Last Updated:January 15, 2025, 18:11 IST
Bihar Politics News : बिहार में दो दिन में ही तीन बड़े सियासी बयान आए...एक नीतीश कुमार के लिए राजद और लालू परिवार के संभावनाओं के दरवाजे खुले रखने का, दूसरा तेजस्वी यादव का सीएम नीतीश को महागठबंधन में नहीं लाने का, तीसरा मनोज झा...और पढ़ें
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को महागठबंधन में लाने की बात को तवज्जो क्यों नहीं दी? लालू प्रसाद यादव के नीतीश कुमार को ऑफर दिये जाने को तेजस्वी ने इनकार क्यों किया? क्या तेजस्वी यादव किसी खास रणनीति पर चल रहे, आखिर क्या है वह सियासी ब्लू प्रिंट ?पटना. बिहार की राजनीति कब क्या मोड़ ले ले कोई नहीं नहीं जानता. यही कारण है कि हमेशा राजनीतिक बदलाव को लेकर बिहार में अटकलबाजियां लगाई जाती रही हैं. एक एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन में जाने की कयासबाजियों ने सियासी गलियारों में गर्माहट ला दिया और इस पर खूब चर्चा हुई. लेकिन, लालू प्रसाद यादव के ऑफर और उसको मीसा भारती के समर्थन के बाद जो सियासी खबरों ने जो उबाल पाई उसको तेजस्वी यादव ने स्वयं ही ठंडा कर दिया. दरअसल, लगभग एक महीने से बिहार में ‘सियासी खेला’ होने और नीतीश कुमार के फिर से पाला बदलने की खबरों ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा रखी थी. लेकिन, तेजस्वी यादव ने मंगलवार (14 जनवरी) मकर संक्रांति के दिन पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बिहार में अब कोई बदलाव नहीं होने जा रहा और हम लोग सीधे चुनाव में जा रहे. उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा कि कोई भी अगर कुछ सोच रहा है कि कुछ होने जा रहा है तो अब एकदम नहीं होने जा रहा है.
जाहिर है कि लालू यादव ने जो ऑफर नीतीश कुमार को दिया तेजस्वी यादव ने एक सिरे से उसे खारिज कर दिया. इसी बीच बुधवार को एक और बयान आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा का आया. उन्होंने तेजस्वी यादव की ही बात को आगे बढ़ते हुए साफ तौर पर कह दिया कि बिहार में किसी भी तरह का खेला नहीं होने जा रहा है. मनोज झा ने यह भी बताया कि तेजस्वी यादव नये ब्लूप्रिंट पर काम कर रहे हैं जिसकी आने वाले समय में जल्दी ही तेजस्वी यादव स्वयं इसकी घोषणा करेंगे. मनोज झा ने मीसा भारती के नीतीश कुमार के लिए कही गई बातों पर कहा कि मकर संक्रांति पर कड़वी बात नहीं की जाती. जाहिर है सियासत के लिहाज से ये बातें बहुत ही गहरी हैं जिसे राजनीति के जानकार अलग दृष्टि से समझते हैं.
आरजेडी का स्ट्रेटेजिकल मूव!
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपध्याय कहते हैं कि तेजस्वी यादव के जिस ब्लूप्रिंट की बात मनोज झा कर रहे हैं, उसको तो सामने आना है, लेकिन अंदर ही अंदर जो ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है वह राजद की रणनीति का हिस्सा है. दरअसल नीतीश कुमार को लालू के परिवार से ही तीन ऑफर मिले… सर्वेसर्वा लालू यादव स्वयं ने ऑफर दिया, मीसा भारती ने नीतीश कुमार को अभिभावक बताया और तेज प्रताप यादव ने भी कहा कि उनके घर जो भी आएंगे उनका स्वागत होगा….ऐसी बातों को जानबूझकर सार्वजनिक किया गया. वहीं, दूसरी ओर तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को महागठबंधन के साथ लाने से इनकार कर दिया. दरअसल, ये दोनों ही बातें सोची समझी राजनीति का हिस्सा हैं.
जनता के जेहन में युवा जोश की बात!
