Agency:एजेंसियां
Last Updated:July 15, 2025, 14:34 IST
Pune Porsche Crash: पुणे में Porsche कार से दो लोगों की मौत के मामले में अदालत ने आरोपी 17 साल के किशोर को नाबालिग माना है. पहले उसे सिर्फ निबंध लिखने की सजा मिली थी, जिससे जनता में भारी नाराजगी हुई थी.

पुणे कार क्रैश
हाइलाइट्स
कोर्ट ने कहा कि आरोपी पर केस बच्चा समझकर चलाया जाएगा.हादसे में 2 आईटी प्रोफेशनल्स की मौके पर ही मौत हो गई थी.आरोपी को पहले सिर्फ सड़क सुरक्षा पर निबंध लिखने को कहा गया था.Pune Porsche Crash: पुणे में मई 2024 में एक बड़ा हादसा हुआ था, जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा. एक महंगी Porsche कार ने दो बाइक सवारों को इतनी जोर से टक्कर मारी कि दोनों की मौके पर ही मौत हो गई. ये हादसा इसलिए और चर्चा में आ गया क्योंकि कार चला रहा लड़का सिर्फ 17 साल का था और उस पर आरोप है कि उसने शराब पी रखी थी. अब कोर्ट ने फैसला दिया है कि आरोपी को नाबालिग यानी बच्चा माना जाएगा और उसी के हिसाब से केस चलेगा.
कैसे हुआ हादसा?
ये हादसा 19 मई 2024 की रात करीब ढाई बजे पुणे के कल्याणी नगर इलाके में हुआ. दो आईटी इंजीनियर—आनीश अवधिया और अश्विनी कोश्टा—बाइक पर जा रहे थे. तभी एक तेज रफ्तार Porsche कार ने उन्हें टक्कर मार दी. दोनों की मौके पर ही मौत हो गई. गाड़ी चला रहा लड़का सिर्फ 17 साल का था और पुलिस का कहना है कि उसने शराब पी रखी थी.
300 शब्दों के निबंध पर मिली थी जमानत
हादसे के बाद जब पुलिस ने लड़के को पकड़ा, तो उसे Juvenile Justice Board यानी किशोर न्याय बोर्ड के सामने पेश किया गया. वहां उसे जेल भेजने की बजाय एक बेहद हल्की शर्त पर जमानत दे दी गई—उसे सिर्फ 300 शब्दों का एक निबंध लिखना था, वो भी सड़क सुरक्षा पर. इस फैसले के बाद लोगों में गुस्सा फैल गया. सोशल मीडिया पर भी खूब विरोध हुआ और कहा गया कि ये कैसा इंसाफ है?
फिर दोबारा हुई कार्रवाई
जनता के गुस्से को देखते हुए पुलिस ने दोबारा जांच शुरू की. इसके बाद लड़के को सुधार गृह भेजा गया, जहां नाबालिग अपराधियों को रखा जाता है. लेकिन कुछ समय बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने उसे फिर से रिहा करने का आदेश दिया.
सबूतों से छेड़खानी करने की कोशिश
इस मामले में लड़के की मां भी जांच के घेरे में आ गईं. पुलिस का कहना है कि जब हादसे के बाद शराब की जांच के लिए लड़के का खून लिया जाना था, तब उसकी मां ने अपना खून देने की कोशिश की. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके लिए उन्होंने करीब 3 लाख रुपये भी खर्च किए थे ताकि बेटे का नाम बचाया जा सके. इस मामले में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बाद में उन्हें जमानत दे दी.
पुलिस चाहती थी बालिग के तौर पर केस चले
इस मामले में सरकारी वकील यानी स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर शिशिर हीराय ने कोर्ट में कहा कि लड़का गंभीर अपराध का दोषी है. उस पर IPC की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और धारा 467 (जालसाज़ी) के तहत केस दर्ज है. ये दोनों ऐसे अपराध हैं जिनमें 10 साल या उससे ज्यादा की सजा हो सकती है. इसलिए पुलिस चाहती थी कि लड़के पर बालिग की तरह केस चले.
वकील बोले – सुधार की उम्र है
दूसरी तरफ लड़के के वकील प्रशांत पाटिल ने कहा कि कानून का मकसद बच्चों को सुधारना है, उन्हें सजा देना नहीं. उन्होंने कहा कि लड़का अभी भी छोटा है और उसमें सुधार की पूरी संभावना है. वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि हर अपराध अपने आप में ‘गंभीर’ नहीं होता, और कोर्ट को ये भी देखना चाहिए कि लड़का आगे सुधर सकता है या नहीं.
अब Juvenile Justice Board ने ये साफ कर दिया है कि आरोपी को नाबालिग ही माना जाएगा. इसका मतलब है कि केस उसी नियमों के तहत चलेगा जो बच्चों के लिए बनाए गए हैं. यानी उसे किसी बालिग की तरह सजा नहीं दी जाएगी.
Location :
New Delhi,Delhi