Last Updated:March 25, 2025, 07:04 IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने शादी का झांसा देकर रेप का केस रद्द कराने की कोशिश करने वाले शख्स की याचिका खारिज की. कोर्ट ने कहा कि ये पक्षपाती सोच है और आरोपी को जिम्मेदारी से भागने का मौका देती है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप केस रद्द करने की याचिका खारिज की
हाइलाइट्स
दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप केस रद्द करने की याचिका खारिज की.कोर्ट ने आरोपी की पक्षपाती सोच की निंदा की.आरोपी ने शादी का झांसा देकर संबंध बनाए थे.नई दिल्ली: एक शख्स ने लड़की को प्रेम जाल में फंसाया, उसके साथ संबंध बनाए और अब शादी से इनकार कर दिया. इसके बाद लड़की ने रेप का केस दर्ज कराया. रेप का केस रद्द कराना शख्स हाईकोर्ट पहुंच गया. इस पर हाईकोर्ट ने उसे उल्टे पांव दौड़ा दिया. दिल्ली हाईकोर्ट ने एक शख्स की ओर से रेप केस को रद्द कराने की कोशिश की निंदा की है. दरअसल, उस शख्स का कहना था कि लड़की उसे लेकर जूनूनी यानी पागल थी. वह एकतरफा शादी की चाहत रखती थी. इस पर कोर्ट ने कहा कि ये सोच महिलाओं के प्रति घोर पक्षपाती है क्योंकि ये गलत तरीके से पीड़िता पर ही सारा दोष मढ़ता है और आरोपी को जिम्मेदारी से भागने का मौका देता है.
एफआईआर रद्द करने से इनकार करते हुए जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि एक पुरुष द्वारा शादी का वादा करने पर एक महिला का रिश्ते में आने का फैसला, उस वक्त ‘जुनून’ नहीं कहलाएगा जब पुरुष बाद में अपनी बात से मुकर जाए. जस्टिस शर्मा ने कहा कि ‘ऐसे तर्क में न केवल कानूनी वैधता का अभाव है, बल्कि यह एक ऐसी पक्षपाती सोच को दर्शाता है जो याचिकाकर्ता को जवाबदेही से मुक्त करते हुए पीड़िता पर अनुचित बोझ डालना चाहता है.’ उनका ये फैसला 20 मार्च को सुनाया गया था और बाद में रिलीज किया गया था.
यह मामला 2021 में एक महिला की ओर से धारा 376 (बलात्कार) के तहत एक व्यक्ति पर आरोप लगाते हुए दर्ज कराई गई प्राथमिकी से जुड़ा है. अपनी शिकायत में महिला ने आरोप लगाया था कि उस शख्स ने शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और बाद में अपनी बात से मुकर गया. हाईकोर्ट में अपनी याचिका में उस शख्स ने दावा किया कि पीड़िता को उनकी शादी में आने वाली संभावित बाधाओं, जैसे कि आर्थिक तंगी और उम्र के अंतर के कारण पारिवारिक विरोध के बारे में पूरी जानकारी थी. उसने आगे दावा किया कि महिला उसके साथ ‘पागल’ यानी जुनूनी थी.
पुलिस ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उस शख्स पर लगे आरोप गंभीर हैं और पहली नज़र में ही ये साबित होता है कि उसने झूठे वादे करके पीड़िता को रिश्ते में फंसाया. अपने नौ पन्नों के आदेश में, अदालत ने उस शख्स की दलीलों को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि, ‘यह दलील कि एक महिला को अतिरिक्त जिम्मेदारी लेनी चाहिए और शादी से संबंधित कठिनाइयों का पूर्वाभास करना चाहिए क्योंकि वह अपने साथी से बड़ी है, पितृसत्तात्मक और कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण आधार पर आधारित है.’
शख्स के वकील ने कहा था कि एक महिला को अतिरिक्त जिम्मेदारी लेनी चाहिए और सिर्फ इसलिए शादी से जुड़ी दिक्कतों का अंदाजा पहले से लगा लेना चाहिए क्योंकि वो अपने पार्टनर से उम्र में बड़ी है. इस पर कोर्ट ने कहा कि ये पितृसत्तात्मक और कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण आधार है. आदेश में आगे कहा गया कि इस तरह की दलील न केवल कानूनी रूप से गलत है बल्कि एक महिला विरोधी दृष्टिकोण को भी दर्शाती है जो पीड़िता पर अनुचित बोझ डालना चाहती है, जबकि याचिकाकर्ता को उसके आश्वासन और आचरण के लिए जवाबदेही से मुक्त करना चाहती है.’
मामले से जुड़े तथ्यों और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने कहा कि इस स्तर पर प्राथमिकी को रद्द करने का कोई औचित्य नहीं है और उसने व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी. आरोप है कि व्यक्ति ने 2018 से 2021 के बीच महिला के साथ शादी का झांसा देकर जबरन शारीरिक संबंध बनाए. महिला ने दावा किया कि उसकी दोस्ती व्यक्ति से हुई थी क्योंकि वे सहकर्मी थे और उसने उसे साथ भविष्य बिताने का आश्वासन दिया था और यहां तक कि उसे शादी के मिल रहे बाकी प्रस्तावों को अस्वीकार करने के लिए भी कहा था.
महिला ने कहा कि उसने कई बार व्यक्ति की आर्थिक मदद की, लेकिन उसका व्यवहार अंततः बदल गया और उसने उससे दूरी बनाना शुरू कर दी. महिला का आरोप है कि व्यक्ति ने उससे शादी करने या पैसे चुकाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उसने मई, 2021 में पुलिस में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. उसके वकील ने तर्क दिया कि दोनों के बीच सहमति से संबंध थे और कहा कि महिला को उनकी शादी में आने वाली संभावित बाधाओं के बारे में पता था, जिसमें वित्तीय बाधाएं और परिवार का विरोध शामिल है, खासकर उनकी उम्र के अंतर के कारण.
Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
March 25, 2025, 07:04 IST