दरअसल, एक तरफ तो लालू परिवार यह दिखाना चाहता है कि नीतीश कुमार के प्रति उनकी सहानुभूति अब भी है. लालू परिवार हमेशा उनको अपने साथ लेना चाहता है और सम्मान देता है. यह एक रणनीति का का हिस्सा है. वहीं, दूसरी ओर तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के टायर्ड होने की बात को कहकर उनसे दूरी बनाते दिखते हैं. तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को थके हारे बताकर जनता के जेहन में यह देना चाहते हैं कि अब नीतीश कुमार से बिहार नहीं चलने वाला है, युवा जोश पर भरोसा करे जनता. जाहिर तौर पर जनता के मन में एक दिमाग एक बात से सेट करने की कोशिश है कि हम यानी राजद और लालू परिवार नीतीश कुमार साथ भी है, लेकिन अब भविष्य तो तेजस्वी यादव का ही है.
तेजस्वी में फ्यूचर देखे जनता!
रवि उपाध्याय कहते हैं, तेजस्वी यादव युवा हैं और 34 वर्ष उनकी उम्र है. राजनीति में 2013 से आए हैं और अब लगभग 11 साल का अनुभव उनका हो चुका है. जाहिर तौर पर तेजस्वी यादव ने इस दौरान दो-दो सरकारों को देखा है. पूरा बिहार घूमे हैं. इस दौरान उनका अनुभव भी बहुत अच्छा रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में जिस प्रकार से उन्होंने परफॉर्म किया तो उनका आत्मविश्वास भी इतना जबरदस्त बढ़ गया है कि वह स्वयं ही देख लेने की बात करते हैं. कई मसलों पर लालू यादव भी कहते हैं कि तेजस्वी यादव ही जो करेगा, वही करेगा. जाहिर तौर पर राजद का भी भविष्य तेजस्वी यादव है और तेजस्वी और उनके समर्थक भी तेजस्वी यादव में बिहार का भविष्य देखते हैं. ऐसे में नीतीश कुमार को ‘ना’ कहना तेजस्वी की पॉलिसी भी है.
चुनावी साल में क्यों लें रिस्क?
एक बड़ी वजह है कि, अगर मान लीजिए कि राजद-जदयू की सरकार बनने की सूरत भी आ जाती है और नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ भी हो जाते हैं, तो भी क्या तेजस्वी यादव चीफ मिनिस्टर बनेंगे? जाहिर है इसका सीधा सा जवाब है कि जब तक नीतीश कुमार हैं तब तक तो यह संभावना नहीं है. अब जब जेडीयू ने भी साफ कर दिया है कि ‘2025 से 2030… एक बार फिर नीतीश’…ऐसे में स्पष्ट है कि तेजस्वी यादव ने अगर उम्मीद लगा रखी थी कि वह नीतीश कुमार के रहते सीएम हो सकते हैं, तो उनको भी यह मैसेज है. एनडीए के नेताओं के लिए तो नीतीश का यह संदेश है ही. ऐसे में तेजस्वी यादव अब भला इस चुनावी वर्ष में ऐसा रिस्क क्यों लेंगे?
क्यों खामियाजा उठाए राजद?
वरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमार शर्मा कहते हैं, दरअसल, तेजस्वी यादव भी जान चुके हैं की राजनीति कैसे की जाती है. वह नीतीश कुमार को अपना राजनीतिक गुरु बताते रहे हैं और हमेशा उनको सम्मान देने की बात करते हैं. लेकिन, कटाक्ष करने का और तंज कसने का भी कोई मौका तेजस्वी यादव नहीं छोड़ते हैं. टायर्ड- रिटायर्ड वाली बात कहते हुए तेजस्वी यादव यह सोचते हैं कि नीतीश कुमार अगर उनके साथ आ भी जाते हैं तो आखिर उनको मिलना क्या है? न तो मुख्यमंत्री का पद मिलेगा और उल्टा एन्टी इंकंबेंसी अगर नीतीश कुमार की होगी तो उसका खामियाजा भी उन्हें उठाना पड़ेगा. दूसरा सामने मजबूत भाजपा है जो इस मौके को किसी भी तरह से गंवाना नहीं चाहेगी.
