Last Updated:April 29, 2025, 09:26 IST
Commonwealth Games Scam: मनमोहन सिंह की सरकार पर कई तरह के घोटाले का आरोप लगा था. साल 2010 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले के छींटे कांग्रेस पर कुछ इस तरह पड़े कि पार्टी आज तक केंद्र में सरकार नहीं बना सकी है.

कॉमनवेल्थ गेम्स स्कैम तत्कालीन मनमोहन सिंह की सरकार की ताबूत में आखिरी कील साबित हुई थी. अब इस घोटाले का मास्टरमाइंड कहे जाने वाले सुरेश कलमाड़ी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है.
हाइलाइट्स
कॉमनवेल्थ गेम्स-2010 घोटाले के आरोपी सुरेश कलमाड़ी के खिलाफ नहीं मिले सबूतED ने सबूत न मिलने के चलते कलमाड़ी के खिलाफ कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कीकॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले की वजह से केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार चली गई थीनई दिल्ली. देश को साल 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी करने का मौका मिला था तो पूरे भारत में इसको लेकर उत्साह था. हर तरफ इसकी ही चर्चा होने लगी थी. सरकार ने कॉमनवेल्थ गेम्स का सफल बनाने के लिए तमाम तरह के दावे भी किए थे. उस समय देश की बागडोर दिवंगत मनमोहन सिंह के हाथों में थी. वह लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे, ऐसे में उनसे काफी उम्मीदें थीं. आखिरकार वो पल भी आया जब दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स का आगाज हुआ. इससे पहले इसकी व्यवस्था को लेकर काफी सवाल उठे. हजारों करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगा. इसके लिए मनमोहन सिंह की सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया. कॉमनवेल्थ गेम्स-2010 की ऑगे्रनाइजिंग कमेटी के प्रमुख सुरेश कलमाड़ी पर गंभीर आरोप लगे थे. मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी सुरेश कलमाड़ी के खिलाफ जांच भी बिठाई गई. ED को सालों के बाद भी कलमाड़ी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले. इसके बाद जांच एजेंसी ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. बता दें कि कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले की आंच से मनमोहन सरकार उबर नहीं सकी और साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की विदाई हो गई थी.
साल 2010 में भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स देश के लिए एक गौरवपूर्ण अवसर था, लेकिन आयोजन के दौरान भारी घोटाले के आरोपों ने इस उपलब्धि को गहरा धक्का पहुंचाया. इस घोटाले ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार और खासकर आयोजन समिति (OC) के प्रमुख अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए. बता दें कि कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए तय बजट लगभग ₹1,100 करोड़ था, लेकिन आयोजन के समय तक खर्च बढ़कर ₹70,000 करोड़ से भी ज्यादा पहुंच गया था. आरोप लग कि निर्माण कार्यों के लिए अत्यधिक दरों पर ठेके दिए गए और फर्जी बिलों के ज़रिए पैसों की हेराफेरी की गई. इसके अलावा निर्माण कार्य में घटिया सामग्री के इस्तेमाल का भी आरोप लगा था. कथित भ्रष्टाचार के चलते समयसीमा में देरी और गुणवत्ता में भारी गिरावट आई थी.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 29, 2025, 09:26 IST