पांच साल में पहली बार जयशंकर जाएंगे चीन, पर्दे के पीछे सेट हो रहा कौन सा सीन?

4 hours ago

Last Updated:July 11, 2025, 22:49 IST

EAM S Jaishankar China Visit: विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन की यात्रा पर जा रहे हैं. यह पिछले पांच साल में बीजिंग की उनकी पहली यात्रा होगी. 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से ही भारत और चीन के संबंध ठीक नहीं.

पांच साल में पहली बार जयशंकर जाएंगे चीन, पर्दे के पीछे सेट हो रहा कौन सा सीन?

2020 के बाद से ही भारत और चीन के रिश्ते सामान्य नहीं हैं. (File Photo : PTI)

हाइलाइट्स

एस जयशंकर पांच साल में पहली बार चीन दौरे पर.जयशंकर-वांग यी मुलाकात में संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा.दौरा मोदी-शी जिनपिंग शिखर वार्ता की तैयारी का हिस्सा.

नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर पांच साल में पहली बार चीन दौरे पर जा रहे हैं. इस दौरे को सिर्फ एक सामान्य द्विपक्षीय मुलाकात न समझा जाए. इसके पीछे चल रही रणनीतिक गतिविधियों ने दक्षिण एशियाई कूटनीति को फिर से हिला दिया है. यह दौरा ऐसे वक्त हो रहा है जब भारत और चीन के बीच सीमा पर हालात सामान्य नहीं हैं. लेकिन जयशंकर की बीजिंग यात्रा के बहाने एक नई राजनयिक पिच जरूर तैयार हो रही है.

क्या है इस दौरे की अहमियत?

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, जयशंकर 14–15 जुलाई को तियानजिन में होने वाली शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले बीजिंग में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात करेंगे. SCO चीन-नीत बहुपक्षीय संगठन है, जिसमें भारत और पाकिस्तान समेत नौ देश स्थायी सदस्य हैं. लेकिन इस दौरे का असली केंद्र बिंदु SCO नहीं, बल्कि वांग यी के साथ होने वाली बैकडोर डिप्लोमेसी मानी जा रही है. सूत्रों की मानें तो दोनों नेता दुर्लभ खनिजों के निर्यात, दलाई लामा के उत्तराधिकारी, भारत-पाक तनाव और भारत-चीन के बीच बंद पड़ी फ्लाइट्स जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बातचीत करेंगे.

क्या PM मोदी भी जाएंगे चीन?

इस दौरे को मोदी और शी जिनपिंग के बीच भविष्य में किसी संभावित शिखर वार्ता की तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है. बीते महीने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी चीन के चिंगदाओ शहर पहुंचे थे. इससे पहले अप्रैल में चीन के राजदूत ने पीएम मोदी को SCO समिट के लिए ‘हार्दिक न्योता’ भेजा था, लेकिन भारत की तरफ से अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई.

सूत्र बताते हैं कि यदि जयशंकर-वांग मुलाकात सफल रही, तो पीएम मोदी का दौरा चीन के लिए रास्ता साफ कर सकता है. और यह सिर्फ SCO तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भारत-चीन संबंधों की नई परिभाषा तय हो सकती है.

2020 में गलवान संघर्ष के बाद बदले समीकरण

जून 2020 की गलवान हिंसा के बाद दोनों देशों के बीच संबंध बुरी तरह से बिगड़ गए थे. बीस भारतीय सैनिकों की शहादत और दर्जनों चीनी जवानों के मारे जाने के बाद दोनों तरफ से हजारों सैनिक, मिसाइलें और लड़ाकू विमान तैनात कर दिए गए थे. बातचीत के कई दौर हुए, लेकिन अविश्वास की दीवारें आज भी वैसी की वैसी हैं.

हालांकि अक्टूबर 2023 में रूस के ब्रिक्स समिट में मोदी-शी मुलाकात के बाद कुछ राहत दिखी. जयशंकर और वांग यी ने भी इसके बाद G20 और जोहान्सबर्ग में दो मुलाकातें कीं. लेकिन बात अब तक सिर्फ कोशिशों तक ही सीमित है. समाधान अभी दूर है.

वीजा से लेकर निवेश तक सब कुछ प्रभावित

इस सब के बीच जयशंकर का चीन दौरा कई मायनों में संकेत दे रहा है. कूटनीति का अगला अध्याय शुरू हो सकता है. भारत को सीमा विवाद हल करने की जरूरत है, वहीं चीन चाहता है कि भारत अमेरिका और क्वाड के साथ संतुलन बनाए. दोनों देशों को अपनी-अपनी अर्थव्यवस्था और वैश्विक ताकत के सपने पूरे करने हैं और इसके लिए टकराव नहीं, समझदारी जरूरी है. दौरे की कामयाबी इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या बीजिंग के बंद दरवाजों के पीछे ऐसा कुछ तय होता है, जो LAC के दोनों ओर हालात को वाकई बदल सके.

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...

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