Last Updated:August 26, 2025, 10:14 IST
Dowry Murder Case: दिल्ली-एनसीआर के ग्रेटर नोएडा में निक्की मर्डर केस ने देश को झकझोर कर रख दिया है. दहेज के लोभियों ने उसे आग लगाकर मार डाला. अभी महिलाओं के खिलाफ क्राइम को लेकर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ...और पढ़ें

Dowry Murder Case: ग्रेटर नोएडा में 28 साल निक्की की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया. उसके ससुराल वालों ने और दहेज की मांग करते हुए उसे आग में झोंक दिया. मगर, दहेज की शिकार निक्की पहली महिला नहीं है. देश में हजारों बहू-बेटियां दहेज की बलि चढ़ाई जाती हैं.
इस घटना के बाद महिलाओं के खिलाफ क्राइम पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने ताजा रिपोर्ट जारी की है. ये डाटा ना केवल चौंकाने वाला है, बल्कि हमारे सभ्य समाज को सोचने के लिए मजबूर करता है. नए डाटा में बताया गया है कि भारत में दहेज के लिए हत्या (भारतीय दंड संहिता की धारा 304बी) के कारण 6,516 महिलाओं की मौत हुई. यह उस वर्ष देश में बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के बाद मारी गई महिलाओं की संख्या से 25 गुना अधिक है.
2022 में 13,641 केस दर्ज
एनसीआरबी के रिपोर्ट में दहेज हत्याओं की संख्या को लेकर कड़वा सच बताया गया है. 1961 के दहेज निषेध अधिनियम के तहत ऐसे मामलों रिपोर्टिंग भी कम होती है, जो चिंताजनक है. 2022 की एनसीआरबी रिपोर्ट को पढ़े तो, दहेज उत्पीड़न के केवल 13,641 मामले दर्ज हुए थे. अगर, भारत में दहेज उत्पीड़न का पूरा रिकॉर्ड रखा जाए या सही से मामले दर्ज किए जाएं, या फिर इन मामलों के दायरों को बढ़ाया जाएत एक तिहाई महिलाओं की मौत इसी वजह से होती. एनसीआरबी के रिकॉर्ड ये बता रहे हैं कि ज़्यादातर महिलाओं को दहेज विरोधी कानून की तब तक मदद नहीं लेतीं जब तक कि स्थिति ऐसी न आ जाए, जैसा कि निक्की भाटी के मामले में हुआ था.
एक साल में कितने मामले सुलझे
दहेज हत्या जैसे गंभीर मामले में केस भी दर्ज हो तो न्याय जल्दी से नहीं मिलता. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 2022 के अंत तक अदालतों में दहेज हत्या के 60,577 मामले लंबित थे. इनमें से 54,416 मामले 2022 से पहले के थे. 2022 में जिन 3,689 मामलों में सुनवाई पूरी हुई, उनमें से केवल 33% में ही दोषसिद्धि हुई. इस साल दहेज उत्पीड़न मामले में 6,161 मामलों की सुनवाई हुई. इसमें से केवल 99 में ही दोषसिद्धि हुई. इसका मतलब है कि निक्की भाटी को एक साल में न्याय मिलने की संभावना 2% से भी कम है.
दहेज क्या है?
दहेज– भारत की कानूनी रूप से अपराध है, जो सबसे ज्यादा हमारे समाज में प्रचलित है. इस सामाजिक बुराई को रोकना या फिर इसके सटीक आंकड़े प्राप्त करना बालू में सूई ढूंढने के बराबर है. इससे भी एक बड़ी समस्या ये कि इसे कैसे पहचाना जाए. लोग इसे अपनी बेटी-दामाद को तोहफा बताते हैं, कुछ समाजिक शान में दहेज देना पसंद करते हैं. मगर, दहेज चाहे जितना भी दे दिया जाए, लोभियों की भूख खत्म नहीं होती है.
क्या कहते हैं आंकडें?
उदाहरण के लिए, 2010 की एक किताब (भारत में मानव विकास: परिवर्तन में एक समाज के लिए चुनौतियां) में बताया गया कि दुल्हन के परिवार के लिए औसत शादी का खर्च दूल्हे के परिवार की तुलना में 1.5 गुना अधिक खर्च करते हैं. चौबीस प्रतिशत परिवारों ने दहेज के रूप में एक टीवी, रेफ्रिजरेटर, कार या मोटरसाइकिल देने की सूचना दी. एक सर्वेक्षण में 29% लोगों ने कहा कि ‘अगर महिला का (उसका) परिवार अपेक्षित पैसे नहीं देता है, तो महिला को पीटना आम बात है.‘
दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें
दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...
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First Published :
August 26, 2025, 10:14 IST