Last Updated:January 10, 2025, 15:20 IST
Ravindra Singh Bhati vs Bhajanlal Sarkar : पश्चिमी राजस्थान की राजनीति में इन दिनों नया राजनीति बवंडर उठा हुआ है. यह बंवडर बाड़मेर के शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी की ओर से आयोजित कराए जाने वाले 'द रोहिड़ी फेस्ट' को लेकर उठा है. आयोजन को...और पढ़ें
सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए आयोजन की अनुमति निरस्त कर दी गई है.
बाड़मेर. बाड़मेर के शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी और भजनलाल सरकार में टकराव बढ़ गया है. यह टकराव भारत-पाकिस्तान की सीमा पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम को लेकर हुआ है. भाटी वहां रोहिडी गांव में 12 जनवरी को युवा दिवस पर म्यूजिक फेस्टिवल ‘द रोहिड़ी फेस्ट’ करना चाह रहे थे. इसके लिए पहले गडरा रोड एसडीएम की ओर उसे अनुमति प्रदान कर दी गई थी. लेकिन आयोजन से चार दिन पहले बाड़मेर जिला कलेक्टर टीना डाबी ने उस अनुमति का रद्द कर दिया है. इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर सुरक्षा कारणों का हवाला दिया गया है. लेकिन इस पूर मामले को चुनावी अदावत से जोड़कर देखा रहा है.
रविन्द्र सिंह भाटी शिव विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक हैं. भाटी के ‘द रोहिड़ी फेस्ट’ कार्यक्रम की जिला प्रशासन की ओर से अनुमति वापस लेने का यह मामला सोशल मीडिया में खासा छाया हुआ है. भाटी जहां यह कार्यक्रम आयोजित करने जा रहे थे वह रोहिड़ी गांव बाड़मेर में भारत पाकिस्तान सीमा के पास स्थित है. भाटी के मुताबिक इस फेस्टिवल का मकसद जैसलमेर के सम के धोरों की तरह रोहिड़ी के धोरों को लोकप्रिय बनाना है ताकि देश विदेश से सैलानी बाड़मेर के इस इलाके में भी आ सके.
कहा-सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट नेगेटिव है
इससे बाड़मेर के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. लेकिन बाड़मेर जिला कलेक्टर टीना डाबी ने दो दिन पहले 8 जनवरी को इसकी अनुमति खारिज कर दी। आदेशों में कहा गया है इसमें सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट नेगेटिव है. भारत पाकिस्तान सीमा के पास फेस्टिवल के आयोजन से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है. क्योंकि इस कार्यक्रम में देशभर से लोग आएंगे. पहले आयोजन की अनुमति और फिर उसे रद्द करने का यह मामला सियासी रंग में रंग गया है.
भाटी सोशल मीडिया पर काफी पॉपुलर हैं
दरअसल रविन्द्र भाटी पश्चिमी राजस्थान के उभरते हुए युवा नेता हैं. जोधपुर के जयनारायण विश्वविद्यालय के निर्दलीय छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके रविन्द्र सिंह भाटी ने बीते विधानसभा चुनाव में शिव से भी निर्दलीय ही चुनाव लड़ा था. हालांकि भाटी चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे. लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्होंने बगावत कर शिव से चुनाव लड़ा और वहां से जीते. भाटी सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं.
लोकसभा चुनाव में देशभर में चर्चा में आ गए थे
उसके बाद बीते लोकसभा चुनाव से पहले उनकी सीएम भजनलाल शर्मा से मुलाकात हुई. उसके बाद माना जा रहा था कि वे अब पार्टी का साथ देंगे और लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर दुबारा से अपने मौजूदा सांसद कैलाश चौधरी को चुनाव मैदान में उतार दिया. इस पर भाटी फिर बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद पड़े. भाटी की नामांकन समेत अन्य सभाओं में जिस तरह से युवाओं की भीड़ उमड़ी तो वे देशभर में चर्चा में आ गए.
बाड़मेर में बीजेपी बुरी तरह से पिछड़ गई थी
भाटी के मैदान में उतरते ही यहां बीजेपी की सांसें फूल गई. बाड़मेर लोकसभा सीट का चुनाव बीजेपी-कांग्रेस से हटकर भाटी और कांग्रेस के बीच हो गया. इससे बीजेपी को काफी परेशानी उठानी पड़ी. लोकसभा चुनाव में भाटी कांग्रेस से हुए कड़े मुकाबले में हार गए. भाटी की लोकप्रियता के चलते वहां बीजेपी वोट बैंक पूरी से खिसक गया. बीजेपी प्रत्याशी कैलाश चौधरी तीसरे नंबर पर खिसक गए. उसके बाद से माना जा रहा है कि पार्टी अब भाटी को लेकर बेहद अलर्ट मोड पर है. रोहिड़ी में कार्यक्रम की अनुमति देकर उसे फिर निरस्त करना भी उसी रणनीति का हिस्सा है.