जानें राजपूत राजा राणा सांगा के बारे में 10 बड़ी बातें, जिन्हें लेकर छिड़ी बहस

3 days ago

 Rajput King Rana Sanga: पिछले कुछ दिनों में भारत में मध्यकालीन इतिहास को लेकर गरमागरम बहस देखने को मिली है. बहस की शुरुआत हुई थी मुगल बादशाह औरंगजेब के शासन और उसकी कब्र को लेकर जो राजपूत शासक राणा सांगा तक पहुंच गई. समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद रामजी लाल सुमन ने संसद में राणा सांगा को ‘देशद्रोही’ कहा. उन्होंने दावा किया कि राणा सांगा ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया था. इस टिप्पणी ने एक बड़े विवाद को जन्म दिया और लंबे समय से चली आ रही बहस को फिर से हवा दे दी.

क्या राणा सांगा ने वाकई बाबर को इब्राहिम लोदी को हराने के लिए आमंत्रित किया था?  यहां जानें राणा सांगा के बारे में ऐतिहासिक तथ्य…

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1 राणा सांगा का पूरा नाम राणा संग्राम सिंह था. उनके पिता का नाम राणा रायमल था. कहते हैं, मेवाड़ को उन्होंने राजनीतिक स्थिरता और समृद्धि दी. राणा सांगा की मां का नाम रानी रानी रतन कुंवर था. हालांकि समकालीन ग्रंथों में उनके जन्म के वर्ष का उल्लेख नहीं है. लेकिन इतिहासकार गौरीशंकर हीराचंद ओझा की गणना के अनुसार सांगा के जन्म का वर्ष 1482 था. राणा सांगा 1508 में मेवाड़ के शासक बने थे. उन्होंने अपने जीवन काल में 100 से अधिक लड़ाइयां लड़ी थीं. खानवा (16 मार्च, 1527) के अलावा किसी अन्य युद्ध में उनकी हार नहीं हुई.  उनके शरीर पर 80 से अधिक घाव थे. उनकी एक आंख, एक हाथ नहीं था. एक पैर काम नहीं करता था. 

2 राणा सांगा की तीन रानियां थीं, जिनमें रानी कर्णावती ने इतिहास में बड़ी पहचान बनाई. जनवरी,1528 में राणा सांगा की मृत्यु जहर दिए जाने की वजह से हो गई. राणा सांगा के निधन के बाद रानी कर्णावती ने मेवाड़ का शासन संभाला था. उन्हीं के बेटे उदय सिंह थे, जिन्होने उदयपुर बसाया.

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3 कर्नल जेम्स टाड के अनुसार राणा सांगा के राज्य मेवाड़ की सीमा पूरब में आगरा और दक्षिण में गुजरात तक थी. दिल्ली, मालवा, गुजरात के सुल्तानों के साथ उन्होंने 18 युद्ध लड़े और सभी में विजयी रहे. राणा सांगा ने 1517 में खतोली और 1518-19 में धौलपुर में दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराया था. राणा सांगा ने मालवा के शासक महमूद खिलजी द्वितीय को 1517 और 1519 में ईडर और गागरोन में हुई लड़ाइयों में हराकर दो माह तक बंधक बनाकर रखा. साल 1520 में ईडर के निजाम खान की सेना को हराया.

4 बाबर ने संभावित विस्तार क्षेत्र के रूप में दक्षिण-पूर्व में पंजाब की ओर देखा. 1519 तक, वह चेनाब नदी तक पहुंच गया था, जो उत्तरी भारत में उसके आक्रमण की शुरुआत थी. उस समय, इब्राहिम लोदी के अधीन दिल्ली सल्तनत में उथल-पुथल मची हुई थी. लोदी की सख्त केंद्रीकरण नीतियों ने प्रमुख सरदारों को अलग-थलग कर दिया था, जिनमें पंजाब के गवर्नर दौलत खान लोदी भी शामिल थे, जिन्होंने इब्राहिम को उखाड़ फेंकने के लिए बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया था. आलम खान लोदी ने भी बाबर को आमंत्रित किया था.

