स्‍मार्टफोन-सोशल मीडिया ने किया बच्‍चों का कितना नुकसान, जानकर उड़ जाएंगे होश

3 hours ago

Smartphone side Effects: स्‍मार्टफोन ने जितनी सुविधा दी है, उससे कहीं ज्‍यादा यह डिवाइस जी का जंजाल बन चुकी है. भारत से लेकर दुनियाभर से स्‍मार्टफोन की वजह से हो रहे नुकसान को लेकर आए दिन स्‍टडीज और रिसर्च भी आती रहती हैं. यही वजह है कि हेल्‍थ एक्‍सपर्ट लगातार फोन के इस्‍तेमाल को लेकर लोगों को सतर्क कर रहे हैं. हालांकि इस बार स्‍मार्टफोन के साथ-साथ सोशल मीडिया और सोशल मीडिया इन्‍फ्लूएंसर्स को लेकर ऐसी जानकारी सामने आई है, कि अगर आपके बच्‍चे हैं और आपका ही या अपना पर्सनल फोन चलाते हैं तो उसके नुकसान जानकर जानकर आपके होश उड़ जाएंगे.

पीएसआरआई अस्‍पताल नई दिल्‍ली में पल्‍मोनरी, क्रिटिककेयर एंड स्‍लीप मेडिसिन के चेयरमैन डॉ. जीसी खिलनानी ने News18hindi से बातचीत में बताया कि 12 अक्‍टूबर 2024 को लेंसेट जर्नल में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसमें सोशल मीडिया इन्‍फ्लूएंसर्स के द्वारा युवाओं के दिमाग और उनकी मेंटल हेल्‍थ पर पड़ रहे बुरे असर को लेकर आगाह किया गया है. भारत में अजीबोगरीब रील्‍स बना रहे इन्‍फ्लूएंसर्स युवाओं के साथ-साथ छोटे बच्‍चों की मेंटल हेल्‍थ के साथ भी खिलबाड़ कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें 

प्रदूषण से घुटने लगा दम, आज ही शुरू कर दें ये 4 आयुर्वेदिक उपाय, फेफड़ों पर नहीं होगा खराब हवा का असर

डॉ. खिलनानी कहते हैं कि भारत में भी कमोबेश यही हाल है तो विदेशों में है. यहां इन्‍फ्लूएंसर्स बच्‍चों के ब्रेन को न केवल प्रभ‍ावित कर रहे हैं बल्कि वॉश कर रहे हैं. जिसके चलते न केवल युवा नेगेटिव चीजों की तरफ बढ़ रहे हैं और उनमें सुसाइडल टेंडेंसी भी बढ़ रही है.

बच्‍चों को हो रहा ये नुकसान

. रिपोर्ट के मुताबिक 36 फीसदी टीनएजर बच्‍चे लगातार ऑनलाइन रहने के चलते बाहरी या अनजान लोगों के संपर्क में रहते हैं.

. 11 फीसदी बच्‍चों में स्‍मार्टफोन या सोशल मीडिया का नशा जैसे लक्षण मिल रहे हैं.

. वहीं इतने ही फीसदी बच्‍चे ऐसे हैं, जो अगर सोशल मीडिया का इस्‍तेमाल न कर पाएं तो उनमें एंग्‍जाइटी या मूड ऑफ के लक्षण दिखाई देते हैं.

. 10 से 24 साल के युवाओं में मेंटल इलनेस का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है.

. सोशल मीडिया पर रील्‍स और एडवरटाइजमेंट्स की वजह से वेपिंग, स्‍मोकिंग, जुए की लत, फास्‍ट फूड खाने का चस्‍का, एल्‍कोहल की लत आदि भी बढ़ रही है.

. फोन की वजह से परिवारों, दोस्‍तों, यहां तक कि खाने की टेबल पर बैठे लोगों में भी कन्‍वर्जेशन की कमी देखी जा रही है. वे सभी एक साथ फोन चलाते हैं.

. न केवल बच्‍चों के शारीरिक विकास बल्कि मानसिक विकास और विचारों का स्‍तर भी सोशल मीडिया के ज्‍यादा इस्‍तेमाल के चलते खराब होता जा रहा है.

नहीं लगाई रोक तो खराब होंगे हालात
डॉ. जीसी खिलनानी कहते हैं कि बच्‍चों द्वारा सोशल मीडिया और स्‍मार्टफोन के इस्‍तेमाल पर अगर रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले दिनों में हालात और भी खराब होंगे. पीएसआरआई में बहुत सारे टीनएजर और बच्‍चे नींद डिस्‍टर्ब होने, स्‍ट्रैस और एंग्‍जाइटी या हिंसक हो रहे बर्ताव की परेशानियां लेकर आ रहे हैं. इनमें से अधिकांश के पीछे स्‍मार्टफोन और सोशल मीडिया ही जिम्‍मेदार है.

माता-पिता करें कंट्रोल
घरों में स्‍मार्टफोन या इंटरनेट डिवाइसों का इस्‍तेमाल कम करने की जरूरत है. इसके लिए कहीं न कहीं पेरेंट्स काफी हद तक जिम्‍मेदार हैं. माता-पिता अपने छोटे बच्‍चों को बिजी करने के लिए फोन पकड़ाने की आदत से बाज आएं. इसके अलावा स्‍कूल जाने वाले छात्रों को भी फोन न दें, जब तक कि कोई विशेष जरूरत न हो. बच्‍चे अगर देर रात तक फोन चला रहे हैं तो उन पर नजर रखें. आपको अंदाजा भी नहीं होगा और बच्‍चे सोशल एब्‍यूज के शिकार हो जाएंगे. इस बात को समझ लें कि फोन आपके बच्‍चों को सबसे ज्‍यादा नुकसान पहुंचा रहा है.

ये भी पढ़ें 

प्रदूषण से हो रहे हो बीमार? दिल्‍ली के RML अस्‍पताल में खुला पॉल्‍यूशन क्‍लीनिक, हफ्ते में इस दिन कराएं इलाज

Tags: Smartphone, Social media, Social media influencers

FIRST PUBLISHED :

October 16, 2024, 20:35 IST

Read Full Article at Source