जो नीतीश ने 2016 में किया, उसे 87 साल पहले कर चुके थे जगलाल चौधरी, कौन हैं?

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Agency:News18 Bihar

Last Updated:February 05, 2025, 12:48 IST

Who was Jaglal Chaudhary: बिहार में अर्से बाद एक क्रांतिकारी महापुरुष की चर्चा फिर हो रही है जिनके बारे में आम लोग कम ही जानते हैं. उन्होंने बिहार में सबसे पहले शराबबंदी की थी और यह क्रांतिकारी फैसला अंग्रेजों ...और पढ़ें

जो नीतीश ने 2016 में किया, उसे 87 साल पहले कर चुके थे जगलाल चौधरी, कौन हैं?

तत्कालीन मंत्री जगलाल चौधरी ने वर्ष 197 में बिहार में शराबबंदी लागू की थी. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

स्व. जगलाल चौधरी की जयंती मनाने बिहार पहुंच रहे राहुल गांधी. बिहार में पहले शराबबंदी लागू करने वाले जगलाल चौधरी कौन थे? वर्ष 1937 में बिहार के 5 जिलों में पहली बार लागू की थी शराबबंदी.

पटना. अप्रैल 2016 में बिहार में जब शराबबंदी लागू हुई तो इसे प्रदेश के लिए एक ‘खामोश क्रांति’ के तौर पर समझ गया. ‘खामोश क्रांति’ इसलिए कि कानून तो डंके की चोट पर लागू किया गया, लेकिन इसका समाज पर प्रभाव धीरे-धीरे और गहराई तक पड़ना था. इस बड़े निर्णय से बिहार की महिलाओं के हालात में परिवर्तन आने वाले थे और बच्चों का भविष्य संवारने वाला था. जाहिर तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब यह फैसला किया तब से ऐतिहासिक शख्सियत के तौर पर देखे जाने लगे. लेकिन, क्या आपको पता है कि जो काम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2016 में किया, यह काम बिहार में करीब आठ दशक पहले एक महापुरुष ने धरातल पर लागू करके दिखा दिया था. एक बार फिर वह महापुरुष चर्चा में हैं जिनका नाम जगलाल चौधरी था.

दरअसल, वर्ष 1937 में श्री कृष्णा सिंह बिहार के मुख्यमंत्री बने थे उनके नेतृत्व में अनुग्रह नारायण सिंह, सैयद महमूद और जगलाल चौधरी मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे. जगलाल चौधरी पहले दलित थे जिनको कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. वह 20 जुलाई 1937 को आबकारी और लोक स्वास्थ्य विभाग के मंत्री बने थे. उनको अवसर मिला और उन्होंने अपनी दृढ़ता दिखाई और वर्ष 1938 में बिहार के 5 जिलों में शराब बंदी लागू करने का निर्णय ले लिया. सारण, मुजफ्फरपुर, हजारीबाग, धनबाद और रांची में शराबबंदी लागू करने की घोषणा करना अपने आप में एक बड़ा कदम था. उनके इस कदम को आज भी लोग याद करते हैं. उनका यह कदम क्रांतिकारी था क्योंकि वह खुद उस पासी समाज से आते थे जिनका मुख्य पेशा ताड़ी बेचकर अपनी आजीविका चलाना था. इसी जाति से आने के बाद भी उन्होंने इतना बड़ा क्रांतिकारी निर्णय लेने में किसी भी तरह की हिचक नहीं दिखाई और इस फैसले के साथ पूरी दृढ़ता औत्मविश्वास के साथ डटे रहे.

