जम्मू-कश्मीर पुलिस के 3 जवानों के शव बरामद, DGP ने जैश आतंकियों को चेताया

2 days ago

जम्मू. पाकिस्तान में स्थित प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में शहीद हुए जम्मू-कश्मीर के चार पुलिसकर्मियों में से तीन के शव शुक्रवार को बरामद कर लिए गए, जबकि जम्मू के कठुआ के सुदूर वन क्षेत्र में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच भीषण गोलीबारी दूसरे दिन भी जारी है. अधिकारियों ने यहां यह जानकारी दी.

जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नलिन प्रभात ने पुष्टि की कि यह आतंकवादियों का वही समूह था, जिसे 23 मार्च को हीरानगर सेक्टर के सानियाल गांव में रोका गया था, लेकिन समूह के सदस्य भागने में सफल रहे. उन्होंने संकल्प लिया कि जब तक सभी आतंकवादी समूहों से उचित तरीके से निपटा नहीं जाता, तब तक उनका बल न तो सोएगा और न ही आराम करेगा.

राजबाग के घाटी जूथाना क्षेत्र में जखोले गांव के निकट केन्द्रित यह अभियान हीरानगर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार से हाल ही में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के खिलाफ पुलिस अभियान के बाद बृहस्पतिवार सुबह शुरू हुआ. मुठभेड़ में चार पुलिसकर्मी शहीद हो गये जबकि जैश के तीन आतंकवादी ढेर हो गए. मुठभेड़ में एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) समेत सात अन्य सुरक्षाकर्मी घायल हो गए.

अधिकारियों ने बताया कि आज सुबह ड्रोन की मदद से खोजी दलों को चौथे पुलिस कर्मी के शव का पता चला, लेकिन अभी तक उसे बरामद करने में सफलता नहीं मिली है, क्योंकि दो आतंकवादी अब भी ऊंचाई वाले इलाके में छिपे हुए हैं और खोजी दलों पर गोलीबारी कर रहे हैं. भारी गोलीबारी और विस्फोटों की आवाजें दूसरे दिन भी जारी रहीं. सेना और सीआरपीएफ के सहयोग से पुलिस एक रात रुकने के बाद दुर्गम पहाड़ी इलाके से आगे बढ़ रही है.

एक दिन की तलाशी के बाद पुलिसकर्मियों- बलविंदर सिंह चिब, जसवंत सिंह और तारिक अहमद के शव बरामद किए गए. हालांकि, शहीद हुए कर्मियों के सर्विस हथियार आस-पास नहीं मिले. अधिकारियों ने कहा कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि हथियार आतंकवादियों ने छीन लिए हैं. अधिकारियों ने बताया कि पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात ने मेडिकल कॉलेज में शव प्राप्त किए, जहां शवों को पोस्टमार्टम किया गया और उसके बाद कठुआ स्थित जिला पुलिस लाइन में पुष्पांजलि अर्पित की गई.

वे उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) के निजी सुरक्षा अधिकारी थे, जो तलाशी दल का नेतृत्व कर रहे थे और जब मुठभेड़ शुरू हुई तो आतंकवादियों की भारी गोलीबारी की चपेट में आ गए. इसके बाद वे मुठभेड़ स्थल के पास फंस गए, जो घने पेड़ों से घिरे एक छोटे नाले के पास था.

हालांकि, डीएसपी रैंक के अधिकारी एसडीपीओ को बृहस्पतिवार देर शाम घायल अवस्था में घटनास्थल से बाहर निकाल लिया गया. एसडीपीओ के अलावा तीन और पुलिसकर्मियों को कठुआ अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी हालत स्थिर बताई गई है. अभियान में सेना के दो जवान भी घायल हुए हैं.

इससे पहले, रविवार शाम को हीरानगर सेक्टर में पाकिस्तान से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास सान्याल गांव में एक नर्सरी में बने बाड़े ‘ढोक’ में आतंकवादियों के एक समूह को रोका गया था. इसके बाद पुलिस, सेना, एनएसजी, बीएसएफ और सीआरपीएफ ने एक तलाशी अभियान चलाया, जिसमें आतंकवादियों को पकड़ने और उन्हें खत्म करने के लिए उन्नत तकनीकी व निगरानी उपकरणों का इस्तेमाल किया गया.

तलाशी दलों को सोमवार को हीरानगर मुठभेड़ स्थल के पास एम4 कार्बाइन की चार भरी हुई मैगजीन, दो ग्रेनेड, एक बुलेटप्रूफ जैकेट, स्लीपिंग बैग, ट्रैकसूट, खाने के पैकेट और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) बनाने की सामग्री समेत कई साक्ष्य मिले.

आतंकवादी जंगल के रास्ते बिलावर की ओर बढ़ रहे थे, तभी एसडीपीओ के नेतृत्व में पुलिस दल विशेष सूचना मिलने पर वहां पहुंचा, लेकिन भारी गोलीबारी की चपेट में आ गया, जिसके परिणामस्वरूप दिन भर मुठभेड़ चली. पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के जवानों को तुरंत इलाके में तैनात किया गया, जबकि आतंकवादियों को खत्म करने के लिए सेना के विशेष बलों को भी हवाई मार्ग से उतारा गया.

पुलिस का मानना ​​है कि आतंकवादियों ने संभवतः सीमा पार से किसी खड्ड के रास्ते या किसी नवनिर्मित सुरंग के जरिए शनिवार को घुसपैठ की. अधिकारियों ने बताया कि पुलिस प्रमुख और पुलिस महानिरीक्षक (जम्मू क्षेत्र) भीम सेन टूटी पिछले चार दिन से कठुआ से आतंकवाद विरोधी अभियान की निगरानी कर रहे हैं.

पुष्पांजलि समारोह का नेतृत्व करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए डीजीपी ने कहा कि शहीद जवानों की क्षति की भरपाई शब्दों से नहीं बल्कि कर्तव्यों से की जाएगी. उन्होंने कहा कि यह वही आतंकियों का समूह था जिसे 23 मार्च की शाम को सानियाल गांव में पुलिस ने पकड़ा था.

उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर पुलिस की न तो नीयत कमजोर हुई है और न ही हमारा लक्ष्य दूर है. हमारा लक्ष्य स्पष्ट है और नीयत भी. जज्बे की कोई कमी नहीं है क्योंकि जम्मू-कश्मीर पुलिस देश की एकमात्र पुलिस है जो अपनी बहादुरी और बलिदान से अपना इतिहास स्वर्णिम अक्षरों में लिख रही है.” उन्होंने कहा, “जब तक हमारे नापाक पड़ोसी (पाकिस्तान) और उसके (आतंकी) संगठनों से उचित तरीके से निपटा नहीं जाता, तब तक हम न सोएंगे और न ही आराम करेंगे. यह युद्ध जारी है और जारी रहेगा.”

पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के छद्म संगठन ‘पीपुल्स एंटी-फासीस्ट फ्रंट’ ने मुठभेड़ में शामिल होने का दावा किया है. सेना ने ऑपरेशन में शामिल पुलिसकर्मियों की सराहना की. सेना ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “राइजिंग स्टार कोर उन बहादुर (जम्मू-कश्मीर) पुलिस कर्मियों की वीरता और अदम्य साहस को सलाम करती है, जिन्होंने कठुआ में जारी ऑपरेशन सफियान के दौरान बहादुरी से लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया. उनके साहस और समर्पण को हमेशा याद रखा जाएगा.”

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