बिहार स्पेशल स्टेटस: मोदी सरकार की 'ना' से बदल गया बिहार का पॉलिटिकल गोल पोस्ट

1 month ago

हाइलाइट्स

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से केंद्र सरकार के इनकार पर बिहार में सियासी उबाल.केंद्र के इनकार पर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कटाक्ष.

पटना. 15 नवंबर 2000 को जब बिहार का विभाजन हुआ तो 80 प्रतिशत प्राकृतिक और खनिज संसाधनों का हिस्सा झारखंड चला गया, लेकिन जनसंख्या का करीब 80 प्रतिशत बिहार के हिस्से ही रह गया. ऐसे में बिहार सरकार केंद्र सरकार से विशेष सहायता की उम्मीद लगाती रही है. वर्ष 2005 में जब नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बन तो उन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग उठाई. बीते डेढ़ दशक से बिहार की राजनीति का सबसे प्रमुख मुद्दा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना ही रहा है. लेकिन सोमवार (22 जुलाई) को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है वर्तमान मानदंडों के अनुरूप बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना संभव नहीं है. अब इसको लेकर जदयू और भाजपा पर लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद हमलावर हो गया है. लालू यादव ने तो सीएम नीतीश कुमार से इस्तीफे तक की मांग कर दी है.

दरअसल, जदयू नेता रामप्रीत मंडल ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर वित्त मंत्रालय को जो चिट्ठी लिखी थी इसका जवाब मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने दिया था. उन्होंने साफ तौर पर कहा, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मामला उचित नहीं है. अतीत में नेशनल डेवलेपमेंट काउंसिल(NDC) ने कुछ राज्यों को स्पेशल कैटेगरी का दर्जा दिया था. उन राज्यों में कई विशेषताएं थीं जिन पर खास विचार करने की आवश्यकता थी. लेकिन इस कैटिगरी में बिहार फिट नहीं बैठता है. केंद्र के इस जवाब से बवाल मच गया है और लालू यादव ने सीएम नीतीश कुमार पर सीधा हमला बोलते हुए बिहार के मुख्यमंत्री पद छोड़ने की मांग कर दी है.

बता दें कि इस मुद्दे पर आरजेडी नेता और राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा ने कहा था कि विशेष राज्य का दर्जा को लेकर बिहार की मांग को कई लोग अवास्तविक कह देते हैं. जब बिहार और झारखंड का बंटवारा हुआ तब से ये मांग है. राजनीतिक दलों के अतिरिक्त बिहार को श्रम आपूर्ति का केंद्र समझकर सरकार की जो नीतियां चलती हैं हम उसमें बदलाव चाहते हैं. हमें विशेष राज्य का दर्जा भी और विशेष पैकेज भी चाहिए. वह जदयू के राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा की मांग का समर्थन कर रहे थे. लेकिन, केंद्र सरकार के इनकार के बाद अब बिहार की राजनीति का गोलपोस्ट बदलता हुआ दिख रहा है.

नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा नीतीश कुमार की मांग को खारिज करने पर लालू प्रसाद प्रसाद ने कटाक्ष करते हुए कहा, ऐसा लग रहा है कि नीतीश कुमार ने सत्ता की खातिर बिहार की आकांक्षाओं और अपने लोगों के विश्वास से समझौता किया है. उन्होंने बिहार को विशेष … राज्य का दर्जा दिलाने का वादा किया था, लेकिन अब जब केंद्र ने इससे इनकार कर दिया है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. वहीं, निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को केंद्र सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेना चाहिए.बता दें कि नीतीश कुमार की जेडीयू, जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और चिराग पासवान की एलजेपी ने भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की मांग की थी. लेकिन, अब एनडीए में भी दो अलग-अलग सुर देखने को मिल रहे हैं.

बिहार में विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर आवाज उठा रहे हैं, वहीं, एनडीए में शामिल चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के सुर बदले हुए हैं. अब ये भी कह रहे हैं कि नीति आयोग के प्रावधानों के अनुसार, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता है. इस बीच विपक्षी पार्टी आरजेडी के नेता जेडीयू की मांग को सही बताते हुए साथ खड़े दिख रहे हैं. विपक्षी दलों के नेता यह कह रहे हैं कि यह बिहार का हक है. जाहिर तौर पर इस मुद्दे पर बिहार की राजनीति को लेकर कई तरह के कयास लगाने भी शुरू हो गए हैं. दरअलस, केंद्र की गठबंधन सरकार में जेडीयू की महत्वपूर्ण भूमिका है. यहां यह भी बता दें कि सीएम नीतीश पर विपक्षी इंडिया अलायंस काफी समय से अपने पाले में करने की कवायद में है.

वहीं, जानकार बताते हैं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग खारिज होने पर लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार से इस्तीफा मांग कर एनडीए को बैकफुट पर धकेल दिया है. वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय ने कहा कि, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने का प्रस्ताव बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों से पारित था. इसके समर्थन में भारतीय जनता पार्टी समेत बिहार के सभी राजनीतिक दलों का समर्थन रहा है. लेकिन, यह पूरा नहीं हुआ तो निराशा की बात है. खास बात यह है कि स्पेशल पैकेज के बारे में शुरू से कहते रहे हैं, लेकिन, बिहार को यह भी नहीं मिला है.

रवि उपाध्याय कहते हैं कि आंध्र प्रदेश की तेलगु देशम पार्टी ने अपनी डिमांड काफी हद तक पूरी करवा ली है, लेकिन बिहार को न तो विशेष दर्जा मिला और विशेष पैकेज पर भी कोरा आश्वासन ही मिलता रहा है. भाजपा दिखावे के लिए साथ रही है, लेकिन नीयत से साथ नहीं दिया है. रवि उपाध्याय कहते हैं, केंद्र सरकार कहती है कि बिहार क्राइटेरिया फुलफिल नहीं करता है, तो यह पहली बार सामने नहीं आया है. भौगोलिक स्थिति के कारण बिहार के लिए विशेष सहायता की डिमांड शुरू से है. हर पैमाने पर पिछड़ा प्रदेश है, यह तो हकीकत है. केंद्र सरकार के आंकड़ों से भी यह साफ दिखता है.

रवि उपाध्याय कहते हैं कि, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने का प्रस्ताव निश्चित रूप से दोनों सदनों से पारित है, अब नीतीश कुमार बैकफुट पर हैं और इंडिया ब्लॉक निश्चित रूप से इसे आगे ले जाएगा. वह जनता के बीच यह कहने की कोशिश करेगी की केंद्र सरकार ने बिहार को धोखा दिया है, एनडीए ने बिहार को छला है, नीतीश कुमार का केंद्र की नजर में कोई महत्व नहीं है. नीतीश कुमार की स्थिति असहज है और भाजपा भी बैकफुट पर है.

रवि उपाध्याय आगे कहते हैं कि जितना बड़ा सपना दिखाया जा रहा था और राग अलापा जा रहा था वह तो खत्म हो गया है. अब विशेष पैकेज भी अगर अलग अलग सेक्टर के लिए अलग-अलग तरीके से हो, तब यह समझ में आएगा कि केंद्र सरकार बिहार के हित में को फैसला लेने की नीयत रखती है. वरना तो जनता भी लंबे समय तक ऐसी बातों को स्मरण नहीं रखती और यह मुद्दा भी भूल जाएगी और जात-पात में फंस जाएगी.

FIRST PUBLISHED :

July 23, 2024, 10:17 IST

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