Last Updated:February 05, 2025, 23:01 IST
AMERICAN STRYKER : भारत और अमेरिका के बीच स्ट्राइकर डील एडवांस्ड स्टेज पर है. ICV स्ट्राइकर अमेरिका सहित कई अन्य देशों की सेनाएँ इस्तेमाल कर रही है. हर देश अपनी चुनौतियों के हिसाब से ही हथियार और उपकरण खरीदत...और पढ़ें
चीन को सबक सिखाएगा अमेरिकी स्ट्राइकर
AMERICAN STRYKER : भारतीय सेना अपने आधुनिकरण के दौर से गुजर रही है. पहले ज्यादा फोकस वेस्टर्न बॉर्डर हुआ करता था अब चीन से लगती नॉर्दर्न बॉर्डर है. सेना ने अब ज्यादा से ज्यादा ऐसे उपकरण को शामिल करने की रफ़्तार को बढ़ा दिया है जो कि कि प्लेन इलाकों, रेगिस्तान और हाई ऑल्टिट्यूड के इलाकों में रामबांण हो. इसी कड़ी में तेजी से दावा मजबूत कर रही है. पीएम मोदी के प्रस्तावित अमेरिकी दौरे में कई रक्षा सौदों पर भी चर्चा होने की संभावना जताइ जा रही है. इसमें अमेरिकी ICV यानी इंफेट्री कॉबेट वेहिक्ल स्ट्राइकर भी हो सकता है.
लद्दाख में हो चुका है डेमो
भारतीय सेना के मैकेनाइज्ड इंफेंट्री में 2000 के करीब रूसी ICV BMP-2 मौजूद है. जिसमें दो तरह के इंफेंट्री कांबेट वेहिकल है. एक ट्रैक्ड यानी की टैंक की तरह ट्रैक पर मूव करने वाले तो दूसरा व्हील्ड यानी पर टायरों वाले.अब भारतीय सेना व्हील्ड इंफेंट्री कांबेट वेहिकल को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है. सेना जल्द 500 से ज्यादा इंफेंट्री कांबेट वेहिकल को नए ICV से बदलने की तैयारी में हैं. स्वदेशी के साथ साथ विदेशी कंपनियों ने भी अपना दावा पेश कर दिया है. अमेरीकी कंपनी जनरल डायनामिक्स लैंड सिस्टम्स ICV स्ट्राइकर निर्माण करती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल सितंबर अक्टूबर में लद्दाख के हाई एल्टिट्यूड इलाके में सेना को इसका डेमों भी दिया गया. यह डेमो नो कॉस्ट नो कमिटमेंट के तहत अमेरिकी कंपनी ने दिया. सूत्रों की माने तो 13000 से 18000 फिट की उंचाइ पर यह डेमो हुआ.
क्यों खास है अमेरिकी स्ट्राइकर?
स्ट्राइकर के अलग अलग वेरिएंट है. जिसमें इंफेंट्री कैरियर, मोबाईल गन सिस्टम, मेडिकल इवैक्यूशन , फायर सपोर्ट , एंटी टैंक गाईडेड मिसाइल कैरियर और रेकॉनेन्स वेहिकल शामिल है. भारतीय सेना को एंटी टैंक गाईडेड मिसाइल कैरियर की जरूरत है. सूत्रों के मुताबिक लद्दाख में स्ट्रायकर के डेमो के दौरान जैवलीन ATGM का भी ट्रायल कंपनी ने दिया है. स्ट्रायकर 8 व्हील ड्राइव कॉंबेट वेहिकल है. इसमें 30 mm गन और 105 मोबाइल गन लगी है. इसकी रेंज 483 किलोमीटर है और से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से मूव कर सकता है. सैनिकों की सुरक्षा के लिए बोल्ट ऑन सेरेमिक आर्मर्ड प्रोटेकशन से लेस है. यह आसानी से दुशमन के एरियल अटैक , लैंडमाइन और IED से रक्षा कर सकता है. खास बात यह है कि इसे चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिए आसानी से हाई ऑल्टिट्यूड इलाके में पहुंचाया जा सकता है.
BMP-2 और स्ट्रायकर में कौन है बेहतर?
भारतीय सेना के पास मौजूद BMP-2 एम्फीबियस यानी की नदी नाले को आसानी से पार कर सकती है. स्ट्राइकर में यह खूबी नहीं है. हाई ऑल्टिट्यूड एरिया के कम तापमान में ट्रैक वाली BMP के रख रखाव में खासा मशकक्त करनी पड़ती है लेकिन ICV पहिए वाली हो तो उसका मेंटिनेन्स आसान होता है. भारत की एक नीति साफ है कि अगर स्ट्राइकर इस रेस को जीत जाता है तो मेक इन इंडीया के तहत इन ICV का को-प्रोडक्शन एंड को डेवलपमेंट करना होगा. इसके अलावा क्रिटिकल टेक्नॉलजी ट्रांसफर जैसे की जैवलीन ATGM की तकनीक भी ट्रांसफर करनी होगी. भारत में डीआरडीओ ने साल 2013-14 में 8 पहियों वाला WhAP यानी की व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफार्म तैयार किया है जो कि एक आर्मर्ड पर्सनल कैरियर वेहिकल है. इसका इस्तेमाल इंफेंट्री कांबेट वेहिकल के तौर पर कितना हो सकेगा यह कहना मुश्किल.
BMP-2 के फेजआउट की तैयारी
भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इंफेंट्री की कुल 50 बटालियन है. हर बटालियन मे 52 ICV है. इनमे व्हील्ड और ट्रेक वाले ICV मौजूद है. भारतीय सेना पहले फेज में 9 बटालियन को नए आधुनिक ICV से बदलने जा रही है. इन 50 बटालियन में 11 रेकी एंड सपोर्ट बटालियन है जब्कि 39 स्टैंडर्ड मैकेनाइज्ड इंफेंट्री बटालियन है. इन 39 में से 9 बटालियन को नए ICV से बदलना है. तकरीबन 500 के करीब नए आधुनिक ICV भारतीय सेना को पहले फेज में लेने है. इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) भी जारी किया जा चुका है. 15 स्वदेशी कंपनियों ने भी इस कैटेगरी में अपना दावा ठोका.
First Published :
February 05, 2025, 23:01 IST