Last Updated:April 06, 2025, 12:08 IST
Bihar chunav: बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा-जेडीयू के एनडीए और राजद के महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला है. सीवान जिले में विधानसभा चुनाव में राजदा का प्रभाव शानदार रहा है हालांकि पार्टी लोकसभा चुनाव में लगातार म...और पढ़ें

बिहार के सीएम नीतीश कुमार और राजद नेता तेजस्वी यादव.
हाइलाइट्स
तेजस्वी की पार्टी ने विधानसभा में 8 में से 6 सीटें जीतीं.सीवान में लोकसभा चुनाव में राजद को लगातार हार मिली है.2025 के विधानसभा चुनाव के नतीजे महत्वपूर्ण होंगे.Bihar Chunav: बिहार में इस साल अक्तूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसको लेकर राज्य की राजनीति पूरी तरह गरमाई हुई है. राज्य में मुख्य मुकाबला भाजपा-जेडीयू के एनडीए और राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधनों के बीच है. तेजस्वी यादव निर्विवाद रूप से महागठबंधन के नेता बनकर उभरे हैं. बीते विधानसभा चुनाव में वह मामूली अंतरों से सीएम की कुर्सी तक पहुंचने से वंचित रह गए थे. लेकिन, इस बार मुकाबला कांटे का है.
इसी संदर्भ में आज बिहार के सीवान जिले की चर्चा करते हैं. राजनीतिक रूप से राज्य का एक अहम जिला है. यह जिला लंबे समय से राजद के सांसद रहे दिवंगत शहाबुद्दीन की वजह से भी चर्चा में रहा है. वह इस संसदीय सीट से लगातार चार पर सांसद चुने गए थे. उनकी छवि एक बाहुबली नेता की रही है. लेकिन, 2009 के बाद से इस सीट पर गणित पूरी तरह बदल गया है. 2004 में अंतिम बार यहां से राजद का लालटेन जला था. शहाबुद्दीन चौथी बार सांसद बने थे. लेकिन, उसके बाद से 2009 के लोकसभा चुनाव में आपराधिक मामलों में सजा मिलने के कारण शहाबुद्दीन चुनाव नहीं लड़ सके. उनकी पत्नी हीना शहाब को राजद ने टिकट दिया, लेकिन वे निर्दलीय उम्मीदवार ओमप्रकाश यादव से हार गईं. यह हार राजद के लिए बड़ा झटका थी, क्योंकि शहाबुद्दीन के जेल जाने के बाद भी पार्टी उनके प्रभाव को भुनाने में नाकाम रही.
2014 का संसदीय चुनाव
फिर 2014 के चुनाव में भी राजद को निराशा हाथ लगी. हीना शहाब फिर से मैदान में थीं, लेकिन इस बार उन्हें भाजपा के ओमप्रकाश यादव ने हराया. मोदी लहर और गठबंधन की रणनीति ने राजद को पीछे धकेल दिया. इस हार के साथ ही सीवान में राजद का प्रभाव और कमजोर होता दिखा.
2019 में हीना शहाब ने जदयू की कविता सिंह को कड़ी टक्कर दी. उन्हें 3,31,515 वोट मिले, लेकिन कविता सिंह ने 4,48,473 वोटों के साथ जीत हासिल की. 1,16,958 वोटों के अंतर से मिली यह हार राजद के लिए उम्मीद की किरण जरूर थी, लेकिन जीत में तब्दील नहीं हुई. 2024 में राजद ने अपने वरिष्ठ नेता अवध बिहारी चौधरी को मैदान में उतारा, लेकिन हीना शहाब के निर्दलीय लड़ने से वोट बंट गए. नतीजा यह हुआ कि जदयू की विजयलक्ष्मी देवी ने जीत हासिल की, जबकि चौधरी तीसरे स्थान पर रहे. तरह बीते करीब 15-16 सालों से लोकसभा में राजद को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है.
विधानसभा चुनाव
दूसरी ओर विधानसभा की बात करें तो जिले में 8 सीटें हैं. इन सीटों पर बीते कुछ चुनावों में राजद का दबदबा रहा है. 2010 के चुनाव में राजद ने सीवान जिले में अच्छा प्रदर्शन किया. उस समय बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाला एनडीए (जदयू-भाजपा गठबंधन) सत्ता में था, लेकिन राजद ने विपक्ष में रहते हुए भी अपनी ताकत दिखाई. सिवान संसदीय सीट की छह में से तीन सीटों- सिवान, जीरादेई और दरौली पर राजद ने जीत हासिल की.
बात 2015 के विधानसबा चुनाव की. उस साल राजद ने जदयू और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया, जिसका फायदा उसे सीवान में भी मिला. इस बार राजद ने चार सीटों- सिवान, जीरादेई, दरौली और रघुनाथपुर- पर जीत दर्ज की. यह उसका जिले में सबसे मजबूत प्रदर्शन था. गठबंधन की रणनीति और लालू प्रसाद यादव की लोकप्रियता ने यादव और मुस्लिम मतदाताओं को एकजुट किया. दरौंदा और बड़हरिया में हालांकि एनडीए ने अपनी पकड़ बनाए रखी. इस चुनाव में राजद का वोट शेयर बढ़ा और उसने अपने पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत किया.
2020 का विधानसभा चुनाव
सीवान सदर से अवध बिहारी चौधरी (राजद), जीरादेई से अमरजीत कुशवाहा (भाकपा माले), दरौली से सत्यदेव राम (भाकपा माले), रघुनाथपुर से हरिशंकर यादव (राजद), दरौंधा से कर्णजीत सिंह (भाजपा), बड़हरिया से बच्चा पांडेय (राजद), गोरेयाकोठी से देवेश कांत सिंह (भाजपा) और महाराजगंज से विजयशंकर दुबे विजयी (कांग्रेस) हुए हैं. यानी जिले की आठ में से छह सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार विजयी हुए. इससे स्पष्ट होता है कि लोकसभा में तो नहीं लेकिन विधानसभा चुनाव में महागठबंधन लगातार मजबूत हो रहा है. ऐसे में 2025 के विधानसभा चुनाव के नतीजे देखने लायक होंगे.
First Published :
April 06, 2025, 12:05 IST