Last Updated:July 10, 2025, 09:03 IST
Pappu Yadav Politics in Bihar Chunav: पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव के साथ बिहार बंद के दौरान हुआ वाकया बिहार की सियासत में चर्चा का केंद्र बन गया है. क्या इसके बाद भी पप्पू यादव कांग्रेस का झंडा बुलंद ...और पढ़ें

पप्पू यादव अब क्यों दे रहे है सफाई?
हाइलाइट्स
पप्पू यादव कांग्रेस में कब तक अपमान का घूंट पीकर झंडा उठाते रहेंगे?क्या पप्पू यादव बेटे को राजनीति में लॉन्च करने के लिए अपमान का घूंट पी रहे हैं?तेजस्वी यादव के साथ उनका टकराव बिहार चुनाव में महागठबंधन को नुकसान पहुंचाएगा?पटना. ‘चोट लग गई है बहुत ज्यादा. मेरे पीछे बैक साइड में चोट लग गई. अब एक बात बताइए सभी दल के लोग वहां चढ़े. नाम नहीं था. ये कौन सा अपमान हो गया. जो थॉट प्रोसेस को समझते हैं वह न समझेंगे. हम तो कहीं नहीं हैं. भैया मेरा दुर्भाग्य क्या है जानते हैं…’ ये शब्द पप्पू यादव के हैं, जिनको बुधवार को राहुल गांधी के साथ मंच पर जाने से न रोका ही नहीं गया बल्कि धक्का मार कर भगा दिया गया. वीडियो फूटेज के वायरल होने के बाद अब पप्पू यादव तरह-तरह के तर्क भी दे रहें और गांधी परिवार के साथ रिश्ते की दुहाई भी दे रहे हैं. बोल रहे हैं कि मेरे जिनके साथ रिश्ता है न वह क्या चाहते हैं वह कभी-कभी सोचना पड़ता है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पप्पू यादव किस रिश्ते की बात कर हैं और क्यों उनको अपमान का घूट पीकर भी सोचने की बात बोलना पड़ रहा है?
पटना में 9 जुलाई 2025 को महागठबंधन के बिहार बंद के दौरान पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव के साथ हुआ वाकया बिहार की सियासत में चर्चा का केंद्र बन गया है. बिहार बंद को लेकर आयोजित इस प्रदर्शन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव एक ओपन ट्रक पर सवार थे. पप्पू यादव और कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने जब इस मंच पर चढ़ने की कोशिश की तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें न केवल रोका, बल्कि धक्का देकर नीचे उतार दिया. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने पप्पू यादव की सार्वजनिक फजीहत को और बढ़ा दिया. अब वह नाराज भी हैं और यह भी बोल रहे हैं कि वह अपमान का घूट पीने के लिए ही राजनीति में आए हैं.
पप्पू यादव और राहुल गांधी के रिश्ते
पप्पू यादव ने हमेशा राहुल गांधी को अपना नेता माना है. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने अपनी जन अधिकार पार्टी (जाप) का कांग्रेस में विलय किया था. यह उम्मीद लेकर कि पूर्णिया सीट पर उन्हें कांग्रेस का टिकट मिलेगा. लेकिन राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दबाव में यह सीट राजद के खाते में चली गई. बीमा भारती को टिकट दे दिया गया. नतीजतन, पप्पू यादव ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. खास बात यह है कि बीमा भारीती के प्रचार में तेजस्वी यादव ने एक रैली में यहां तक बोल दिया था कि एनडीए बेशक जीत जाए लेकिन पप्पू यादव यहां से नहीं जीतना चाहिए. इस जीत ने पप्पू यादव की नजर में उनका कद और मजबूत किया. पप्पू यादव ने दिल्ली चुनाव से लेकर झारखंड विधानसभा चुनवा में कांग्रेस और महागठबंधन के लिए प्रचार किया. अभी कुछ दिन पहले पंजाब के लुधियाना सीट पर भी पप्पू यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी के लिए जमकर कैंपेन किया.
लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस में उनकी स्थिति असहज बनी हुई है. पटना चक्का जाम ने तो पप्पू यादव की जग हंसाई कर दी. पटना की घटना कोई पहला मौका नहीं है जब पप्पू यादव को राहुल गांधी के करीब जाने से रोका गया. कई बार पहले भी उन्हें राहुल से मिलने का मौका नहीं मिला. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इसके पीछे तेजस्वी यादव और राजद का दबाव है, जो पप्पू यादव की बढ़ती लोकप्रियता और सक्रियता से असहज हैं. पप्पू यादव का तेज-तर्रार अंदाज और बिहार में दलित, पिछड़ा और गरीब वर्गों के बीच उनकी पकड़ राजद के लिए चुनौती बन सकती है. यह तेजस्वी यादव के लिए असहज है. ऐसे में तेजस्वी यादव ने जान बूझकर बुधवार को पप्पू यादव और कन्हैया कुमार का नाम मंच पर मौजूद नेताओं की लिस्ट से गायब कर दिया.
महागठबंधन की आंतरिक खींचतान
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन में सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर तनाव साफ दिख रहा है. पप्पू यादव ने बार-बार कहा है कि कांग्रेस को ‘बड़े भाई’ की भूमिका निभानी चाहिए और कम से कम 90-100 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए. उनका यह बयान राजद के लिए असहजता का सबब है, जो खुद को गठबंधन का नेतृत्वकर्ता मानता है. तेजस्वी यादव की सक्रियता और युवा वोटरों के बीच उनकी अपील ने राजद को महागठबंधन का केंद्रीय चेहरा बना दिया है, लेकिन पप्पू यादव और कन्हैया कुमार जैसे नेताओं की महत्वाकांक्षा गठबंधन की एकता पर सवाल उठा रही है.
कुलमलिाकार पटना की घटना में पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को मंच से दूर रखना आरजेडी की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. यह घटना गठबंधन के भीतर नेतृत्व और प्रभाव की जंग को उजागर करती है. पप्पू यादव का यह कहना कि ‘मेरे जिनके साथ रिश्ता है, वह क्या चाहता है, वह सोचना पड़ता है,’ शायद राहुल गांधी या कांग्रेस हाईकमान के प्रति उनकी वफादारी और गठबंधन की मजबूरियों की ओर इशारा करता है या फिर इस घटना के बाद राहुल गांधी या प्रियंका गांधी ने उनको फोनकर इसके लिए खेद जताया हो. ऐसे में पप्पू यादव का अपमान सहकर भी राहुल गांधी के प्रति वफादारी जताना उनकी दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है. कुछ लोग इसे उनके बेटे को सियासत में स्थापित करने की कोशिश से जोड़ते हैं. दूसरी ओर, यह उनकी मजबूरी भी हो सकती है, क्योंकि निर्दलीय सांसद के रूप में उनकी सियासी ताकत सीमित है और कांग्रेस ही उनकी सबसे बड़ी उम्मीद है.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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