बिना जांच अरेस्टिंग क्‍यों? HC ने पूछा गंभीर सवाल, IO पर एक्‍शन के आदेश

3 weeks ago

हाइलाइट्स

बंबई हाईकोर्ट ने ठाणे के पत्रकार को राहत दी.बेंच ने पत्रकार की गिरफ्तारी पर सवाल खड़े किए.मुआवजे के साथ-साथ पुलिसकर्मियों की जांच के आदेश दिए

मुंबई. महाराष्‍ट्र के ठाणे में एक पत्रकार पर आरोप लगा कि उसने जबरन वसूली की है. मामला पुलिस तक पहुंचा तो उसे तुरंत अरेस्‍ट कर सलाखों के पीछे भेज दिया गया. अब इस मामले में बंबई हाईकोर्ट का अहम फैसला सामने आया है. कोर्ट ने पत्रकार की गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए कहा है कि महज आरोप के आधार पर कोई गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए. पुलिस को पहले आरोपों की वास्तविकता की जांच करनी चाहिए. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की बेंच  ने महाराष्ट्र सरकार को पत्रकार अभिजीत पडाले को 25,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश देते हुए कहा कि तीन दिनों तक जेल में रखने के कारण उनके स्वतंत्रता के अधिकार का हनन हुआ.

हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस आयुक्त को पत्रकार को गिरफ्तार करने वाले शहर के वकोला थाने के पुलिसकर्मियों के आचरण की जांच करने को भी कहा. जांच के लिए पुलिस उपायुक्त स्तर के अधिकारी को नियुक्त करने का भी पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया गया. पडाले ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट से अनुरोध किया था कि मामले में उनकी गिरफ्तारी और हिरासत को अवैध घोषित किया जाए, क्योंकि पुलिस ने पहले उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41ए के तहत नोटिस जारी नहीं किया था.

पुलिस ने नोटिस तैयार किया लेकिन तामील नहीं किया
धारा 41ए के तहत पुलिस किसी मामले में आरोपी व्यक्ति को उसका बयान दर्ज करने के लिए नोटिस जारी कर सकती है और उस व्यक्ति को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा जब तक पुलिस को न लगे कि गिरफ्तारी जरूरी है. बेंच ने कहा कि पुलिस ने नोटिस तैयार किया था, लेकिन उसे तामील नहीं किया. हाईकोर्ट ने कहा, “धारा 41ए के तहत नोटिस का अस्तित्व यह मानने के लिए पर्याप्त है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी बिल्कुल भी उचित नहीं थी.”

यह भी पढ़ें:- एयरक्राफ्ट कैरियर की फौज पर इतरा रहा चीन, अब होगी ड्रैगन की बोलती बंद, नेवी ने तैयार किया सबमरीन प्‍लान

सीआरपीसी के प्रावधानों का उल्लंघन
अदालत ने कहा कि पडाले की गिरफ्तारी सीआरपीसी के प्रावधानों का “सरासर उल्लंघन” है. हाईकोर्ट ने कहा, “किसी व्यक्ति के खिलाफ अपराध करने के आरोप के आधार पर सामान्य तरीके से कोई गिरफ्तारी नहीं की जा सकती. पुलिस अधिकारी के लिए यह विवेकपूर्ण होगा कि आरोप की वास्तविकता के बारे में कुछ जांच के बाद उचित संतुष्टि के बिना कोई गिरफ्तारी न की जाए.” वकोला पुलिस ने 15 जनवरी 2022 को मोहम्मद सिद्दीकी की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 384 (जबरन वसूली) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत पडाले के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.

मजिट्रेट ने भी उठाए थे सवाल
पडाले को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया और अगले दिन मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया गया. मजिस्ट्रेट अदालत ने कहा कि पडाले को सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस के दिशानिर्देशों का पालन किए बिना गिरफ्तार किया गया था और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. इसके बाद पडाले ने जमानत याचिका दायर की जिस पर 18 जनवरी को सुनवाई हुई और उन्हें जमानत दे दी गई.

Tags: Bombay high court, Crime News, Thane police

FIRST PUBLISHED :

August 28, 2024, 17:22 IST

Read Full Article at Source