Last Updated:January 17, 2025, 19:58 IST
ईडी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. प्लाट आवंटन घोटाले में 300 करोड़ की संपत्ति अटैच की गई है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया. (File Photo)
समोसा कांड की वजह से हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार घेरे में थी ही, अब एक और मुख्यमंत्री पर आफत आन पड़ी है. प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनसे जुड़े कई लोगों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने करप्शन के आरोप में इन लोगों की 142 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है. इन संपत्तियों की कुल कीमत 300 करोड़ रुपये बताई जा रही है.
दरअसल, मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) में हुए प्लाट आवंटन घोटाले को लेकर लोकायुक्त पुलिस ने करप्शन के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी. उसी के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में ये कार्रवाई की है. MUDA सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को 14 जगहों पर प्लॉटों का आवंटन किया था. अथॉरिटीने कथित तौर पर उनकी 3.16 एकड़ जमीन पर अवैध तौर पर कब्जा कर लिया था. यह जमीन उनके भाई बीएम मल्लिकार्जुनस्वामी ने 20 साल पहले तोहफे में दी थी.
क्या है आरोप
इस मामले में घोटाले का आरोप लगा तो कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने एफआईआर दर्ज करने की मंजूरी दे दी थी. इसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य पर गंभीर आरोप लगाए गए थे. उसके बाद ईडी ने इस मामले की जांच अब शुरू की है. जो संपत्तियां अटैच की गई हैं, यह उन व्यक्तियों के नाम पर पंजीकृत हैं जो रियल एस्टेट व्यवसायी और एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं. जमीन तो MUDA ने सिर्फ ₹3,24,700 में अधिग्रहित की, लेकिन पॉश साइटों का मूल्य लगभग ₹56 करोड़ है. इस प्रक्रिया में पूर्व MUDA आयुक्त डीबी नटेश की भूमिका को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
छापेमारी में बड़े खुलासे
जांच के दौरान ED ने पाया कि MUDA की ओर से केवल सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को ही नहीं, बल्कि कई अन्य रियल एस्टेट व्यवसायियों को भी अवैध तरीके से मुआवजे के रूप में साइटें आवंटित की गईं. इन साइटों को बेचकर बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी जमा की गई. इस धन को वैध दिखाने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का सहारा लिया गया. बेनामी व्यक्तियों के नाम पर साइटों का आवंटन हुआ.
अवैध संपत्ति और घूसखोरी
जांच में यह भी सामने आया कि तत्कालीन MUDA अध्यक्ष और आयुक्त को रिश्वत के रूप में नकद, अचल संपत्ति और अन्य लाभ दिए गए. इस पैसे को वैध दिखाने के लिए इसे कोऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से लग्जरी गाड़ियां, संपत्तियां, आदि खरीदने में उपयोग किया गया. ED ने बताया कि इस मामले में कड़ी जांच जारी है. पूर्व MUDA आयुक्त जीटी दिनेश कुमार और अन्य पर भी गहन पड़ताल की जा रही है.
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First Published :
January 17, 2025, 19:58 IST