America News: अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की बड़ी भूल सामने आई है. यहां के उच्च अधिकारियों ने संवेदनशील मामलों से जुड़ी जानकारी वाले एक ग्रुप चैट में एक पत्रकार को जोड़ लिया. इसका खुलासा खुद पत्रकार ने किया है. जेफरी गोल्डबर्ग 'द अटलांटिक' मैग्जीन के एडिटर इन चीफ है. उन्होंने मैग्जीन के एक कॉलम में खुद को ट्रंप प्रशासन के टॉप अधिकारियों वाले एक ग्रुप चैट में शामिल होने के बारे में बताया. यह ग्रुप चैट नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर माइक वॉल्ट्ज ने बनाया था.
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मैसेजिंग एप में जोड़ा
जेफरी गोल्डबर्ग ने 'द अटलांटिक' के अपने ओपिनियन सेक्शन में बताया कि 11 मार्च 2025 को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के डिफेंस सेक्रेटरी पीट हेग्सेथ ने मैसेजिंग एप सिग्नल के एक ग्रुप चैट में अमेरिका द्वारा हूती विद्रोहियों पर किए जाने वाले हमले को लेकर जानकारी दी. गोल्डबर्ग ने लिखा कि उन्हें इस हमले की जानकारी दो घंटे पहले ही चुकी थी. पहले उन्हें लगा कि शायद उन्हें ट्रैप करने के लिए कोई पीट हेग्सेथ की नकल कर रहा हो, लेकिन बाद में मामला कुछ और ही निकला.
युद्ध को लेकर शेयर की जानकारी
जेफरी गोल्डबर्ग के मुताबिक उन्हें 'हूती PC स्मॉल ग्रुप' नाम से सिग्नल के चैट ग्रुप में जोड़ा गया था. इसमें विदेश मंत्री मार्को रुबियो, CIA निदेशक जॉन रैटक्लिफ और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस समेत अन्य अधिकारी जुड़े थे. वे युद्ध को लेकर अपना प्लान बता रहे थे. गोल्डबर्ग को लगा कि पत्रकारों को शर्मनाक स्थिति में डालने के लिए उन्हें इस ग्रुप में जोड़ा गया है. उन्होंने कहा,' मुझे संदेह था कि यह ग्रुप चैट वास्तविक हो सकती है. क्योंकि मैं विश्वास नहीं कर सकता कि अमेरिका का राष्ट्रीय सुरक्षा का नेतृत्व युद्ध की योजनाओं के लिए सिग्नल पर चैट करेगा. साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इतने लापरवाही होंगे कि वह द अटलांटिक के एडिटर इन चीफ को इस ग्रुप चैट में जोड़ेंगे, जिसमें खुद उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी शामिल है.'
ट्रंप को नहीं जानकारी
गोल्डबर्ग ने बताया कि ग्रुप चैट में हमलों को लेकर बेहद संवेदनशील डीटेल शेयर की जा रही थी, जैसे हमले का समय, मुख्ट टारगेट और हमले के लिए हथियारों की तैनाती. इसके अलावा यमन में किए जाने वाले हमले और उसके टारगेट को लेकर भी जानकारी शेयर की गई. अधिकारियों की ओर से की गई इस गलती को लेकर पूर्व डिफेंस सेक्रेटरी और CIA डायरेक्टर लियोन पैनेटा ने कहा,' अगर गोल्डबर्ग की जगह किसी और को यह मैसेज मिला होता तो वह हूती को हमले के बारे में पहले से ही बता देता, जिससे अमेरिका पर जवाबी हमले होते. वे रेड सी में अमेरिकी प्रतिष्ठानों पर हमला कर सकते थे, जिससे हमारे सैनिकों को नुकसान पहुंचता.' वहीं जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसकी कोई जानकारी न होने की बात कही.