जेडीयू की स्थिति से चिंतित राजद
आरजेडी के रणनीतिकार संभवत: यही सोच रहे हैं कि जदयू के अंदर में भी दो फाड़ की स्थिति है. कभी भी एकमुश्त जदयू का पूरा कुनबा राजद के साथ पूरे मन से तो नहीं आएगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य की स्थिति हो अथवा केंद्र में एनडीए का होना, नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सरकार बनने की स्थिति में भी तेजस्वी यादव या आरजेडी बहुत कुछ प्राप्त नहीं कर पाएंगे. क्योंकि, चुनावी साल में अगर एनडीए से अलग महागठबंधन की सरकार होगी तो विकास की रफ्तार भी रुकेगी, जिसका ठीकरा तेजस्वी यादव या नीतीश कुमार के माथे ही फूटेगा. जनता तो जानता है वह काफी सोच समझकर फैसला करती है.
नीतीश का अपमान नहीं सम्मान!
अशोक कुमार शर्मा कहते हैं कि मसाला यह है कि लालू परिवार हरदम यह चाहता है कि वह नीतीश कुमार को सम्मान देता हुआ दिखे. लालू प्रसाद यादव ने अपने दरवाजे खुले होने की बात की और ऑफर तक दे दिया. इसके बाद मिसा भारती ने भी उनको अपना अभिभावक गार्जियन बताया और यह भी कहा कि अपनों को आमंत्रण नहीं दिया जाता. निश्चित तौर पर यह सिंपैथी बटोरने की राजद की रणनीति है. तेजस्वी यादव भी अक्सर कहते रहते हैं कि वह नीतीश कुमार का बहुत ही सम्मान करते हैं. यह उस वोट बैंक की सहानुभूति पाने की भी ललक है जिसकी रणनीति पर तेजस्वी यादव चलते हुए दिख रहे हैं.
जातिगत गोटी सेट करने में भिड़े लालू
अशोक कुमार के शब्दों में, इसको ऐसे भी समझिए कि तेजस्वी यादव ने पिछले लोकसभा चुनाव में एक प्रयोग किया था कि कुशवाहा जाति को राजद से जोड़ा जाए. नीतीश कुमार के इस वोट बैंक पर उन्होंने काफी हद तक प्रभाव डाला. अब धानुक और कुर्मी नेताओं को भी अपने साथ मिलाने की कवायद में लग गए हैं. सतीश कुमार हाल ही में आरजेडी में शामिल हुए हैं जो की कुर्मी समाज से आते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा से आते हैं. वहीं, आगामी 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर मंगनी लाल मंडल जो कि धानुक समाज से आते हैं, उनको भी राजद में लाने की कवायद की जा रही है.
चुनावी दंगल का इंतजार करिये
जाहिर है लोकसभा चुनाव में उन्होंने कार्ड खेल खेला था जो बहुत ही जबरदस्त असर कर गया था. अब धानुक और कुर्मी जातियों को जोड़कर उस मार्जिन को पाटना ही नहीं बल्कि पक्ष में बड़ा करना चाहते हैं जिसमें 2020 के विधानसभा चुनाव परिणाम में महागठबंधन 11 सीटों के अंतर से सत्ता से दूर रह गई थी. बहरहाल, अब ते नीतीश कुमार को ‘ना’ पर लगभग मुहर लग गई है और तेजस्वी यादव की रणनीति आगे बढ़ चली है. इस बीच लालू यादव भी सक्रिय हैं और जातिगत गोटी सेट करने में अभी से लग गए हैं. दूसरी ओर एनडीए एकजुट होकर जिलों में अपने अभियान पर चल पड़ा है. अब बिहार की सियासत में फिलहाल मोड़ की गुंजाइश भी कम हो गई है, ऐसे में इंतजार आगामी विधानसभा चुनाव के दंगल का करिये.पटना के अस्पताल और डॉक्टर्स के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें…
First Published :
January 15, 2025, 18:11 IST