Last Updated:April 29, 2025, 11:06 IST
भाजपा ने आंध्र प्रदेश राज्यसभा उपचुनाव के लिए स्मृति ईरानी और अन्ना मलाई को दरकिनार कर पुराने कार्यकर्ता पाका वेंकट सत्यनारायण को उम्मीदवार बनाया है. सत्यनारायण ओबीसी समुदाय से हैं.

स्मृति ईरानी राज्यसभा की प्रबल दावेदार बताई जा रही थीं.
हाइलाइट्स
भाजपा ने पाका वेंकट सत्यनारायण को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया.सत्यनारायण ओबीसी समुदाय से हैं और पुराने आरएसएस कार्यकर्ता हैं.स्मृति ईरानी और अन्ना मलाई को दरकिनार किया गया.भारतीय जनता पार्टी इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है. इसके बारे में कहा जाता है कि वह कार्यकर्ताओं को तरजीह देने वाली पार्टी है. यह बात कई मौकों पर सही साबित भी हुई है. इस बार भी पार्टी कुछ इसी राह पर चलती दिख रही है. पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता स्मृति ईरानी और तमिनलाडु में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अन्ना मलाई को दरकिनार कर एक खांटी जमीनी कार्यकर्ता को एक बड़ा पद देने की तैयारी कर ली है. अन्ना मलाई पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा की एक्टिव सेवा छोड़कर भाजपा ज्वाइन की था.
दरअसल, आंध्र प्रदेश में राज्यसभा के लिए उपचुनाव होने जा रहे हैं. यह सीट वाईएसआर कांग्रेस के नेता वी विजयसाई रेड्डी के इस्तीफे के बाद खाली हुई है. इस सीट के लिए राजनीति के गलियारे में दो नामों की सबसे अधिक चर्चा थी. इसमें सबसे अहम नाम स्मृति ईरानी का था. बीते लोकसभा चुनाव में वह अमेठी से चुनाव हार गई थीं. 2019 में उन्होंने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को हराकर बड़ी जीत हासिल की थी. लेकिन, 2024 में राहुल गांधी ने अमेठी की सीट छोड़ दी. वह रायबरेली चले गए. अमेठी से कांग्रेस ने केएल शर्मा को टिकट दिया और उन्होंने स्मृति ईरानी को हरा दिया.
राज्यसभा के लिए दावेदारों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर अन्ना मलाई थे. अन्ना मलाई हाल ही में तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष पद से हटे हैं. लेकिन, पार्टी ने इन दोनों नेताओं की जगह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक पुराने कार्यकर्ता पाका वेंकट सत्यनारायण को उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है. उम्मीद है कि सत्यनारायण को निर्विरोध निर्वाचित कर लिया जाएगा.
पुराने भरोसेमंद पार्टी कार्यकर्ता
सत्यनारायण के पुराने भरोसेमंद पार्टी कार्यकर्ता हैं. वह ओबीसी गौड़ समुदाय से आते हैं. जानकारों का कहना है कि सत्यनारायण को उम्मीदवार बनाए जाने से ओबीसी समुदाय में भी एक अच्छा संदेश जाएगा. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक वह पुराने कार्यकर्ता है. वह 1976 में केवल 15 साल की उम्र में आरएसएस से जुड़े थे. इस सीट के लिए नौ मई को मतदान होना है. भाजपा के नेताओं का कहना है कि सत्यनारायण जमीन से उठकर आने वाले नेता हैं.
सत्यानाराण संघ से जुड़ने के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में रहे और फिर 1980 में भाजपा में शामिल हो गए. उन्होंने 1996 में नरासापुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा. फिर वह 2006 में एमएलसी के चुनाव में उतरे लेकिन विफल रहे. अब पार्टी ने उनको पुराने योगदान के बदले तोहफा देने का फैसला किया है.
First Published :
April 29, 2025, 11:06 IST