Last Updated:January 10, 2025, 14:52 IST
UGC Chairman Jagdish Kumar: देश के शिक्षा संस्थानों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के नियमों में बदलाव होने जा रहा है. यूजीसी ने इसको लेकर एक ड्राफट तैयार किया है. इस संबंध में सीएनएन न्यूज 18 (CNN-News18) ने यूजीसी के चेयरमैन प्रो. जगदीश कुमार से...और पढ़ें
Assistant Professor Recruitment: यूजीसी चेयरमैन प्रो. जगदीश कुमार से खास बातचीत.
UGC New Guideline, Assistant Professor Recruitment: देश के यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्तियों को लेकर यूजीसी ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसमें कहा गया है कि अब असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए कुछ उम्मीदवारों को नेट परीक्षा पास करने की अनिवार्यता नहीं रहेगी. मतलब बिना नेट परीक्षा के भी वे प्रोफेसर बन सकेंगे. इस नए नियम को लेकर तरह तरह की बातें होने लगी हैं. केरल की सरकार ने इस पर ऐतराज जताया है. आइए आपको बताते हैं कि यूजीसी के इस नए ड्राफ्ट को लेकर यूजीसी चेयरमैन जगदीश कुमार (UGC Chairman Jagdish Kumar) ने क्या कुछ कहा?
छात्रों का क्या होगा फायदा
प्रो जगदीश कुमार से जब यह पूछा गया कि यूजीसी का ये नया ड्राफ्ट छात्रों को कैसे लाभ पहुंचाएगा? इस सवाल के जवाब में जगदीश कुमार ने कहा कि असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए जो न्यूनतम योग्यता तय की गई है, उसमें कई बातें समझने वाली हैं. इसमें से पहली यह है कि यदि किसी के पास चार साल की स्नातक डिग्री और पीएचडी है या किसी के पास मास्टर डिग्री और पीएचडी है, तो वह उम्मीदवार असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों के लिए आवेदन करने के पात्र होगा, लेकिन अगर किसी के पास आर्ट, साइंस या सोशल साइंस जैसे विषयों में मास्टर डिग्री है, तो उन्हें यूजीसी नेट की परीक्षा पास करनी होगी.
किनके लिए नहीं जरूरी होगा नेट
यूजीसी चेयरमैन प्रो. जगदीश कुमार ने अपने इस इंटरव्यू में यह बात भी बताया कि असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए किनके लिए नेट परीक्षा पास करने की अनिवार्यता नहीं होगी. जगदीश कुमार ने कहा कि जिन उम्मीदवारों के पास डिग्री ME और MTech जैसे प्रोफेशनल्स कोर्सेज की डिग्रियां होंगी, वे लोग इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर की होने वाली नियुक्तियों के लिए पात्र होंगे. उनके लिए यूजीसी नेट की आवश्यकता नहीं होगी. उन्होंने कहा कि यह भी उसी तरह की भर्ती योग्यता है, जिसे एआईसीटीई ने लागू किया है. जगदीश कुमार ने कहा कि यूजीसी नेट अभी भी उन लोगों के लिए आवश्यक है, जिनके पास एमएससी जैसी में मास्टर डिग्री है.
क्या राज्यों से होगी चर्चा?
जब प्रो. जगदीश कुमार से पूछा गया कि यूजीसी के नए ड्राफ्ट को लेकर कुछ राज्य सरकारें कह रही हैं कि वे अदालत का रुख कर सकती हैं. इस पर आपका क्या कहना है? देखिए, हमने इस ड्राफ्ट पर सभी से फीडबैक मांगे हैं. इसके लिए 30 दिन का समय दिया गया है. सभी के फीडबैक आने के बाद उस पर उन विशेषज्ञों के साथ चर्चा होगी, जिन्होंने यह ड्राफट तैयार किया है. उन्होंने कहा कि उसमें से जो भी व्यावहारिक और अच्छे सुझाव होंगे, उसे शामिल किया जाएगा और उसे यूजीसी की बैठक में रखा जाएगा. उस बैठक में इस पर सभी की सहमति बनने के बाद इसका गैजेटेड नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा.
जब प्रो. जगदीश कुमार से यह पूछा गया कि क्या आप राज्यों के साथ इस मसले पर चर्चा करेंगे? इस पर जगदीश कुमार ने कहा कि हम किसी भी चर्चा व सुझाव के लिए हमेशा तैयार हैं. उन्होंने कहा कि ड्राफ्ट को पब्लिक डोमेन में रखने का मकसद उस पर विचार विमर्श करना ही है, ताकि हमें अच्छे सुझाव मिल सकें.
इस बदलाव के पीछे क्या है मकसद
प्रो. जगदीश कुमार ने केरल के मुख्यमंत्री के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी कि जिसमें उन्होंने यूजीसी ड्राफ्ट को एक गुप्त साजिश बताया है. प्रो. जगदीश कुमार ने कहा कि यदि आप 2018 की न्यूनतम योग्यता के नियमों और 2025 के इस ड्राफ्ट की तुलना करें, तो यह पाएंगे कि हमारा मुख्य फोकस इस पर है कि हायर एजुकेशन संस्थानों में फैकेल्टी मेम्बर्स का सेलेक्शन और प्रमोशन कैसे किए जाए, जिससे वह केवल रिसर्च पेपर पब्लिश करने तक सीमित न रहे, बल्कि एजुकेशन सेक्टर में और भी बेहतर योगदान दे सकें.