Most Creepy Punishments: कानून और सज का असल मकसद इंसाफ को बनाए रखना, जुर्म को रोकना और लोगों को सही रास्ते पर वापस लाना है. बावजूद, इसके हर रोज कई जुर्म की खौफनाक खबरें आती रहती हैं. लेकिन आज हम आपको हुक्मरानों और उसकी हुकूमतों की कुछ ऐसी क्रूर सजाओं के बारे में बताएंगे, जो आज भी रीढ़ की हड्डी में सिहरन पैदा कर देती हैं. ये महज सजाएं नहीं थीं, बल्कि ऐसी कठिन परीक्षाएं थीं जहां किसी इंसान को जिंदा रहना ही यातना था. हज़ारों टुकड़ों में काटे जाने से लेकर ज़िंदा जलाए जाने तक, ये सज़ाएं गुजरे हुए जमाने में न्याय प्रणालियों की भयावह सच्चाई थीं.
‘हजारों कटों से मौत’
प्राचीन चीन में ‘लिंगची’ या ‘हजारों कटों से मौत’ नामक सजा का प्रचलन सबसे ज्यादा था. मुजरिम के शरीर को चाकू से धीरे-धीरे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता था. इस प्रोसेस को जानबूझकर इतना लंबा खींचा जाता था कि शख्स को असहनीय दर्द हो. इस सजा का मकसद सिर्फ़ मारना नहीं था बल्कि दर्द पहुंचाना और दूसरों को चेतावनी देना था.
कांसे के बर्तन के अंदर जिंदा जलाना
वहीं, प्राचीन ग्रीस में एक खोखला कांसे का बर्तन के अंदर मुजरिम को बंद कर दिया जाता था और उसके नीचे आग जला दी जाती थी. जैसे ही बर्तन गर्म होती थी, अंदर मौजूद मुजरिम ज़िंदा जलकर खाक हो जाता था. बॉल को इस तरह से डिज़ाइन किया गया था कि पीड़ित की चीखें दहाड़ते हुए बॉल की तरह गूंजती थीं, जो काफी भयावह था. यह तरीका इतना भयानक था कि इसका ज़िक्र करते ही लोग जुर्म करने से कतराने लगते थे.
कीड़ों से मौत
इसी तरह से फारस में भी सजा देने का एक भयानक तरीका था, जिसमें मुजरिम के शरीर पर दूध और शहद लगाया जाता था. शख्स को दो लकड़ी की नावों के बीच में बंद कर दिया जाता था, जिससे मक्खियां, चींटियां और अन्य कीड़े आकर्षित होते थे. वक्त के साथ ये कीड़े शख्स को ज़िंदा खाना शुरू कर देते थे और उसे दर्दनाक मौत देते थे. सबसे डरावना यह था कि इसमें कई दिन या हफ़्ते भी लगते थे.
पत्थर मारकर मौत
कई देशों में ऐतिहासिक रूप से रेप या मजहबी जुर्म के लिए पत्थर मारकर मौत की सजा दी जाती थी. इस दौरान मुजरिम को खुले मैदान में रख दिया जाता था और लोग तब तक उन पर पत्थर फेंकते थे जब तक कि उनकी मौत नहीं हो जाती. यह क्रूर सजा अक्सर डर पैदा करने के लिए सार्वजनिक रूप से दी जाती थी. पत्थर मारने की यह सजा दुनिया के कुछ हिस्सों में अभी जारी है.
चूहों से यातना
मध्ययुगीन यूरोप में मौत की सजा देने का एक खास और भयानक तरीका था, जो चूहों से जुड़ा हुआ था. मुजरिम के पेट पर एक कंटेनर में एक जिंदा चूहा रखा जाता था और फिर कंटेनर को ऊपर से गर्म किया जाता था. घबराहट में चूहा व्यक्ति के शरीर में घुसकर भागने की कोशिश करता था. इस तरह से उसकी दर्दनाका मौत हो जाती थी. इस तरीके से मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की यातनाएं दी जाती थीं.
आज इन सज़ाओं के बारे में क्या?
आज की दुनिया में मानवाधिकार संगठन ऐसे क्रूर सजा को लेकर खड़ा रहता है. वहीं, संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन अधिकांश देशों के साथ अब ऐसे अमानवीय दंडों की निंदा करते हैं. आधुनिक कानूनी प्रणालियां आमतौर पर मौत की सजा, उम्रकैद या जुर्माने जैसी सज़ाओं पर निर्भर करती हैं. हालांकि, कुछ देश अभी भी कोड़े मारने, अंग काटने या यहां तक कि पत्थर मारने जैसी प्रथाओं जारी हैं. अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बावजूद, कई देश अपने कानूनी या धार्मिक कानूनों के तहत ऐसी सज़ाएं जारी रखी हैं.