शिक्षा से ही देश की इकोनोमी 2047 तक 35 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है

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Last Updated:July 15, 2025, 15:59 IST

श्री हरदीप सिंह पुरी ने शिक्षा को विकास की नींव बताया. उन्होंने 2047 तक 35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा. शिक्षा में सुधार और समावेशी शिक्षा पर जोर दिया.

शिक्षा से ही देश की इकोनोमी 2047 तक 35 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है

"भारत में स्कूली शिक्षा: सभी के लिए समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की ओर" सेमिनार में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी.

नई दिल्‍ली. भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि देश के विकास में शिक्षा को केंद्रीय स्थान मिलना चाहिए. उन्होंने यह बात सामाजिक विकास परिषद द्वारा आयोजित “भारत में स्कूली शिक्षा: सभी के लिए समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की ओर” विषयक सेमिनार में कही. पुरी ने बताया कि शिक्षा राष्ट्र के विकास की नींव है. भारत की वर्तमान 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था 2047 तक 35 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य रखती है, जो शिक्षा के माध्यम से ही संभव होगा.

पिछले ढाई दशकों में शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण नीतिगत पहल हुई हैं.  पुरी ने बताया कि 2002 में वाजपेयी सरकार ने 86वें संवैधानिक संशोधन के जरिए शिक्षा के अधिकार (RTE) को मजबूत बनाया. इसके तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा को संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत मौलिक अधिकार बनाया गया। 2009 में RTE अधिनियम लागू हुआ और 2014 से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इसे और मजबूती मिली.

पुरी ने UDISE और ASER रिपोर्ट्स के आंकड़ों के आधार पर बताया कि शिक्षा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।. युवाओं की साक्षरता दर लगभग 97% हो गई है. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और स्वच्छ भारत अभियान जैसे कार्यक्रमों से लैंगिक साक्षरता का अंतर कम हुआ है. प्राथमिक स्कूलों में नामांकन 84% से बढ़कर 96% और उच्च प्राथमिक स्तर पर 62% से 90% हो गया है. स्कूलों में बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है. शिक्षक-छात्र अनुपात 42:1 से 24:1 हो गया है. लड़कियों के लिए अलग शौचालयों वाले स्कूलों का अनुपात 30% से 91% और बिजली की सुविधा वाले स्कूल 20% से 86% हो गए हैं. स्कूल छोड़ने की दर 9.1% से घटकर 1.5% हो गई है. स्वतंत्रता के समय भारत की साक्षरता दर केवल 17% थी, जो अब NSSO के अनुसार 80% तक पहुंच गई है. यह उपलब्धि सार्वभौमिक शिक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है.

पुरी ने कहा कि शिक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में देखा जाना चाहिए, जो राजनीतिक विचारधाराओं से ऊपर हो. उन्होंने माना कि वे शिक्षा नीति के विशेषज्ञ नहीं हैं, लेकिन उनका मानना है कि मजबूत शैक्षिक सुधार और समावेशी शिक्षा भारत की जनसांख्यिकीय लाभांश को साकार करने के लिए जरूरी हैं. सेमिनार में प्रो. मुचकुंद दुबे की विरासत को सम्मानित किया गया, जिनके नाम पर सामाजिक विकास परिषद में मुचकुंद दुबे शिक्षा अधिकार केंद्र स्थापित किया गया है.  पुरी ने इस केंद्र के पहले आयोजन का उद्घाटन करने का अवसर मिलने पर आभार जताया.उन्होंने प्रो. दुबे को एक असाधारण कूटनीतिज्ञ, विद्वान और समाजसेवी के रूप में याद किया, जिन्होंने हर बच्चे के लिए समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए जीवनभर काम किया.

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