Last Updated:February 20, 2025, 14:25 IST
NEET UG 2025, MBBS Admission: नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) को लेकर एक नया अपडेट आया है. विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए अब नीट परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा.

MBBS Admission, MBBS Admission in Aboard: विदेश से एमबीबीएस करने के लिए देनी होगी NEET.
हाइलाइट्स
विदेश में MBBS के लिए NEET अनिवार्य.सुप्रीम कोर्ट ने MCI के नियम को बरकरार रखा.NEET पास किए बिना विदेश में MBBS में प्रवेश नहीं.NEET UG 2025, MBBS Admission: अगर आप विदेश के किसी संस्थान से एमबीबीएस करने की सोच रहे हैं, तो अब आपको पहले नीट यूजी परीक्षा पास करनी होगी, उसके बाद ही आप विदेश से एमबीबीएस कर सकेंगे. अब बिना नीट परीक्षा पास किए विदेशी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन नहीं मिलेगा. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने विदेश से मेडिकल कोर्स करने के लिए नीट यूजी परीक्षा की वैलिडिटी को बरकरार रखा है, जिसके बाद अब विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वालों को विदेशी मेडिकल संस्थानों में एडमिशन के लिए नीट यूजी परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा.
MBBS Admission Guideline: माना एमसीआई का नियम
असल में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) ने एक नियम बनाया है, जिसके तहत किसी भी भारतीय स्टूडेंट को विदेशी संस्थान से एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए नीट परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा. एमसीआई के इस नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए अब सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) के उस नियम को बदलने से इनकार कर दिया है और इस नियम को जस का तस बरकरार रखा है. अब भारतीय स्टूडेंट्स को किसी भी देश के मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) पास करना अनिवार्य होगा. एमसीआई के 2018 के नियम के तहत विदेश में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों को मेडिकल की प्रैक्टिस करने के लिए निर्धारित मानकों को पूरा करना होगा.
Supreme Court on MBBS: क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान एमसीआई के इस नियम को निष्पक्ष और पारदर्शी बताया और कहा कि यह नियम किसी भी वैधानिक प्रावधान के साथ टकराव नहीं करता है. जस्टिस बी. आर. गवई और के. विनोद चंद्रन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की.
First Published :
February 20, 2025, 14:24 IST