कौन थे जगलाल चौधरी?
जगलाल चौधरी का जन्म सारण जिले के गड़खा प्रखंड में 5 फरवरी, 1895 को हुआ था. हालांकि कुछ जगहों के आलेख में उनके जन्म वर्ष को लेकर कुछ अंतर है क्योंकि कई जगह तारीख तो 5 फरवरी बताई गई है, लेकिन साल 1894 बताया गया है. बता दें कि बेहद गरीब दलित परिवार से आने वाले जगलाल चौधकी के पिता मुसन चौधरी और माता तेतरी देवी थीं. गरीबी में ताड़ी बेचकर उनके पिता ने उन्हें पढ़ाया. बचपन से प्रतिभाशाली जगलाल चौधरी ने 1912 में छपरा जिला स्कूल से उन्होंने मैट्रीकुलेशन की परीक्षा पास की थी. खास बात यह कि वह अपने जिले के टॉपर बने थे. उन्हें सिल्वर मेडल मिला था और उन्हें स्कॉलरशिप मिली और पटना कॉलेज से 1914 में उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की. इसके बाद कलकत्ता के कैंपबेल मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए एडमिशन मिल गया.

छुआछूत के खिलाफ लड़ी लड़ाई
सेना में नौकरी करने वाले बड़े भाई मीसम चौधरी आर्थिक सहयोग किया. उस दौर में कठिनाई केवल आर्थिक नहीं, बल्कि छुआछूत का भी सामना करना पड़ा. उन्हें कॉलेज के बाकी स्टूडेंट के साथ खाना खाने से रोका जाता था. मगर वहां उन्होंने इसके विरुद्ध संघर्ष किया. जगलाल चौधरी ने स्वयं को हॉस्टल के कमरे में बंद कर भूख हड़ताल की तो छात्र उन्हें अपने साथ मेस में खाने देने के लिए राजी हो गए. छुआछूत के खिलाफ लड़ाई में पहली जीत मिली थी. जगलाल चौधरी महात्मा गांधी से परिचित नहीं थे, लेकिन मन में गांधीवादी सत्याग्रह की ओर था.

महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित
महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के आह्वान पर पढ़ाई छोड़ इस आंदोलन में शामिल हो गए. वे बिहार राज्य कांग्रेस समिति के सदस्य बन गये. उन्होंने नमक सत्याग्रह और गांधी के अस्पृश्यता विरोधी आंदोलनों में भागीदारी की और जेल भी गए. वर्ष 1937 में बिहार में पहली बार कांग्रेस की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री (तब प्रधानमंत्री) श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व में अनुग्रह नारायण सिंह और सैयद महमूद के साथ जगलाल चौधरी भी मंत्री बने और उन्हें आबकारी मंत्रालय मिला था. यहां भी उन्होंने शराबबंदी लागू कर एक इतिहास पुरुष बन गए.

डॉ अंबेडकर के विचारों को आगे बढ़ाया
जगलाल चौधरी 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सारण में काफी सक्रिय रहे. इस दौरान वह जेल भी गए. वर्ष 1946 में फिर जब बिहार में श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी तो उन्हें मंत्री बनाकर स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय सौंपा गया. आजादी के बाद भी वे गरखा सुरक्षित सीट से चुनाव जीतते रहे. 9 मई, 1975 को उनका निधन हो गया. जगलाल चौधरी गांधी के साथ-साथ बाबा साहब आंबेडकर के विचारों से भी प्रभावित थे. 1953 में उन्होंने ‘ए प्लान टू रिकंस्ट्रक्ट भारत’ शीर्षक से एक पुस्तक लिखी थी. इसमें उन्होंने डॉ. आंबेडकर के विचारों का समर्थन करते हुए सभी वर्गों के स्त्री-पुरुषों को समान अधिकार और अवसर देने का समर्थन किया था.

राहुल गांधी की यात्रा और कांग्रेस का दलित पॉलिटिक्स
बता दें कि जगलाल चौधरी आजादी के बाद 1952 के आम चुनाव में गरखा (सारण) सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उसके बाद 1957, 1962, 1967, 1969 के विधानसभा चुनाव में वह विधायक चुने गए. जगलाल चौधरी का निधन 9 मई 1975 को हो गया. बता दें कि जगलाल चौधरी की जयंती में शामिल होने के लिए पहली बार राहुल गांधी जितना बड़ा नेता बिहार पहुंच रहा है. जाहिर तौर पर कांग्रेस पार्टी की दलित पॉलिटिक्स का हिस्सा माना जा रहा है. लेकिन बिहार की सियासत में जगलाल चौधरी की चर्चा होना ही बड़ी बात है.

First Published :

February 05, 2025, 12:48 IST

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