कौन सी है भारत की वो अकेली नदी जिसका पानी है पीने लायक, अफसोस गंगा नहीं है वो

1 day ago

Last Updated:February 20, 2025, 16:09 IST

Umngot River: मेघालय में बहने वाली उमनगोट नदी भारत की सबसे साफ नदी है. गंगा और यमुना का पानी पीने लायक नहीं बचा है. यहां तक कि उसमें ऑक्सीजन की कमी के कारण जलीय जीवों पर संकट आ गया है. उमनगोट के साफ होने का कार...और पढ़ें

कौन सी है भारत की वो अकेली नदी जिसका पानी है पीने लायक, अफसोस गंगा नहीं है वो

उमनगोट नदी अपनी अत्यधिक पारदर्शिता और साफ पानी के लिए प्रसिद्ध है.

हाइलाइट्स

उमनगोट नदी भारत की सबसे साफ नदी हैगंगा और यमुना का पानी पीने लायक नहीं हैघने जंगलों से होकर बहने की वजह से है साफ

Umngot River: प्रयागराज में गंगा और यमुना के पानी को लेकर केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने जो रिपोर्ट दी है, वो चिंताजनक है. इस समय प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है और वहां पर नदियों के पानी में फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया का स्तर काफी बढ़ा हुआ पाया गया है. फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया जानवरों और मनुष्यों के मल से पैदा होते हैं. ज्यादातर नदियों में प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे इसमें रहने वाले जीवों के लिए खतरा पैदा हो गया है. प्रदूषण के कारण ऑक्सीजन का स्तर कम हो रहा है. वाराणसी में अस्सी घाट पर गंगा में ऑक्सीजन का स्तर 3 मिग्रा/लीटर से भी कम पाया गया, जो सामान्य स्तर से कम है. पानी में ऑक्सीजन का स्तर सामान्य तौर पर 7 से 8 मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए. कानपुर में स्थिति और भी खराब है. गंगा के जल स्तर में ऑक्सीजन की कमी का कारण सीवेज और ड्रेनेज सिस्टम है, जिसके जरिये कार्बन और प्रदूषित तत्व आसानी से पानी में घुल रहे हैं.

नदियों में ऑक्सीजन का स्तर गिरने से जलीय जीवन प्रभावित होता है और पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता है. उत्तर प्रदेश की एक मुख्य नदी गोमती में प्रदूषण के कारण मछलियों की 35 प्रजातियां गायब हो गई हैं. गोमती नदी के पानी में ऑक्सीजन का स्तर 3 से 4 मिलीग्राम प्रति लीटर मिला है. नदियों के जल में ऑक्सीजन की कमी जलीय जीवों के लिए भी संकट है. साथ ही प्रदूषण की वजह से ज्यादातर नदियों का पानी पीने लायक नहीं रह गया है. 

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गंगा-यमुना का पानी पीने लायक नहीं
इसलिए, यदि आप भारत में किसी नदी का पानी पीने की योजना बना रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि वो नदी प्रदूषण से मुक्त हो और उसके पानी की गुणवत्ता की पुष्टि हो चुकी हो. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने कई नदियों के पानी की गुणवत्ता की जांच की है और पाया है कि गंगा और यमुना जैसी प्रमुख नदियों का पानी सीधे पीने के लिए सुरक्षित नहीं है. इसलिए, इन नदियों के पानी को पीने से पहले उसकी गुणवत्ता की जांच करना जरूरी है. भारत में कुछ नदियां हैं जिनका पानी सीधे पीने के लिए उपयुक्त माना जाता है. लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि अधिकांश नदियों का पानी प्रदूषण के कारण पीने के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है. 

