंगाई और राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है, जबकि शेयर बाजार भी कुछ समय तक गिरावट दिख सकती है.
ऐसे में क्या करें निवेशक
पाकिस्तान से टकराव की स्थिति में भी निवेशकों को घबराना नहीं चाहिए और न ही पैनिक होकर एकसाथ सबकुछ बेचकर निकलना चाहिए. हां, इतना जरूरी है कि ऐसे स्थिति में अपने निवेश को सीमित कर लेना चाहिए. कोशिश करें कि लंबी अवधि का लक्ष्य बनाकर पैसे लगाएं और म्यूचुअल फंड में एसआईपी करने वालों को इसे बंद नहीं करना चाहिए. इतिहास गवाह रहा है कि टकराव के बाद भी शेयर बाजार ने निराश नहीं किया है. निवेशकों को गिरावट के समय खरीदारी करनी चाहिए, क्योंकि तक शेयरों की कीमत कम रहेगी.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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