JEE एडवांस्ड पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब इन्हें भी मिलेगा आवेदन का मौका

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Last Updated:January 10, 2025, 15:41 IST

JEE Advanced: सुप्रीम कोर्ट ने जेईई उम्मीदवारों के लिए एक अहम फैसला सुनाया है. इस फैसले के तहत जो भी उम्मीदवार 5 से 18 नवंबर 2024 के बीच अपनी कक्षा 12वीं की पढ़ाई छोड़ दी थी, वे अब जेईई (एडवांस्ड) परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन कर...और पढ़ें

JEE एडवांस्ड पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब इन्हें भी मिलेगा आवेदन का मौका

JEE Advanced पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है.

JEE Advanced: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए उन छात्रों को जेईई (एडवांस्ड) परीक्षा के लिए पंजीकरण करने की अनुमति दी है, जिन्होंने 5 से 18 नवंबर 2024 के बीच अपनी कक्षा 12वीं की पढ़ाई छोड़ दी थी. कोर्ट ने इसे छात्रों के हित में निर्णय माना और यह स्पष्ट किया कि जिन छात्रों ने इस अवधि के दौरान अपना पाठ्यक्रम छोड़ने का निर्णय लिया था, वे पहले जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार जेईई (एडवांस्ड) परीक्षा में शामिल होने के योग्य हैं.

वादे के पलटने से छात्रों को नहीं होना चाहिए नुकसान
सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि 5 नवंबर 2024 को जारी प्रेस विज्ञप्ति में संयुक्त प्रवेश बोर्ड (जेएबी) ने यह वादा किया था कि 2023, 2024 और 2025 में कक्षा 12वीं की परीक्षा पास करने वाले छात्र जेईई (एडवांस्ड) परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. हालांकि, 18 नवंबर को इस वादे को वापस लिया गया, जिसके बाद कुछ छात्रों ने यह सोचकर अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी कि वे परीक्षा में बैठने के योग्य होंगे. कोर्ट ने कहा कि इस वादे के पलटने से छात्रों को नुकसान नहीं होने देना चाहिए.

छात्रों के पक्ष में आया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने जेएबी द्वारा लिए गए निर्णय पर विचार किए बिना, स्पष्ट किया कि जिन छात्रों ने 5 से 18 नवंबर 2024 के बीच अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी, उन्हें जेईई (एडवांस्ड) परीक्षा के लिए पंजीकरण की अनुमति दी जाएगी. कोर्ट ने कहा कि यह आदेश विशेष परिस्थितियों में लिया गया है, और यह छात्रों के अधिकारों की रक्षा करता है.

कोर्ट की टिप्पणी
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जेएबी की ओर से यह तर्क दिया कि इस साल छात्रों को तीन मौके दिए जाने की बजाय, इस निर्णय को रद्द कर दिया गया था ताकि छात्र अपने कोर्स पर अधिक ध्यान केंद्रित करें. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया और कहा कि यदि किसी निर्णय में वैध कारण हैं, तो उसे स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन इस मामले में छात्रों के हित को प्राथमिकता दी गई.

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