कलमा क्यूं पढे? मर जाते... हमले में कलमा पढ़ने वाले हिंदू प्रोफेसर निशाने पर

4 hours ago

Last Updated:April 24, 2025, 12:31 IST

Pahalgam Attack Hindu Professor: पहलगाम में आतंकी हमले ने पूरे हिंदुस्तान को रुला गया. पाकिस्तान का दाना पानी बंद करने की तैयारी है. इस हमले की कई कहानियां रुलानी वाली हैं, मगर एक अन्य कहानी की भी जोरों से चर्च...और पढ़ें

कलमा क्यूं पढे? मर जाते... हमले में कलमा पढ़ने वाले हिंदू प्रोफेसर निशाने पर

सोशल मीडिया में क्यों ट्रोल हो रहे आतंकी हमले के सर्वाइवर प्रोफेसर?

हाइलाइट्स

पहलगाम हमले में बचने वाले प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य ट्रोल हो रहे हैं.प्रोफेसर ने कलमा पढ़कर आतंकवादियों से जान बचाई.लोगों ने कहा कि इससे अच्छा मारे गए होते...

Pahalgam Attack Hindu Professor: पहलगाम के बाइसारन में टूरिस्टों पर हमले ने देश को हिला कर रख दिया. पाकिस्तान के इस कायराना हमले की हर जगह थू-थू हो रही है. पूरा देश गुस्से से भरा हुआ है. इस हमले में 27 लोगों की जान चली गई. मगर, कई लोगों ने जैसे-तैसे कर के अपनी जान बचाई वरना दृश्य कुछ और ही रहता. इस हमले में असम के एक यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य ने भी अपनी और अपने परिवार की जान बचाई. उनकी कहानी मीडिया में आते ही लोगों ने तरह-तरह से रिएक्ट करना शुरू कर दिया. कुछ लोगों ने कहा कि ‘कलमा’ पढ़कर जान बचाने से अच्छा था कि मर ही जाते, बिना स्वाभिमान जीने का क्या फायदा? चलिए शुरू से जानते हैं.

पहलगाम का प्रसिद्ध बाइसारन में सुबह-सुबह सैलानियों से भरा हुआ था. लोगों घाटी की सुंदरता का आनंद ले रहे थे. तभी दोपहर के दो बजे के बाद तकरीबन 2:30 बजे गोलियों की तड़तड़ाहट से घाटी गूंज गई. किसी को कुछ पता नहीं चल रहा था. मगर, देखते ही देखते सबकुछ बदल गया. आतंकियों ने पुरुषों को महिला और लड़कियों से अलग किया और धर्म देख कर कलमा पढ़ने को कहा, जो नहीं पढ़ पाया उसे गोली मार दी गई.

घाटी में गूंजा चीख-पुकार
देखते ही देखते सैलानियों की चीख-पुकार से घाटी गूंज उठा. लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे. जो जहां था वह अपने लिए सुरक्षित स्थान खोज रहा था. इसी दौरान पेड़ के नीचे आराम कर रहे एसोसिएट प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य के पास आतंकी पहुंचे. पास में सो रहे शख्स को बिना कुछ पूछे ही गोली मार दी. मगर, इससे पहले से ही प्रोफेसर चौकन्ने थे. उनको पता चल गया था कि आतंकी घाटी में पहुंच चुके हैं. लोगों को मार रहे हैं.

article_image_1पढ़ने लगे कलमा
जैसे ही नकली वर्दी में आतंकी पहुंचे. देबाशीष भट्टाचार्य आतंकियों के आने से पहले ही कलमा पढ़ने लगे थे. जैसे ही आतंकी ने उनकी ओर मुड़ कर पूछा तुम कौन हो और क्या कर रहे हो. उसके बोलते ही वह और भी जोर-जोर से कलमा पढ़ने लगे थे. आतंकी उनके ओर कुछ देर तक घूरते रहा. इससे पहले कुछ निर्णय लेता मगर दूसरी ओर से उसे आवाज आई वह वह प्रोफेसर के पास से चला गया. मौका देख कर वह वहां से भाग निकले और उनकी जान बच पाई. मगर उनकी कहानी वायरल होते ही लोगों ने उनको ट्रोल करने लगे. लोगों ने कहा कि कलमा पढ़ने से पहले मर ही गए होते. कुछ ने कहा कि ‘तुम तो मर चुके हो….’

सोशल मीडिया पर ट्रोल
सोशल मीडिया रिएक्शन पर नजर डालते हैं. फेसबुक पर नीरज श्रीवास्तव कहते हैं- ‘ऐसे ही लोग इस्लामी आक्रांताओं के डर से धर्म बदले हैं और आज भी बडे़ शान बताते हैं..’ प्रदीप मिश्रा कहते हैं- ‘तू तो वैसे ही मर गया…’ फेसबुक पर ही कमल किशोर शर्मा रांकावत कहते हैं- ‘सनातन को खत्म करने का, सदियों से यही तरीका व परम्परा रही हैं. जो निडर था मर गया, जो डर गया वो जी गया.’ अविनाश कनोडिया कहते हैं, ‘इसमें कोई खुदा नहीं था क्यों की जहां-जहां खुदा है वही भगवान मिले है.’

Location :

Pahalgam,Anantnag,Jammu and Kashmir

First Published :

April 24, 2025, 12:02 IST

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