Last Updated:January 15, 2025, 14:29 IST
दिल्ली चुनाव से पहले अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल सीजेआई के समक्ष पेश हुए. उन्होंने चुनाव को परदर्शी बनाने की कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश की याचिका पर अपनी दलीलें रखी. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों वरिष्ठ वकीलों की दलीलों को सुना और चुनाव...और पढ़ें
नई दिल्ली. देश की राजधानी इस वक्त विधानसभा चुनाव की दहलीज पर है. 5 फरवरी को जनता यह तय करेगी कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का राज फिर लौटेगा या फिर पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दो दश्क से भी लंबे वक्त बाद बीजेपी की वापसी करेगी. हालांकि इन सबके बीच आज सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील और नेता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी सीजेआई संजीव खन्ना के सामने पेश हुए. उन्होंने ईवीएम में छेड़छाड़ से जुड़े मुद्दे को उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने चुनाव से जुड़े एक बड़े नियम को बदल दिया है. इसपर रोक लगाने की मांग करते हुए दोनों ने चीफ जस्टिस के सामने अपनी दलीलें दी.
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की बेंच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस संबंध में चुनाव आयोग को अप्रोच किया है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को इसपर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. यह याचिका कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की की तरफ से लगाई गई है, जिसपर कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलीलें पेश की. इस याचिका में चुनाव आयोग से जुड़े कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 में केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में बदलाव को चुनौती दी गई है.
जयराम रमेश ने क्या कहा?
याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार के संशोधन के बाद अब ईवीएम सुरक्षा के दौरान वहां मौजूद सीसीटीवी और चुनाव से जुड़े अन्य दस्तावेजों तक जनता की पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया गया है. जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा था कि मैंने हाल ही में किए गए संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की गई है. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार संवैधानिक संस्था के रूप में चुनाव आयोग की है. एकतरफा तरीके से और बिना सार्वजनिक परामर्श के महत्वपूर्ण कानून में बेशर्मी से संशोधन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
First Published :
January 15, 2025, 14:29 IST