World Population day: बेटी की कमाई, बेटी से बेहतर बेटा. ऐसी सोच ने आबादी में पुरुष और महिला का अनुपात बिगाड़ दिया. अब हम आपको आबादी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विश्लेषण दिखाते हैं. ये विश्लेषण जुड़ा है 11 जुलाई से जिसे WORLD POPULATION DAY भी कहा जाता है. विश्व आबादी दिवस पर पाकिस्तान को लेकर एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है. जिसने भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है. इसलिए सबसे पहले आपको इस रिपोर्ट की जरूरी बातें ध्यान से समझनी चाहिए.
PEW की रिपोर्ट
आबादी पर PEW रिसर्च संस्था ने एक शोध तैयार किया है. इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2100 तक यानी अगले 75 सालों में पाकिस्तान की आबादी 65 फीसदी तक बढ़ जाएगी. अनुमान के मुताबिक, पाकिस्तान की आबादी 24 करोड़ से सीधे 41 करोड़ हो जाएगी. इस तरह वो, भारत और चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा आबादी वाला देश बन जाएगा.
पाकिस्तान की आबादी का बढ़ना पूरी दुनिया के लिए चिंता की बात होगी. क्योंकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और संसाधन अभी, 24 करोड़ की आबादी की भरपाई नहीं कर पा रहे हैं. अगर आबादी का बोझ बढ़ा तो चरमराती अर्थव्यवस्था और संसाधनों की कमी पाकिस्तान में अस्थिरता बढ़ा देगी. जो बड़े पैमाने पर अपराध और आतंकवाद को मौजूदा समय से भी ज्यादा फैला सकती है. ऐसा क्यों कहा जा रहा है ये जानने के लिए आपको पिछले 25 वर्षों में पाकिस्तान में हुए बदलावों को देखना और समझना होगा.
वर्ष 2010 से 2020 के बीच पाकिस्तान की आबादी 17 करोड़ से बढ़कर 22 करोड़ पहुंच गई थी. इसी दौरान पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज दोगुना से भी ज्यादा हो गया था. बढ़ती आबादी के दबाव और विदेशी कर्ज का नतीजा ये हुआ कि इन 10 सालों में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 1.5 प्रतिशत ही बढ़ पाई और समाज में फैली आर्थिक असुरक्षा की वजह से वर्ष 2010 से 2020 के बीच पाकिस्तान में अपराध की दर 34.8 प्रतिशत तक बढ़ गई थी.
दुनिया को यही डर है अगर आबादी के साथ पाकिस्तान में अपराध और आतंकवाद बढ़ा और अगर वो पाकिस्तान की सीमाओं से बाहर निकल गया. तो पूरी दुनिया के लिए खतरा पैदा हो सकता है. PEW की इस रिसर्च में पाकिस्तान के साथ ही साथ भारत की आबादी का भी जिक्र है. 2100 तक भारत की आबादी किस दिशा में जा सकती है ये समझने के लिए आपको इस रिसर्च रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा गौर से पढ़ना चाहिए.
रिपोर्ट का सच
भारत की वर्तमान आबादी तकरीबन 140 करोड़ है. शोध में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2061 तक भारत की आबादी 170 करोड़ तक पहुंच सकती है. लेकिन उसके बाद आबादी में गिरावट आएगी और वर्ष 2100 तक भारत की आबादी 150 करोड़ ही रह जाएगी.
अगर आज के लिहाज से देखें तो अगले 36 सालों में 30 करोड़ आबादी बढ़ने का ये अनुमान भारत के लिए किसी अलर्ट से कम नहीं है. क्योंकि तेजी से बढ़ती आबादी प्राकृतिक और आर्थिक संसाधनों पर दबाव बढ़ाती है. इस दबाव से जुड़े आंकड़े भी हम आपको दिखाएंगे लेकिन पहले आपके लिए ये जानना जरूरी है कि आबादी की वजह से बढ़ती भीड़ से निपटने के लिए मुंबई की लाइफलाइन कहे जाने वाली लोकल ट्रेन सेवा के लिए कौनसा प्लान बनाया गया है.
#DNAWithRahulSinha | जनसंख्या दिवस पर जगाने वाला विश्लेषण, पाकिस्तान की आबादी...दुनिया के लिए 'अलर्ट'#DNA #Pakistan #Population #PopulationDay2025 @RahulSinhaTV pic.twitter.com/Aao4hynz02
— Zee News (@ZeeNews) July 11, 2025
रेलवे का प्रपोजल
मध्य रेलवे ने 800 कंपनियों को एक प्रस्ताव भेजा है. इस प्रस्ताव में अपील की गई है कि ये कंपनियां अपने कर्मचारियों के दफ्तर आने के समय में थोड़ा बदलाव कर दें ताकि लोकल ट्रेन सेवा में बढ़ती भीड़ को व्यवस्थित किया जा सके. अब तक 46 छोटी कंपनियों ने इस प्रस्ताव पर सहमति दे दी है.
मध्य रेलवे की इस पहल की वजह सिर्फ लोकल सेवा में यात्रियों की तादाद को नियंत्रित करना नहीं है. बल्कि ये बढ़ती भीड़, यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी चुनौती बन गई है. इस पहलू को समझने के लिए आपको कुछ आंकड़े गौर से पढ़ने चाहिए.
रेलवे सुरक्षा पुलिस ने वर्ष 2025 में लोकल ट्रेन से जुड़े हादसों का डाटा जारी किया है. इस डाटा के मुताबिक पहले 7 महीनों के अंदर लोकल ट्रेन से जुड़े हादसों में 922 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से 210 लोगों की मौत ट्रेन के अंदर ज्यादा भीड़ की वजह से हुई है यानी पीड़ित या तो ट्रेन के दरवाजों पर लटकने की वजह से मरे या फिर भीड़ के अंदर दम घुटने से.
फ्यूचर में क्या हो सकता है?
लोकल ट्रेन में होने वाले हादसे, बढ़ती आबादी के नकारात्मक प्रभाव की सिर्फ एक तस्वीर है. अगर 2061 तक हमारी आबादी 170 करोड़ पहुंच गई तो प्रकृति के दो संसाधनों पानी और पेड़ों में भारत की प्रति व्यक्ति हिस्सेदारी कम हो जाएगी. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं ये समझने के लिए आपको हमारे देश की आबादी का पानी और पेड़ों से जुड़ा अनुपात जरूर देखना चाहिए.
वर्ष 2021 में भारत के हर व्यक्ति के लिए 14 लाख लीटर पानी प्रति वर्ष उपलब्ध था. लेकिन अगर आबादी इसी गति से बढ़ी तो वर्ष 2031 तक भारत के हर व्यक्ति के लिए सालाना 13 लाख लीटर पानी ही उपलब्ध रहेगा. इसी तरह पेड़ों की बात करें तो 2021 में भारत में प्रति व्यक्ति 27 पेड़ थे. 2031 तक आबादी बढ़ने के साथ ये आंकड़ा कम होकर 24 या 25 तक आ सकता है.
ये सिर्फ वर्ष 2031 तक का अनुमान है. भारत की आबादी बढ़ने का अनुमान वर्ष 2061 तक है. इसी वजह से अब ये आवश्यक हो गया है कि हम अपनी आबादी को नियंत्रित करने के साथ ही साथ प्राकृतिक संसाधनों को भी सहेजने के प्रयासों को तेज गति से बढ़ाएं.