Last Updated:April 29, 2025, 14:00 IST
Vaibhav Suryavanshi News: बिहार के इस युवा क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी ने 14 साल की उम्र में रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया और अंडर-19 एशिया कप में शानदार प्रदर्शन किया.अब आईपीएल में तेज शतक जड़कर सुर्खियों में हैं. ...और पढ़ें

आईपीएल में शतक जड़ने के बाद वैभव ने कहा उनका ध्यानसिर्फ खेल पर केंद्रित है.
हाइलाइट्स
वैभव सूर्यवंशी ने 14 साल की उम्र में रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया.वैभव सूर्यवंशी ने आईपीएल में तेज शतक जड़कर सुर्खियां बटोरीं.वैभव सूर्यवंशी की सफलता बिहार के लोगों के जज्बे को दर्शाती है.पटना. यह मेरा पहला शतक है और यह एक बहुत अच्छा अनुभव है. मैं ज्यादा गेंदबाजों के बारे में नहीं सोचता, बस गेंद को देखता हूं और खेलता हूं. मुझे डर नहीं लगता है, मैं ज्यादा नहीं सोचता, बस खेल पर ध्यान केंद्रित करता हूं… ये कुछ चुनिंदा कथन वैभव सूर्यवंशी के उस समय के हैं जब उनको ऐतिहासिक पारी के बाद प्लेयर ऑफ द मैच के पुरस्कार दिया गया और उन्होंने टीवी चैनल से बात की. वैभव ने इस बातचीत में कई बातें कहीं, लेकिन हम वैभव की इस बात को समझने की कोशिश करते हैं कि- वह ज्यादा सोचते नहीं बस खेल पर ध्यान केंद्रित करते हैं और उन्हें डर भी नहीं लगता…दरअसल, वैभव की यह बात बिहार के उन आम लोगों के उस जज्बे को प्रतिबिंबित करता है जो उनके अंदर स्वाभाविक भाव में होता है. यह बात तब और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब हम और आप बिहार के लोगों से अन्य प्रदेशों में भेदभाव और घृणा का शिकार होते देखते हैं. मगर इसके बाद भी बिहार के लोग जज्बे के साथ आगे बढ़ जाता है और हर क्षेत्र के मैदान में अपना झंडा गाड़ आता है. वैभव इसी बिहारी प्रतिभा का नया प्रतीक बनकर उभरा है.
वैभव सूर्यवंशी ने इतिहास रच दिया है और यह बिहार का वैभव नहीं पूरे भारत का वैभव है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत अन्य प्रदेशों के प्रमुख और गणमान्य लोगों ने वैभव की उपलब्धि पर का गौरव गान किया है. सबने प्रदेश की सीमाओं से बढ़कर इस उपलब्धि को भारत का मान माना है. वैभव की यह उपलब्धि बेहद खास है, क्योंकि वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी ने बेटे को बढ़ाने के लिए अपनी जमीन तक बेच दी और बेटे का हौसला कम नहीं होने दिया. जाहिर है वैभव की सफलता के पीछे बिहारी पिता की जीवटता भी है जो ऐसी प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा तत्पर रहता है. बता दें कि वैभव की तरह ही बिहार के लाखों परिवारों में ऐसी प्रतिभाएं पलती है और बढ़ती हैं. लेकिन, रोजगार और संसाधनों के अभाव में जब इन्हें अपना प्रदेश छोड़कर बाहर जाना पड़ता है तो कई बार बिहारी के मन में टीस भी होती है क्योंकि कई बार बाहर के प्रदेशों में भेदभाव का शिकार हो जाते हैं. आखिर जब ये इतने परिश्रमी और प्रतिभाशाली होते हैं, देश का मान बढ़ाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते तो फिर अन्य कई प्रदेशों में बिहार निवासियों के साथ भेदभाव क्यों होता है? आखिर बिहार के लोग क्षेत्रवाद की राजनीति की आड़ में घृणा के शिकार क्यों होते हैं?
बिहार के लोग क्षेत्रीयता की राजनीति के शिकार बनते हैं
दरअसल, हाल में महाराष्ट्र में एक अभियान चलाया गया और हिंदी भाषी प्रदेशों के लोगों के साथ कुछ राजनीतिक दल से संबंधित कार्यकर्ताओं ने बदसलूकी की थी. क्षेत्रीयता के आधार पर कई कार्यालयों में कर्मियों (बिहार के निवासियों) के साथ उनके साथ भाषाई आधार पर दुर्व्यवहार किया गया. ताजा मामला महाराष्ट्र का है, लेकिन यह अब पश्चिम बंगाल में भी हो रहा है. इसी तरह तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी बिहार के लोगों के क्षेत्रीय आधार पर भेदभाव के मामले सामने आ रहे हैं. एक बिहारवासी जब रोजगार और संसाधनों के अभाव में अपना घर (प्रदेश) छोड़ता है तो उसके मन में अपने घर को छोड़ जाने की कसक रहती है. हालांकि, अपने ही देश में कई जगहों पर भेदभाव होने पर कई बार उसकी पीड़ा भी जाहिर होती है, लेकिन जज्बा बिहारी ही रहता है. एक उदाहरण भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से जुड़ा है जो ऐसे भेदभाव से अपने हौसलों से लड़ते हुए आगे बढ़े और देश-विदेश में प्रतिष्ठा के आकाश पर पहुंच गए.
