बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद पड़ोसी मुल्क में उथल-पुथल अब भी जारी है. अब मुस्लिम बहुल देश में मुद्रा संकट पैदा हो गया है. बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक को मोहम्मद यूनुस की अगुआई वाली अंतरिम सरकार के एक फैसले से तगड़ा झटका लगा है. दरअसल, यूनुस सरकार ने पहले से प्रिंटेड नोट जारी नहीं करने का निर्देश दिया था. इससे सेंट्रल बैंक को जबर्दस्त वित्तीय नुकसान हुआ. इससे शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर वाले करीब 15,000 करोड़ टका के कागजी नोट बेकार हो गए हैं. माना जा रहा है कि यह फैसला बंगबंधु की छवि को जनता के दिमाग से साफ करने की मंशा से लिया गया है.
हालांकि बैंक के अधिकारी इस मामले पर सार्वजनिक रूप से बात करने के लिए तैयार नहीं हैं. इनमें से कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि बांग्लादेश बैंक से नए नोट मिलने की लंबे समय से चली आ रही परंपरा को अचानक रोक दिया गया है. इस कारण बाजार में संकट पैदा हो गया है.
उन्होंने कहा कि एक तरफ बिना इस्तेमाल के ही प्रिंटेड करेंसी बर्बाद की जा रही है तो दूसरी तरफ लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. तमाम मूल्य वर्ग के नोट आम जनता के टैक्स से खरीदे गए कागज और स्याही का उपयोग करके छापे जाते हैं. बंगबंधु की तस्वीर वाले लाखों नोट अब भी कई बैंकों के तहखानों में पड़े-पड़े 'सड़' रहे हैं. अधिकारियों का साफ तौर पर कहना है कि बांग्लादेश के सिक्योरिटी प्रिंटिंग कॉर्पोरेशन के पास इतनी क्षमता नहीं है कि वह एक बार में सारे नोटों को रद्द करते हुए नए नोट छाप सके.
बांग्लादेश के सरकारी विभाग मान रहे हैं कि बंगबंधु की तस्वीर वाले नोटों को अचानक रद्द नहीं किया जा सकता है. इस स्थिति में तमाम पूर्व अधिकारी सरकार को सुझाव दे रहे हैं कि जनता की पीड़ा को कम करने के लिए छपे हुए नोटों को बाजार में सर्कुलेट करने दिया जाए. बांग्लादेश बैंक के पूर्व कार्यकारी निदेशक जियाउद्दीन अहमद ने कहा कि जब नए डिजाइन के नोट बाजार में आते हैं तो पुराने नोटों को धीरे-धीरे वापस ले लिया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि आम तौर पर एक बार छपे नोटों का उपयोग ज्यादा से ज्यादा चार से पांच वर्षों के लिए किया जा सकता है.