US Tariffs Impact: अमेरिका में स्वास्थ्य सेवाओं की लागत लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में वहां के मरीज सस्ती और गुणवत्तापूर्ण इलाज के लिए दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं. लेकिन अब अमेरिका की नई व्यापार नीतियों और मेडिकल उत्पादों पर भारी टैरिफ ने मेडिकल टूरिज्म इंडस्ट्री पर संकट खड़ा कर दिया है. एक लेटेस्ट रिपोर्ट में इस बदलाव को गंभीर चिंता बताया गया है.
हेल्थकेयर की लागत और भी ज्यादा..
असल में हाल ही में अमेरिका ने चीन से आयातित मेडिकल उपकरणों जैसे कि सर्जिकल ग्लव्स, सीरिंज और फेस मास्क पर भारी टैरिफ लगाया है. इन जरूरी सामानों पर शुल्क बढ़ने से अमेरिका में हेल्थकेयर की लागत और भी ज्यादा हो गई है. इससे अस्पतालों की खरीद प्रक्रिया बाधित हुई है और देशभर में स्वास्थ्य सेवाएं महंगी हो गई हैं. ग्लोबलडाटा की रिपोर्ट के मुताबिक इससे मरीजों की जेब पर सीधा असर पड़ा है.
ऐसे हालात में अमेरिकी मरीज अब भारत, थाईलैंड, मेक्सिको और कोस्टा रिका जैसे देशों में इलाज कराने की सोच रहे हैं. उदाहरण के तौर पर अमेरिका में घुटने के रिप्लेसमेंट की सर्जरी की कीमत 50,000 डॉलर से ऊपर है. जबकि भारत या मेक्सिको में यही इलाज सिर्फ 8,000 से 12,000 डॉलर में हो जाता है. इस तरह का अंतर मरीजों को विदेश जाने के लिए आर्थिक रूप से प्रेरित कर रहा है.
स्वास्थ्य व्यवस्था को बदल रही..
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका की यह टैरिफ नीति केवल चीन से व्यापार को ही नहीं बल्कि अमेरिका की घरेलू स्वास्थ्य व्यवस्था को भी बदल रही है. बिना बीमा या कम बीमा वाले लोगों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है. ग्लोबलडाटा की सीनियर मेडिकल एनालिस्ट एलेक्जेंड्रा मर्डोक ने कहा कि भले ही टैरिफ का मकसद हेल्थ सेक्टर को प्रभावित करना नहीं था लेकिन इससे मरीजों की सोच और फैसले जरूर बदल गए हैं.
अब मेडिकल टूरिज्म एक विकल्प नहीं बल्कि जरूरत बनता जा रहा है. आने वाले समय में अगर टैरिफ की ये नीति जारी रही तो अमेरिका से बाहर इलाज कराने वालों की संख्या और तेजी से बढ़ सकती है. जिसका सीधा फायदा भारत जैसे देशों को मिल सकता है. आईएनएस इनपुट