Last Updated:August 15, 2025, 06:37 IST
Kishtwar Cloudburst Photos: कुदरत का कहर कैसा होता है? यह देखना हो तो किश्तवाड़ में आई तबाही को देखिए. ऐसी तबाही, जिसमें जिंदगियां अचानक मलबे में दफन हो गईं. मलबों के अंदर चीख-पुकार के बाद भी सांसें थम गईं. मदद की आवाज भी बाहर न पहुंच सकी. देखते ही देखते 47 लोग काल के गाल में समा गए. जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने से आई तबाही से हर ओर आंसू के सैलाब हैं.

किश्तवाड़ त्रासदी के दर्द को लोग फील कर रहे हैं. त्रासदी की तस्वीरों को देख हर इंसान की जुबान से एक ही आवाज निकलती है. आह ये क्या हो गया. किश्तवाड़ से उस त्रासदी की जो तस्वीरें सामने आई हैं, उसे देखकर कलेजा फटा जा रहा है. वहां के मंजर ने लोगों के दर्द को और बढ़ा दिया है.

Kishtwar cloudburst: ऐ, खुदा. जम्मू-कश्मीर में ये क्या हो गया. किश्तवाड़ में आखिर इन मासूमों का गुनाह क्या था. कुदरत इतना बेदर्द होगा, यह कैसे कोई यकीन करे. किश्तवाड़ में आसमान ने मौत की ऐसी बारिश की कि देखते ही देखते लोग काल के गाल में समा गए. किश्तवाड़ जिले के एक सुदूर पहाड़ी गांव चशोती में गुरुवार को बादल फटने से सीआईएसएफ के दो जवानों समेत कम से कम 47 लोगों की मौत हो गई. कई अन्य के अब भी फंसे होने की आशंका है. माना जा रहा है कि मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है.

इन तस्वीरों को गौर से देखिए. ऐसा लग रहा है कि धरती का सीना चीरकर यह बच्चा निकला हो. यह तस्वीर देखकर दर्द भी होता है और सुकून भी. दर्द यह कि इस बच्चे ने मलबे के भीतर मौत को अपनी आंखों के सामने देखा. हालांकि, उसके जज्बे और रेस्क्यू ऑपरेशन की टीम को सलाम है कि अब यह बच्चा सबके सामने है.

किश्तवाड़ का चशोती गांव शहर से करीब 90 किलोमीटर दूर है. यहां श्रद्धालुओं के लिए लगाया गया एक लंगर इस तबाही से सबसे अधिक प्रभावित हुआ. बादल फटने के कारण अचानक बाढ़ आ गई और दुकानों और एक सुरक्षा चौकी सहित कई इमारतें बह गईं. कीचड़ भरे पानी, गाद और मलबे की बाढ़ ने तबाही मचा दी. उसके रास्ते में आने वाली हर चीज तबाह हो गई. जिंदगियां मलबों में दब गईं. घर ताश के पत्तों की तरह ढह गए. सड़कें और बचाव मार्ग अवरुद्ध हो गए. तबाही ने हरे-भरे परिदृश्य को गहरे भूरे-धूसर रंग में बदल दिया.

तस्वीर में दिख रहा यह शख्स ही तबाही के मंजर को बयां करने के लिए काफी है. जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के अथोली में बादल फटने के बाद बचाया गया यह घायल शख्स मौत को मात देकर आया है. अभी वह अस्पताल में है और उसका इलाज हो रहा है. मगर इसकी यह झलक देख किसकी छाती न फटे.

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में बादल फटने के बाद रेस्क्यू टीम ने कैसे मौत के मुंह से इन लोगों को बचाया है, यह तस्वीर उसकी गवाही है. अथोली के एक अस्पताल में इलाज करा रहे छह साल के बच्चे सहित ये घायल लोग उस त्रासदी के दर्द को बयां कर रहे हैं.

बादल फटने से आई तबाही से हर ओर चीख-पुकार मच गई. अब तक उस मंजर को लोग भूल नहीं पा रहे हैं. जैसे-जैसे रेस्क्यू ऑपेरशन आगे बढ़ रहा है, मंजर और भयावह होते जा रहे हैं. मलबों में जिंदगियां दफन है. अब तक 47 शव निकाले गए हैं. कई और शव देखे गए हैं, जिन्हें निकालने की जद्दोजहद जारी है. मलबों में अब भी जिंदगियां ढूंढी जा रही है. यही वजह है कि सूर्यास्त होने तक चशोती गांव से अब तक 167 लोगों को निकाल गया है.

अधिकारियों की मानें तो 38 की हालत गंभीर है. जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, मृतकों की संख्या लगातार बढ़ती गई और आशंका है कि यह और बढ़ सकती है. मचैल माता मंदिर जाने वाले रास्ते के चशोती गांव में यह आपदा दोपहर 12 बजे से एक बजे के बीच आई. हादसे के समय मचैल माता यात्रा के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे.

साढ़े नौ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित मचैल माता मंदिर तक जाने के लिए श्रद्धालु चशोती गांव तक वाहन से पहुंच सकते हैं, उसके बाद उन्हें 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है. उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के धराली गांव में अचानक आई बाढ़ के नौ दिन बाद ही हिमालय की नाजुक ढलानों पर यह तबाही देखने को मिली है. पांच अगस्त को उत्तराखंड में आई उस आपदा में एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है, लेकिन 68 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं.
First Published :
August 15, 2025, 06:37 IST