Last Updated:February 20, 2025, 12:44 IST
AK-203 Rifles: दुनिया में आंतकियों की यह सबसे पहली पसंद है. वजह है AK सीरीज के राइफल के बारे में कही जाती है कि लंबे समय तक जमीन के नीचे या पानी के अंदर रख दो. जब भी बाहर निकालो फायर के लिए तैयार होती है. पाकिस...और पढ़ें
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5वीं पीढ़ी की असॉल्ट राइफल
हाइलाइट्स
भारतीय सेना को 2025 तक 1 लाख AK-203 राइफल मिलेंगी।AK-203 राइफल्स का निर्माण भारत-रूस मिलकर कर रहे हैं।AK-203, AK-47 का सुपर एडवांस वर्जन है।AK-203 Rifles: रूस और भारत के बीच सामरिक रिश्ते दशकों पुराने है. रूस ने कभी भी भारत को अपनी तकनीक देने से माना नहीं किया. साझा सैन्य उत्पादों की तो मानों एक लंबी फेहरिस्त है. अब इस फेहरिस्त में असॉल्ट राइफल भी जुड़ चुकी है. भारत और रूस मिलकर 6.1 लाख AK-203 का निर्माण भारत में ही कर रहे हैं. पिछले साल से सेना को AK-203 मिलनी शुरू हो चुकी थी. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 70,000 राइफल सौंपी जाने की उम्मीद है.
देश में लगी है फैक्ट्री
भारत और रूस के बीच AK-203 राइफल को लेकर डील 2021 में साइन की गई थी. तकरीबन 5100 करोड़ रुपये की इस डिफेंस डील के तहत 6.1 लाख असॉल्ट राइफल की खरीद सेना ने की. इसकी फैक्ट्री उत्तर प्रदेश के अमेठी में स्थापित की गई. भारत और रूस के ज्वाइंट वेंचर इंडो रशियन राइफल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इस घातक हथियार का निर्माण कर रही है. पिछले साल ही 35000 AK-203 राइफल सेना को सौंप दी है. अगली 70 हजार राइफल की खेप इस मिल जाएगाी. साल 2025 तक भारतीय सेना के पास 1 लाख से ज्यादा AK-203 राइफल आ जाएगी.
AK-47 का सुपर एडवंस वर्जन AK-203
भारतीय सेना अब तक 5.62 mm कैलिबर की इंसास राइफल का इस्तेमाल कर रही है. छोटे कैलिबर की इंसास राइफल पुरानी हो चली है. सेना की मारक क्षमता को बढ़ाते हुए 7.62 X 39mm कैलिबर AK-203 से बदला रही है. AK सीरीज की अत्याधुनिक असॉल्ट रायफल है. AK-203 असॉल्ट राइफल्स की 400 से 800 मीटर बताई जाती है, AK-47 की 300 मीटर की प्रभावी रेंज है. AK-47 और AK-203 दोनों ही लाइट वेट राइफल कैटेगिरी में आती है. बिना मैगजीन के AK-203 का वजन 3.8 किलों और AK-47 4.3 किलों की है. वजन में हलकी होने के चलते ऑपरेशन में यह बेहतर तरीके से काम कर सकती है. इसका डिजाइन ऐसा है कि यहा AK-47 से ज्यादा सटीक है. इसमें रिकॉयल भी कम है. बेहतर साइटिंग रेंज कैपेबिलिटी है.इस में खास तौर पर टेलिस्कोपिक पोजिशन दिए गए है. अपने हिसाब से उसे एडजस्ट कर सकते है. दोनों के रेट ऑफ फायर एक जैसी ही है. एक मिनट में 600 राउंड इससे फायर किया जा सकता है. AK-47 की एक मैगजीन में 20 या 30 गोलियां आती है. AK-203 में 30 राउंड आती है.
विनाश के हथियार के नाम से बदनाम
दुनिया में अनुमान के तौर पर अब तक 10 करोड़ से ज्यादा इन राइफलों का उत्पादन हो चुका है. पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद 1947 में सोवियत संघ ने इसके डिजाइन को मंजूरी दी थी. मिखाइल कलाशनिकोव ने इसे इजाद किया था. रूसी भाष में AK का पूरा नाम एवतोमैत कलाशनिकोव है. इसका अंग्रेजी मेंअर्थ ऑटोमेटिक कलाशनिकोव है. इस वेपन को रूस वेपन ऑफ पीस जब्की अमेरिका इसे वेपन ऑफ डिस्ट्रक्शन बताता है.
First Published :
February 20, 2025, 12:44 IST