आइजोल तक ट्रेन…और अब म्यांमार की ओर? सात दशक बाद गूंजेगी ट्रेन की सीटी

5 hours ago

Last Updated:July 11, 2025, 20:43 IST

अब मिजोरम देश के बाकी हिस्सों से रेल नेटवर्क के जरिए सीधे जुड़ गया है और सरकार की अगली रणनीति म्यांमार बॉर्डर तक रेल ले जाने की है. यह कनेक्टिविटी न सिर्फ विकास की गति बढ़ाएगी, बल्कि भारत की पूर्वी सीमाओं पर सु...और पढ़ें

आइजोल तक ट्रेन…और अब म्यांमार की ओर? सात दशक बाद गूंजेगी ट्रेन की सीटी

आइजोल तक पहुंची ट्रेन.

हाइलाइट्स

आजादी के 70 साल बाद पहली बार आइजोल तक पहुंची ट्रेन, मिजोरम को मिली नई रफ्तार.रेलवे ने ब्रिज 144 बनाकर पहाड़ी और भूकंपी क्षेत्र में इंजीनियरिंग की बड़ी चुनौती पूरी की.अब म्यांमार बॉर्डर तक रेल विस्तार की तैयारी, सामरिक दृष्टि से बेहद अहम कड़ी बनेगी.

मिजोरम की पहाड़ियों में पहली बार गूंजेगी ट्रेन की सीटी… यहां की कई पीढ़ियों ने ट्रेन सिर्फ तस्वीरों में या फिल्मों देखा था… अब वो खुद अपनी जमी पर चलती ट्रेन देख सकेंगे. ये सिर्फ कनेक्टिविटी नहीं, एक सपना पूरा होने जैसा है… भारत की आख‍िरी सीमाओं तक अब रेल पहुंच रही है और इसके साथ जुड़ रही है उम्मीद, रोजगार और विकास की एक नई रफ्तार. मिजोरम की राजधानी आइजोल तक ट्रेन पहुंचना पूर्वोत्तर के लिए एक नई सुबह है, लेकिन कहानी यहीं खत्‍म नहीं होती. अब भारत की नजर म्यांमार बॉर्डर तक रेल पहुंचाने पर है.

आजादी के सात दशक बाद मिजोरम के लोगों का सपना पूरा हुआ. पहली बार भारतीय ट्रेन आइजोल तक पहुंची है. बैराबी से सैरांग तक 51 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन तैयार है और अब ट्रायल पूरे हो चुके हैं. सैरांग स्टेशन आइजोल से सिर्फ 12 किलोमीटर दूर है. यह मिजोरम को पहली बार पूरे भारत के रेल नेटवर्क से जोड़ रहा है. रेलवे के मुताबिक यह सफर अब 4-5 घंटे की सड़क यात्रा से घटकर एक से डेढ़ घंटे का हो जाएगा. गुवाहाटी, दिल्ली, कोलकाता सब अब मिजोरम से रेल से जुड़ेगा. मिजोरम के लोगों का कहना है, हमने कभी सोचा नहीं था कि हमारे यहां ट्रेन आएगी… अब हमें इलाज और पढ़ाई के लिए बाहर जाना आसान हो गया है.

ट्रैक की लंबाई: 51 KM
CRS मंजूरी: 30 जून 2025
स्टेशन: कुर्तिकी, कौंपुई, मुलखांग,सैरांग

देश का दूसरा सबसे ऊंचा रेल ब्रिज – ब्रिज नंबर 144
चीफ प्रोजेक्‍ट इंजीनियर बिनोद कुमार ने कहा, इस प्रोजेक्ट की एक और बड़ी खास‍ियत है. वह है ब्रिज नंबर 144. मूलखांग और सैरांग के बीच बना यह पुल 104 मीटर ऊंचा है, यानी कुतुब मीनार से भी 42 मीटर ऊंचा. पहाड़ी और सीस्मिक जोन-5 क्षेत्र में बने इस पुल की मजबूती 100 साल तक बनी रहे, ऐसा डिजाइन किया गया है. इसे तैयार करने में रेलवे को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. रेलवे इसे बड़ी कामयाबी मान रही है.

विस्टाडोम ट्रेन से टूरिज्म को बढ़ावा
मिजोरम के सुंदर पहाड़, झील और झरने अब विस्टाडोम ट्रेन से दिखेंगे. बड़ी कांच की छतें, घूमने वाली सीटें और 360 डिग्री व्यू-नॉर्थ ईस्ट में टूरिज्म को नई रफ्तार मिलने जा रही है. रेलवे की योजना है कि इस रूट पर विस्टाडोम ट्रेन चलाई जाए. यहीं पर रेइक हिल्स, तामदिल झील, वंतावंग झरना, फावंगपुई नेशनल पार्क, डम्पा टाइगर रिजर्व जैसी खूबसूरत जगहें देखने को मिलेंगी. रेलवे के मुताबिक टूरिज्म बढ़ाने के लिए विस्टाडोम को सैरांग तक लाने की योजना पर काम चल रहा है.

म्यांमार तक रेलवे -भारत की अगली रणनीति
अभी तक मिजोरम की राजधानी आइजोल तक ही रेलवे ट्रैक पहुंचा है, लेकिन अब सरकार की योजना इसे म्यांमार बॉर्डर तक ले जाने की है. आइजोल से म्यांमार बॉर्डर लगभग 232 किलोमीटर दूर है और रेलवे लाइन को वहां तक बढ़ाने की तैयारी चल रही है. इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में मिजोरम सिर्फ देश के बाकी हिस्सों से ही नहीं,बल्कि इंटरनेशनल बॉर्डर तक रेल से जुड़ जाएगा. ये न सिर्फ कनेक्टिविटी बढ़ाएगा बल्कि देश की सुरक्षा और सेना की सप्लाई के लिहाज से भी बहुत अहम होगा. मिजोरम की सीमा बांग्लादेश और म्यांमार दोनों देशों से लगती है ऐसे में यहां रेलवे का मजबूत नेटवर्क होना काफी जरूरी है.

Gyanendra Mishra

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें

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