Last Updated:March 29, 2025, 09:15 IST
Gopalganj News: गोपालगंज कोर्ट ने नए बीएनएस कानून के तहत 9 दिनों में स्पीडी ट्रायल कर महिला को मासूम बच्चे की हत्या के मामले में उम्रकैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. यह बिहार में इस कानून के तहत पहला ...और पढ़ें

सजा सुनाये जाने के बाद रोते हुए कोर्ट से निकलती उर्मिला देवी
हाइलाइट्स
गोपालगंज कोर्ट ने 9 दिनों में हत्या के केस में फैसला सुनाया.उर्मिला देवी को मासूम की हत्या पर उम्रकैद, जुर्माना भी लगा.बीएनएस के तहत बिहार में स्पीडी ट्रायल तहत सजा का मामला..गोपालगंज. नए अपराधिक कानून बीएनएस (BNS) यानी भारतीय न्याय संहिता के तहत गोपालगंज की कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है.मासूम बच्चे की हत्या के मामले में महज 9 दिनों में स्पीडी ट्रायल चलाकर दोषी महिला को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और साथ ही दोषी पर एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है. बता दें कि ये बिहार में नए अपराधिक कानून के तहत पहला मामला है, जहां कोर्ट ने 9 दिनों में स्पीड ट्रायल के तहत सजा सुनाई. कोर्ट का फैसला आते ही सजा पाने वाली महिला उर्मिला देवी फफक कर रो पड़ी.कोर्ट में लोग हर ओर कहते मिले-जैसी करनी वैसी भरनी. जबकि, पीड़ित परिजनों ने कहा कि इंसाफ मिला. आइये जानते हैं कि यह पूरा मामला क्या है.
दरअसल, मां-बेटे के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर छह वर्षीय बेटे की हत्या करने वाली बड़ी मां को दोषी पाते हुए शुक्रवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट ने उर्मिला देवी को बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 103/3 (5) के तहत उम्रकैद एवं एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा दी. अर्थदंड की राशि का भुगतान नहीं किए जाने पर उसे छह माह की कठोर कारावास की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. कोर्ट में मौजूद अजय की मां सुमित्रा देवी, बहन पूनम व बीना के चेहरे पर सुकून था समयबद्ध तरीके से न्याय मिला.
महिला ने रिश्ते को किया कलंकित
अपर लोक अभियोजक जयमराम साह ने कोर्ट में साक्ष्य के साथ कहा कि मासूम बच्चा अजय अभियुक्त को बड़ी मां कहकर बुलाता था. संपत्ति के लालच में उर्मिला देवी ने अपने सगे देवर के इकलौते पुत्र की अपने हाथों से गला घोंटकर हत्या कर दी. भारतीय सनातन परंपरा में यह कहावत है कि – कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति अर्थात् पुत्र कुपुत्र हो सकता है, लेकिन किसी भी परिस्थिति में माता कुमाता नहीं हो सकती. अधिकांश परिवार में बच्चे अपनी बड़ी मां के ज्यादा करीब होते हैं. इस अभियुक्त ने इस रिश्ते की मर्यादा को कलंकित किया है. ऐसा व्यक्ति समाज के लिए खतरा है. इसे कठोर से कठोर सजा देने की अपील की गई थी.
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट के फैसले के बाद कोर्ट से निकलते एपीपी और पीड़ित का परिजन. इनसेट में मृतक छह साल का मासूम अजय कुमार.
बचाव पक्ष ने कहा कोई चश्मदीद गवाह नहीं था?
बचाव पक्ष के अधिवक्ता रमेश चौरसिया और उदय श्रीवास्तव की दलीलों और साक्ष्यों को देखते हुए कोर्ट ने ट्रायल को पूरा किया. एपीपी ने कोर्ट में सात वर्ष की बच्ची बीना कुमारी, जो कांड की चश्मदीद थी, उसके बयान को कोर्ट ने महत्वपूर्ण माना है. बचाव पक्ष ने कहा हत्या करते किसी ने नहीं देखा और केवल शक के आधार पर अभियोजन ने उर्मिला देवी को फंसा दी गई. घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी साक्षी नहीं है. घटना के समय उर्मिला देवी खेत में कार्य कर रही थी. कुत्ते द्वारा दुपट्टा सूंघकर घर तक पहुंच जाना साक्ष्य की श्रेणी में नहीं आता. कोर्ट में इनकी गवाही ने दिलाई सजा बच्चे की हत्या के मामले में प्रत्यक्षदर्शी मृतक की बहन बीना कुमारी, उसकी बड़ी बहन पूनम कुमारी, मां सुमित्रा देवी, पोस्टमार्टम करने वाले डॉ रमाकांत सिंह, कांड के आइओ राजा राम की गवाही को कोर्ट ने महत्वपूर्ण साक्ष्य मानते हुए सजा सुनाई.
कुरकुरे लाने के बहाने घर से भेज कर की हत्या
सिधवलिया थाना के पंडितपुर गांव में 13 अगस्त 2024 को अशोक चौरसिया की पत्नी सुमित्रा देवी दिन में स्कूल में काम करने चली गई. घर पर इकलौता बेटा छह वर्षीय अजय कुमार, बेटी पूनम कुमारी उम्र करीब 15 वर्ष व अन्य बेटियां थीं. 2:20 बजे लौटी तो मेरा बेटा कहीं पर दिखाई नहीं दिया. तब लड़की से बेटे के बारे में पूछी तो बताया कि बड़ी मम्मी ने 10 रुपये बाबू के लिए कुरकुरे लाने को दिए एवं बताई कि सब बाबू को मोबाइल दिखा रहे हैं. जब मैं कुरकुरे लेकर आई तो बाबू नहीं था.
Location :
Gopalganj,Bihar
First Published :
March 29, 2025, 09:15 IST