Last Updated:July 29, 2025, 12:24 IST
NagPanchami 2025: आज नागपंचमी है, क्या आपको मालूम है कि भगवान शंकर ने अपने गले में कैसे सांप को धारण किया और ये कौन सा सांप था. कैसे उन्हें मिला.

हाइलाइट्स
भगवान शंकर के गले में वासुकी नामक सर्प हैवासुकी नागों के राजा हैं और समुद्र मंथन में रस्सी बने थेवासुकी ने भगवान शंकर की सेवा में खुद को समर्पित कियाआज नागपंचमी है. क्या आपको मालूम है कि भगवान शंकर के गले में कौन सा सांप लिपटा होता है. कैसे ये उन्हें मिला, क्या है उसकी कहानी. भारतीय देवताओं में अकेले शंकर ही हैं, जो अपने गले से इस तरह सांप को धारण करते हैं. सांपों से कई भारतीय देवताओं का रिश्ता रहा लेकिन भगवान शिव जैसा किसी का नहीं. क्या है इसकी कहानी.
भगवान शंकर के गले में वासुकी नामक सर्प लिपटा रहता है. वासुकी को नागों के राजा के रूप में जाना जाता है. शिव पुराण, विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में इसका बारे में कहा भी गया है. भगवान शंकर के गले में सर्प का होना उनके संन्यासी और तपस्वी स्वरूप का प्रतीक है. जो ये दिखाता है कि भयंकर सर्पों को भी अपने वश में रखते हैं. लेकिन वासुकी उनके पास आया कैसे.
क्या थी वासुकी की समुद्र मंथन में भूमिका
वासुकी और भगवान शंकर के संबंध की कहानी मुख्य रूप से समुद्र मंथन से जुड़ी है, जो पुराणों में कही जाती है. समुद्र मंथन के समय, देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र का मंथन किया. इस काम में मंदार पर्वत को मथानी और वासुकी नाग को रस्सी के रूप में उपयोग किया गया. वासुकी ने इस काम में पूरी निष्ठा से सहयोग दिया, भले ही इस मंथन में उन्हें काफी कष्ट भी हुआ.
क्यों वासुकी ने खुद को शंकर की सेवा में लगा दिया
मंथन के दौरान जब भयंकर विष निकला तो इतना जबरदस्त था कि सृष्टि के विनाश का ही खतरा पैदा हो गयाउत्पन्न हो गया. तब भगवान शंकर ने उस विष को अपने गले में अटका लिया, जिससे उनका गला नीला पड़ गया. वह नीलकंठ कहलाए. वासुकी भगवान शंकर के इस काम से इतने प्रभावित हुए कि खुद को शंकर की सेवा में समर्पित कर दिया. भगवान शंकर ने उन्हें अपने गले में आभूषण की तरह धारण किया.
वैसे सर्प कुंडलिनी शक्ति का भी प्रतीक है, जो योग और तंत्र में महत्वपूर्ण है. शंकर का सर्प को धारण करना आध्यात्मिक जागरण और शक्ति का प्रतीक माना जाता है. वासुकी का भगवान शंकर के गले में होना केवल एक शारीरिक आभूषण नहीं, बल्कि गहरे आध्यात्मिक और दार्शनिक अर्थों का प्रतीक भी है.
ऋषि कश्यप के बेटे थे वासुकी
वासुकी को नागों का राजा माना जाता है. वह कश्यप ऋषि और उनकी पत्नी कद्रू के पुत्र थे, जो नागों की माता थीं. वासुकी का रूप विशाल और भव्य बताया जाता है. पुराणों में उन्हें हजारों फनों वाला सर्प कहा गया है, जिनके फन रत्नों से सुशोभित थे. कहा जाता था कि वासुकी अमर और बहुत शक्तिशाली नाग थे. वासुकी कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं. महाभारत में वासुकी का उल्लेख कई बार हुआ है.
भगवान विष्णु का सर्प से संबंध
भगवान विष्णु का भी सांपों से गहरा संबंध है, विशेष रूप से शेषनाग (अनंत नाग) के साथ. शेषनाग को विष्णु का आसन माना जाता है. वे क्षीरसागर में शेषनाग की शय्या पर विराजमान रहते हैं. हालांकि, विष्णु सर्प को गले में नहीं लिपटाते बल्कि शेषनाग उनके रक्षक और सहायक के रूप में उनके नीचे या आसपास दिखाए जाते हैं. शेषनाग को विष्णु का परम भक्त और उनके अवतारों (जैसे लक्ष्मण और बलराम) का रूप माना जाता है.
मनसा देवी का भी सांपों से गहरा रिश्ता
मनसा देवी को नागों की देवी भी कहा जाता है. उनका सांपों से गहरा संबंध है. मां मनसा को सांपों की रक्षक और नियंत्रक माना जाता है. उनकी मूर्तियों में सर्प उनके आसपास या हाथों में दिखाए जाते हैं.
गणेश जी पेट में बांधते हैं
भगवान गणेश को कुछ चित्रों में सर्प को कमरबंद (कटि-सूत्र) के रूप में धारण करते हुए दिखाया जाता है. यह विशेष रूप से दक्षिण भारतीय मूर्तिकला और कुछ क्षेत्रीय परंपराओं में देखा जाता है. ये कमर के आसपास होता है.
कृष्ण और कालिया नाग
भगवान कृष्ण का कालिया नाग के साथ प्रसिद्ध प्रसंग है, जहां उन्होंने कालिया नाग का दमन किया. उसे यमुना नदी से बाहर खदेड़ दिया.
संजय श्रीवास्तवडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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