Last Updated:November 03, 2025, 15:21 IST
What is Hire Act : अमेरिकी सीनेट ने हाल में ही हायर एक्ट जारी किया है, जो कंपनियों के लिए आउटसोर्सिंग को और मुश्किल कर देगा. इसका असर भारत, चीन जैसे देशों पर सबसे ज्यादा पड़ेगा, जहां से हर साल हजारों लोग अमेरिका जाने का सपना देखते हैं.
अमेरिका में 31 दिसंबर से हायर एक्ट लागू होने जा रहा है. नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो जैसे दुनिया को परेशान करने की ही ठान ली है. पहले तो उन्होंने H-1B वीजा के नियमों को सख्त बनाया और भारत सहित तमाम देशों के लोगों के लिए अमेरिका में नौकरी करना मुश्किल कर दिया. इससे भी उनका दिल नहीं भरा तो नया हायर एक्ट (HIRE Act) लागू कर दिया. इस एक्ट को रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने नए वीजा नियमों से भी बड़ा खतरा बताया है और कहा है कि यह भारत सहित तमाम देशों के लोगों के अमेरिका जाकर काम करने के सपने को चकनाचूर कर सकता है.
अमेरिकी सीनेट में पिछले दिनों HIRE एक्ट (Halting Relocation of Employment Act) पेश किया गया. इस एक्ट को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली पार्टी रिपब्लिकन के सीनेटर बर्नी मोरेनो ने पेश किया है. इस एक्ट का मकसद अमेरिकी कंपनियों को दूसरे देशों से काम करने वाले कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग को रोकना है. इस कदम से रोजगार को अमेरिकी लोगों को ही दिया जा सकेगा और भारत सहित अन्य देशों के नागरिकों की भर्तियां अमेरिकी कंपनियां नहीं कर सकेंगी. एक तरह से यह एक डोमिसाइल कानून है, जो स्थानीय लोगों को रोजगार में तरजीह दिलाता है.
आउटसोर्सिंग में कैसे बाधा बनेगा कानून
अमेरिका का नया हायर एक्ट कंपनियों के आउटसोर्सिंग को महंगा बना देगा और अमेरिकी कंपनियां विदेशी नागरिकों के बजाय सिर्फ स्थानीय लोगों को नौकरी देने के लिए मजबूर हो जाएंगी. अगर कंपनियों ने विदेशी नागरिकों को हायर करने की कोशिश की तो कानून के तहत उन्हें मोटी फीस चुकानी पड़ेगी और इन पैसों का उपयोग स्थानीय यानी अमेरिकी लोगों को प्रशिक्षित करने में किया जाएगा. इस तरह, कंपनियों से पैसे लेकर अमेरिकी लोगों की स्किल को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा और बाद में उन्हें ही रोजगार देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
कितना देना पड़ेगा शुल्क
हायर एक्ट के तहत अगर अमेरिकी कंपनियां किसी विदेशी संस्था या व्यक्ति को हाउटसोर्सिंग के लिए भुगतान करती हैं तो इस भुगतान पर उन्हें 25 फीसदी का एक्साइज टैक्स देना पड़ेगा. इसका मतलब है कि अगर अमेरिकी कंपनी ने आउटसोर्सिंग के लिए 1 करोड़ रुपये का भुगतान किया है तो उन्हें 25 लाख रुपये एक्साइज टैक्स के रूप में भी चुकाने पड़ेंगे. यह शुल्क ऐसी सेवाओं के लिए देना होगा, जो सीधे तौर पर अमेरिकी लोगों को प्रभावित करती हैं. जैसे आईटी सपोर्ट, कस्टमर सर्विस और आरएंडडी जैसे सेक्टर पर इसका ज्यादा असर होगा.
कंपनियों के लिए क्यों है बड़ा खतरा
अमेरिका का नया हायर एक्ट कंपनियों के लिए किसी श्राप से कम नहीं है. यह नियम पार्टनर कंपनियों पर भी लागू होगा. साथ ही इसकी जानकारी हर तिमाही एक्साइज टैक्स रिटर्न यानी आईआरएस फॉर्म 720 में भी देनी होगी. अगर कोई कंपनी टैक्स का भुगतान नहीं करती है तो उस पर हर महीने 50 फीसदी का जुर्माना लगाया जाएगा और इसकी कोई अपर लिमिट नहीं होगी. इसके अलावा कंपनियों को इस टैक्स पर किसी तरह का डिडक्शन भी नहीं दिया जाएगा.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 03, 2025, 15:21 IST

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