महेंद्र सिंह धोनी से भी जुड़ाी है ‘बिहारी’ होने की पहचान
दरअसल, एक समय था जब महेंद्र सिंह धोनी नये-नये भारतीय टीम में एंट्री किये थे. वहां कुछ साथी खिलाड़ी उन्हें ‘बिहारी’ कहकर छोटा दिखाने की कोशिश करते. मगर धोनी का जज्बा ऐसी बातों से और मजबूत हुआ और कुछ कर गुजरने की चाहत बढ़ती गई. बाद में वह उपलब्धियों की किस बुलंदी पर विराजमान हैं, यह हर कोई जानता है. दौर बदला तो धोनी को हर भारतवासी सम्मान की दृष्टि से देखता है. महेंद्र सिंह धोनी की परवरिश संयुक्त बिहार में हुई. बिहार का बंटवारा होने पर धोनी झारखंड के निवासी हो गए, लेकिन उनकी बिहारी पहचान हमेशा रही. ऐसे तो बिहार से संबंधित अब कई खिलाड़ी उभर रहे हैं और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं. इनमें ईशान किशन, मुकेश कुमार, पार्थिव साह जैसे यंग जेनरेशन के कई खिलाड़ी हैं. इससे पहले सबा करीम से नामी क्रिकेटर ने बिहार का नाम खूब रोशन किया है. अब वैभव सूर्यवंशी न केवल बिहार के वैभव हैं, बल्कि यह ‘भारत के वैभव’ हैं और बिहारी पहचान से अपमान न हो, बल्कि इनकी उपलब्धियों का मान-सम्मान पूरे देश में होता रहे.
बिहार के लोग अपनी मेहनत और लगन के लिए जाने जाते
जाहिर है जिस तरह से महेंद्र सिंह धोनी ने जज्बा दिखाते हुए विपरीत परिस्थितियों में भी जुझारूपन दिखाया और शीर्ष पर पहुंचे और अब वह देश के चहेते हैं. इसी प्रकार बिहार के हजारों आईएएस, आईपीएस, इंजीनियर, आईटी प्रोफेशनल्स, फिल्म कलाकार, गायक-गायिकाएं और श्रमिक सहित बिहार के लोग देश के हर कोने में फैले हुए हैं. बिहार के लोग अपनी मेहनत और लगन के लिए जाने जाते हैं. ये अपने काम में पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ जुटे रहते हैं. ऐसे में बिहारियों के मान सम्मान पर आघात एक गंभीर मुद्दा है, जो अक्सर भेदभाव, अपमानजनक टिप्पणियों, और सामाजिक अलगाव के रूप में सामने आता है. यह मुद्दा न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि सामुदायिक और सामाजिक स्तर पर भी प्रभाव डालता है. शायद वैभव सूर्यवंशी अपने इन शब्दों के साथ कि- मुझे डर नहीं लगता है, मैं ज्यादा नहीं सोचता, बस खेल पर ध्यान केंद्रित करता हूं… यह बड़ा संदेश है. ऐसे में हमारे लिए ‘भारत के वैभव’ के मान को बचाना आवश्यक है.
बिहार के लाल हैं वैभव सूर्यवंशी
बता दें कि बिहार के समस्तीपुर के हने वाले वैभव सूर्यवंशी 14 साल के भारतीय क्रिकेटर हैं. इन्होंने IPL अनुबंध हासिल करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बनकर सुर्खियां बटोरीं है. उन्हें 2025 आईपीएल नीलामी में राजस्थान रॉयल्स ने 1.1 करोड़ रुपये में खरीदा था. उन्होंने 13 साल की उम्र में बिहार के लिए रणजी ट्रॉफी में अपना प्रथम श्रेणी डेब्यू भी किया था. सूर्यवंशी भारत अंडर-19 का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया अंडर-19 के खिलाफ़ चार दिवसीय खेल में 58 गेंदों में शतक बनाया था. वह 2024 में ACC अंडर-19 एशिया कप के फ़ाइनल में पहुंचने वाली टीम का भी हिस्सा थे जहां उन्होंने 44 की औसत से 176 रन बनाए थे. बता दें कि सूर्यवंशी के नाम एक तिहरा शतक भी है. बिहार में अंडर-19 प्रतियोगिता रणधीर वर्मा टूर्नामेंट में नाबाद 332 रन बनाने का कमाल किया था.
First Published :
April 29, 2025, 14:00 IST