Digital Arrest: कंबोडिया बना ‘कोलाबा’, IGIA से हाथ लगी ऐसी 'खुशी', उधड़ी परतें

22 hours ago

Last Updated:July 10, 2025, 09:51 IST

Digital Arrest: आईजीआई एयरपोर्ट से गुरुग्राम पुलिस के हाथ ऐसी खुशी लगी है, जिसमें करोड़ों रुपए के डिजिटल अरेस्‍ट के खेल को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है. कहां से ऑपरेट होता है यह खेल, कौन-कौन है इसके शामिल, जान...और पढ़ें

 कंबोडिया बना ‘कोलाबा’, IGIA से हाथ लगी ऐसी 'खुशी', उधड़ी परतें

हाइलाइट्स

डिजिटल अरेस्‍ट मामले में गुरुग्राम पुलिस को मिली बड़ी सफलता.कंबोडिया से चल रहा था डिजिटल अरेस्‍ट का पूरा खेल.आईजीआई एयरपोर्ट से अरेस्‍ट हुई खेल की माहिर खिलाड़न.

Digital Arrest: साइबर क्राइम की दुनिया से एक बड़ा खुलासा हुआ है. गुरुग्राम पुलिस ने दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 24 साल की खुशी चौधरी को गिरफ्तार किया है. वह एक बड़े डिजिटल अरेस्ट घोटाले का हिस्सा थी, जिसने दिसंबर 2024 में गुरुग्राम की एक 81 साल की बुजुर्ग महिला से 2.9 करोड़ रुपये ठग लिए. इस मामले ने कंबोडिया में चल रहे एक साइबर क्राइम कॉल सेंटर की पोल खोल दी, जिसे ‘मैंगो पार्क’ के नाम से जाना जाता है.

पुलिस के मुताबिक, खुशी इस घोटाले के एक बड़े नेटवर्क का छोटा-सा हिस्सा थी. यह नेटवर्क सीमा पार तक फैला हुआ है और बहुत ही सुनियोजित तरीके से काम करता है. पैसे का लेन-देन इतना जटिल है कि यह अक्सर क्रिप्टो वॉलेट में जाकर खत्म होता है. पूछताछ में खुशी ने पुलिस को बताया कि वह पहले सूरत में एक कैफे में काम करती थी. नवंबर 2023 में एक दोस्त के पति ने उसे दुबई में बेहतर नौकरी का लालच दिया. वहां कुछ समय तक अजमान में एक साइबर क्राइम कॉल सेंटर में काम करने के बाद उसे एक पाकिस्तानी रिक्रूटर ने अगस्त 2024 में कंबोडिया भेज दिया.

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कंबोडिया की इस इमारत से चलता था खेल
कंबोडिया के फ्नोम पेन्ह में ‘मैंगो पार्क’ नामक इमारत में यह कॉल सेंटर किसी कॉरपोरेट ऑफिस की तरह चलता था. यहां काम तीन स्तरों पर बंटा हुआ था. पहले स्तर यानी ‘लाइन-1’ पर नए लोग काम करते थे, जो फोन कॉल करते थे. ये लोग खुद को फेडेक्स स्‍टाफ या पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को डराते थे. वे कहते थे कि उनके नाम पर भेजे गए पार्सल में अवैध सामान है या उनके बैंक खाते से हवाला लेन-देन का पता चला है जो आतंकी संगठनों से संबंधित है.

अगर कोई शख्‍स इन बातों पर विश्वास कर लेता, तो कॉल को ‘लाइन-2’ पर ट्रांसफर कर दिया जाता. यहां एक कमरे में, जो भारत के किसी सरकारी दफ्तर जैसा बनाया गया था, एक शख्‍स पुलिस की वर्दी में वीडियो कॉल पर बात करता था. कमरे की दीवार पर महात्मा गांधी, डॉ. भीम राव अंबेडकर और सरदार पटेल की तस्वीरें लगी होती थीं, ताकि लोगों कि किसी तरह का शक न हो. यह शख्‍स खुद को कोलाबा पुलिस स्टेशन का एसीपी बताता और कड़क आवाज में पीड़ित को डराता था.

इस तरह जाल में फंसाया जाता था शिकार
इसके बाद ‘लाइन-3’ पर अनुभवी ठग काम करते थे, जो खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का अधिकारी बताते थे. ये लोग यूएपीए, एनडीपीएस, फेमा, बीएनएस और आईपीसी जैसे कानूनों की धाराओं का जिक्र करके पीड़ित को और डराते थे. डिजिटल अरेस्‍ट के इस नेटवर्क में एक राहुल गुप्‍ता नाम का एक शख्‍स भी था, जो पीड़ितों को कई बैंक खातों में बड़ी रकम ट्रांसफर करने के लिए कहता था. उस समय तक पीड़ित को कई दिनों तक डराकर अलग-थलग कर दिया जाता था और उसे किसी से बात करने की इजाजत नहीं होती थी.

गुरुग्राम पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि खुशी की गिरफ्तारी ने इस पूरे नेटवर्क का खुलासा किया. यह एक बहुत बड़ा साइबर अपराधी गिरोह है, जो लोगों को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगता है. खुशी के खुलासे के आधार पर पुलिस अब इस नेटवर्क से जुड़े लोगों की तलाश में जुट गई है. इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सहयोग मांगा गया है.

Anoop Kumar MishraAssistant Editor

Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 3 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें

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