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5 इतिहासकार इस बात पर असहमत हैं कि राणा सांगा ने बाबर को स्पष्ट रूप से आमंत्रित किया था या नहीं. बाबर के संस्मरण, बाबरनामा में राणा सांगा की ओर से शुभकामनाएं और प्रस्ताव का उल्लेख है. बाबरनामा के अनुसार, राणा सांगा ने बाबर को लिखा था, “यदि माननीय पादशाह उस ओर से दिल्ली के निकट आएंगे, तो मैं इस ओर से आगरा की ओर बढ़ जाऊंगा.” लेकिन संस्मरण के अलावा अन्य ऐतिहासिक अभिलेख इन दावों की पुष्टि नहीं करते. सतीश चंद्र जैसे आधुनिक इतिहासकारों का तर्क है कि राणा सांगा ने संभवतः बाबर को औपचारिक रूप से आमंत्रित करने के बजाय लोदियों के साथ उसके संघर्ष का लाभ उठाने की कोशिश की थी.

6 राणा सांगा और बाबर का पहली बार आमना-सामना 21 फरवरी, 1527 को बयाना में हुआ. इस युद्ध में राणा सांगा ने बाबर को बुरी तरह हराया था.बाबर हारकर आगरा लौट गया. अपनी आत्मकथा ‘बाबरनामा’ में बाबर ने खुद इस युद्ध का वर्णन किया है. बयाना की हार के बाद बाबर ने इस्लाम के नाम पर अपने सैनिकों को एक किया और शराब नहीं पीने की कसम खाई.

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7 खानवा के मैदान में 16 मार्च, 1527 को राणा सांगा और बाबर की सेनाओं का फिर आमना-सामना हुआ. इस युद्ध में बाबर तोप और बंदूकों से लड़ा, जबकि राजपूत तलवारों से. राणा सांगा एक तीर लगने से बेहोश हो गए, जिससे उनकी सेना का हौसला टूट गया. इस युद्ध में बाबर की जीत हुई.

8 राणा सांगा के बेटे और उत्तराधिकारी राणा उदय सिंह की कहानी मेवाड़ की लोककथाओं का अहम हिस्सा है. कहते हैं, जब वह बिल्कुल दूधमुंहे बच्चे थे, तब राणा सांगा का भतीजा बनवीर सिंह उन्हें मारने आया था, लेकिन उदय सिंह की देखभाल करने वाली पन्ना धाय ने उनकी जान बचाई. अपने बच्चे को उन्होंने बनवीर की तलवार का निशाना बन जाने दिया. राणा सांगा की मृत्यु के बाद, कमजोर शासकों के कारण बनवीर सिंह ने सिंहासन पर अपना दावा किया था. वो उदय सिंह को मारकर गद्दी पर बैठना चाहता था.

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9 राणा सांगा, महाराणा प्रताप के दादा थे. महाराणा प्रताप बहादुर योद्धा थे. वह शारीरिक क्षमता में अद्वितीय थे. उनकी लंबाई 7 फीट और वजन 110 किलोग्राम था. वह 72 किलो का छाती कवच, 81 किलो का भाला और 208 किलो की दो वजनदार तलवारों को लेकर चलते थे. दुश्मन भी ज‍िनके युद्ध-कौशल के कायल थे. जिन्‍होंने मुगल शासक अक‍बर का भी घमंड चूर कर द‍िया. 30 सालों तक लगातार कोशि‍श के बाद भी अकबर उन्‍हें बंदी नहीं बना सका.

10  राणा सांगा ने हिंदुओं से जजिया कर भी हटा दिया जो पहले मुस्लिम शासकों द्वारा लगाया जाता था. राणा सांगा को उत्तरी भारत का अंतिम स्वतंत्र हिंदू राजा माना जाता है, जिसने एक महत्वपूर्ण क्षेत्र पर शासन किया. राणा सांगा को कुछ समकालीन ग्रंथों में ‘हिंदू सम्राट’ बताया गया है.

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