Last Updated:March 25, 2025, 14:14 IST
Gujarat News: गुजरात हाईकोर्ट में लिव-इन पार्टनर की कस्टडी मांगने वाले शख्स की याचिका को खारिज कर दिया है. लिव इन पार्टनर ने कोर्ट में एग्रीमेंट भी दिखाया था. इसके बावजूद कोर्ट ने उस पार्टनर की याचिका को खारिज ...और पढ़ें

गुजरात हाईकोट्र ने लिव इन पार्टनर की याचिका पर दिया क्या आदेश, जान लें?
हाइलाइट्स
कोर्ट ने बनासकांठा जिले के एक व्यक्ति पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया है.व्यक्ति ने लगातार दो बार हेबियस कॉर्पस याचिका दायर कीमहिला ने कोर्ट को बता दिया था कि वह अपने पति के साथ रहना चाहती है.अहमदाबाद. गुजरात हाईकोर्ट ने बनासकांठा जिले के एक व्यक्ति पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया है, जिसने अपनी लिव-इन पार्टनर की कस्टडी उसके पति और माता-पिता से मांगी थी. यह मांग एक लिव-इन रिलेशनशिप एग्रीमेंट के आधार पर की गई थी. कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि व्यक्ति ने लगातार दो बार हेबियस कॉर्पस याचिका दायर की, जबकि पहली सुनवाई में ही महिला ने कोर्ट को बता दिया था कि वह अपने पति के साथ रहना चाहती है.
दूसरी याचिका के दौरान महिला अपने मायके डीसा में थी और उसने कोर्ट में कहा कि वह शायद याचिकाकर्ता के साथ जा सकती है. लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह अवैध हिरासत का मामला नहीं है. कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि वह इस ‘नाजायज रिश्ते’ को लिव-इन रिलेशनशिप के आधार पर मान्यता देने के लिए बाध्य नहीं है.
क्या है पूरा मामला?
इस केस के अनुसार, याचिकाकर्ता एक शादीशुदा व्यक्ति है और उसके दो बच्चे हैं. वहीं, जिस महिला की कस्टडी वह मांग रहा था, वह भी शादीशुदा है और उसका एक बच्चा है. दोनों ने अपने-अपने जीवनसाथी से अलग होने के बाद सितंबर 2024 में एक लिव-इन रिलेशनशिप एग्रीमेंट साइन किया और साथ रहने लगे. लेकिन कुछ महीनों बाद यानी करीब दो महीने पहले महिला ने इस रिश्ते से पीछे हटने का फैसला किया और याचिकाकर्ता को छोड़ दिया.
याचिका में क्या थी लिव इन पार्टनर की मांग?
इसके बाद, याचिकाकर्ता ने एक हेबियस कॉर्पस याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया कि उसकी लिव-इन पार्टनर को उसके माता-पिता और पति ने जबरन हिरासत में रखा है. हाईकोर्ट ने महिला को बुलाया और 28 फरवरी 2025 को महिला ने कोर्ट को बताया कि वह अपनी मर्जी से अपने पति के साथ रह रही है. कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था.
18 दिन बाद फिर कोर्ट पहुंचा लिव इन पार्टनर
लेकिन इसके 18 दिन बाद ही, याचिकाकर्ता ने फिर से वही मुद्दा उठाते हुए दूसरी याचिका दायर कर दी. कोर्ट को एक बार फिर महिला को बुलाना पड़ा. इस बार महिला ने बताया कि वह अपने पिता के घर डीसा में रह रही है और वह कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि महिला ने यह भी संकेत दिया कि वह याचिकाकर्ता के साथ जाना चाहती है लेकिन कोर्ट का मानना है कि यह किसी अवैध हिरासत या बंदीकरण का मामला नहीं है.
इसलिए, यह तुच्छ याचिका याचिकाकर्ता और महिला के बीच नाजायज रिश्ते को लिव-इन रिलेशनशिप के आधार पर मान्यता देने के लिए दायर की गई है, जो कोर्ट को करने के लिए बाध्य नहीं है क्योंकि दोनों की अपनी-अपनी शादीशुदा जिंदगी है और दोनों के अपने वैवाहिक रिश्तों से बच्चे भी हैं.
First Published :
March 25, 2025, 14:14 IST