Last Updated:July 11, 2025, 20:02 IST
एक देश, एक चुनाव को लेकर चल रही बहस के बीच पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जेएस खेहर ने संविधान संशोधन विधेयक की कुछ गंभीर खामियों की ओर इशारा किया है. उन्होंने ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के सामने अपनी बात...और पढ़ें

पूर्व चीफ जस्टिस ने बिल की खामियां बताईं.
हाइलाइट्स
पूर्व CJIs ने ONOE बिल की धारा 82A(5) में चुनाव आयोग को मिले अधिकारों पर सवाल उठाए.विधेयक में आपातकाल और विधानसभा के शेष कार्यकाल जैसे मामलों पर स्पष्टता की कमी बताई गई.दोनों न्यायाधीशों ने कहा–बिल संविधान की मूल संरचना के खिलाफ नहीं है, सुधार जरूरी‘एक देश, एक चुनाव’ के सपने को लेकर केंद्र सरकार ने भले ही कमर कस ली हो, लेकिन पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जे. एस खेहर ने इसकी बड़ी खामी पकड़ ली है. दोनों ने ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी के सामने बिल में कहां ग्रे एरिया है, उसे बताया. हालांकि, दोनों जजों ने साफ किया कि एक साथ चुनाव कराना आसान है. इसमें कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं आने वाली.
दोनों पूर्व सीजेआई ने बिल में उस धारा 82A(5) पर आपत्ति जताई है, जिसमें चुनाव आयोग को यह अधिकार दिया गया है कि वह विधानसभा चुनावों को लोकसभा चुनाव से अलग कराने की सिफारिश कर सके. खेहर तीसरे ऐसे पूर्व प्रधान न्यायाधीश हैं, जिन्होंने इस धारा पर सवाल खड़े किए हैं. उनसे पहले रंजन गोगोई और चंद्रचूड़ भी इसे लेकर आपत्ति जता चुके हैं.
क्या है आपत्ति
सूत्रों के मुताबिक, खेहर ने सुझाव दिया कि चुनाव की तारीखों के निर्णय में संसद या केंद्रीय मंत्रिमंडल की भूमिका भी होनी चाहिए. केवल चुनाव आयोग के विवेक पर सब कुछ छोड़ना संविधान की भावना के अनुकूल नहीं है. वहीं, चंद्रचूड़ ने भी विधेयक को लेकर अपने लिखित सुझाव समिति को पहले ही सौंप दिए थे. हालांकि, दोनों पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने यह स्पष्ट किया कि यह विधेयक संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन नहीं करता, जैसा कि विपक्ष का आरोप है. चंद्रचूड़ ने साफ शब्दों में कहा, यह संविधान की मूल भावना को नुकसान नहीं पहुंचाता.
#WATCH | Delhi | BJP MP and ‘One Nation One Election’ JPC Chairperson, PP Chaudhary says, “Today a meeting was held for the ‘One Nation, One Election’… Former CJIs Justice Khehar and Justice Chandrachud…were present before us, and we had an interaction. This is a golden… pic.twitter.com/8ICKJ8E8Qi
इमरजेंसी में क्या होगा
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा सहित विपक्षी सांसदों ने यह सवाल उठाया कि क्या विधानसभाओं को बीच में भंग कर लोकसभा के साथ चुनाव कराना संविधान सम्मत होगा. इसके अलावा यह भी सवाल उठा कि अगर किसी विधानसभा का कार्यकाल कुछ ही महीने शेष हो, तो क्या इतने कम समय के लिए भी चुनाव कराना व्यावहारिक और लोकतांत्रिक रूप से सही होगा? साथ ही, आपातकाल जैसी असाधारण परिस्थितियों में चुनाव प्रक्रिया कैसे संचालित होगी, इस पर भी विधेयक में स्पष्टता नहीं है.
सरकार बोली-सुधार करेंगे
संसदीय समिति के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद पी. पी. चौधरी ने कहा कि समिति सभी पक्षों के विचारों का स्वागत करती है और विधेयक में सुधार के लिए हर सुझाव पर विचार किया जाएगा. उन्होंने कहा, यह राष्ट्र निर्माण का एक ऐतिहासिक अवसर है और हमें इसे पूरी गंभीरता से लेना चाहिए. अब तक चार पूर्व प्रधान न्यायाधीश इस समिति के सामने अपनी राय रख चुके हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व सांसद ई. एम. सुधर्शन नचियप्पन ने भी अपने सुझाव समिति को सौंपे हैं. समिति की यह आठवीं बैठक थी.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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