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उमनगोट है सबसे साफ नदी
मेघालय की उमनगोट नदी अपनी अत्यधिक पारदर्शिता और साफ पानी के लिए प्रसिद्ध है. इसे भारत की सबसे साफ नदी माना जाता है. इसके अलावा केन नदी भी अपने साफ पानी के लिए जानी जाती है. कई स्थानों पर इसका पानी पीने के लिए उपयुक्त माना जाता है. भागीरथी नदी, जिसे गंगा का उदगम माना जाता है, इसका पानी कई स्थानों पर साफ और पीने योग्य है. कावेरी का पानी भी कुछ क्षेत्रों में पीने के लिए उपयुक्त हो सकता है. हालांकि यह स्थान विशेष पर निर्भर करता है. नर्मदा नदी का पानी भी कई स्थानों पर साफ है, लेकिन इसके विभिन्न हिस्सों में प्रदूषण की समस्या हो सकती है. 

शीशे की तरह चमकता है इस नदी का पानी.

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कैसे साफ रहती है उमनगोट
उमनगोट नदी को एशिया की सबसे साफ नदियों में से एक के तौर पर जाना जाता है. अपने क्रिस्टल-साफ पानी के लिए जानी जाने वाली यह नदी कम भीड़भाड़ वाली मानव बस्तियों वाले क्षेत्रों से होकर बहती है, जो इसकी शुद्धता बनाए रखने में मदद करती है. नदी में ऑक्सीजन का स्तर कई अन्य नदियों की तुलना में अधिक है. विरल जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों से होकर बहने के कारण उमनगोट नदी पर शहरीकरण और औद्योगीकरण का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है. इसीलिए यह हानिकारक रसायनों या प्रदूषकों से बची रहती है. 

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फिल्टर का काम करते हैं जंगल
ये नदी घने जंगलों से घिरी है जो प्राकृतिक फिल्टर के रूप में काम करते हैं. पेड़ों और पौधों की जड़ें तलछट और प्रदूषकों को पानी में प्रवेश करने से पहले फंसाने में मदद करती हैं. इस क्षेत्र की मिट्टी कार्बनिक पदार्थों से भरपूर है, जो प्राकृतिक फिल्ट्रेशन प्रक्रिया में योगदान करती है. उमनगोट नदी में तेज धारा होती है, जो ठहराव को रोकने में मदद करती है. यह गतिशील प्रवाह एल्गी यानी शैवाल के विकास और तलछट में उसके जमा होने की संभावना को कम करता है. तेजी से बहने वाला पानी उच्च स्तर के घुलित ऑक्सीजन को बनाए रखता है. ऑक्सीजन का स्तर जलीय जीवन को बनाए रखता है और पानी को साफ रखने में मदद करता है.

उमनगोट नदी का स्थानीय समुदायों के लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है.

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सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व
उमनगोट नदी का स्थानीय समुदायों के लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है, जिससे इसकी शुद्धता की रक्षा के लिए एक सामूहिक प्रयास होता है. यहां आने वाले टूरिस्टों के लिए पर्यावरण पर उनके प्रभाव को कम करने के लिए दिशानिर्देश शामिल होते हैं, जो नदी की स्वच्छता में और योगदान करते हैं. ये कारक मिलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि उमनगोट नदी भारत की सबसे साफ नदियों में से एक बनी रहे. ये नदी न केवल एक अद्भुत प्राकृतिक परिदृश्य प्रदान करती है, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र और यहां रहने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन भी है.

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केवल 82 किमी बहती है ये नदी
उमनगोट मेघालय में बहने वाली एकमात्र नदी है. ये राज्य में गोयाइन नामक स्थान से निकलती है और 82 किमी का सफर तय करने के बाद भारत-बांग्लादेश की सीमा पर विलुप्त हो जाती है. इसे डॉकी नदी भी कहा जाता है. यह डॉकी से होकर निकलती है, जो पश्चिम जयन्तिया हिल्स जिले में एक छोटी बस्ती है. डॉकी में नदी को पार करने के लिए एक पुल है, जिसका निर्माण 1932 में हुआ था.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

February 20, 2025, 16:09 IST

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