Explainer: एलन मस्क क्यों ले रहे हैं यूरोप में रूचि, क्या भारत में देंगे दखल?

8 hours ago

Last Updated:January 13, 2025, 14:36 IST

हाल ही में एलन मस्क ने जर्मनी की चुनावों में बोलना शुरू किया है. उनका ताजा बयान जर्मनी के वर्तमान चांसलर को ना कहने की अपील करना है. इससे पहले वे ब्रिटेन के मामलों में भी कहते देखे गए हैं. आखिर डोनाल्ड ...और पढ़ें

अमेरिकी अरबपति और एक्स के मालिक एलन मस्क इन दिनों सक्रिय और मुखर हैं. डोनाल्ड ट्रम्प को चुनाव जितवाने के बाद, उनकी ट्रम्प सरकार में एक बड़ी भूमिका का होना तय माना जाता है. चुनाव नतीजों के बाद से वे कुछ ज्यादा ही मुखर हैं और राजनैतिक मामलों में भी कहने लगे हैं.  इस बार उनकी निगाहें यूरोप पर हैं. कुछ दिन पहले ब्रिटेन पर बयान देने के बाद अब जर्मनी में अगले महीने होने वाले चुनाव में मुखर हुए हैं. ताजा ट्वीट में उन्होंने जर्मनी के वर्तमान ओलाफ स्कूल्ज पर निशाना साधा है. उन्होंने पोस्ट में  शुल्ज को “अक्षम मूर्ख” कहते हुए जर्मन जनता से अपील की है कि वे “शुल्ज को ना कहें”. पर सवाल ये है कि आखिर मस्क यूरोप में इतना दखल क्यों दे रहे हैं?

यूरोप के नेताओं को नाकारा बता रहे हैं मस्क
मस्क ने हाल ही में ब्रिटिश प्रधानमंत्री को बच्चों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार बताते हुए उन्हें जेल में डालने की सलाह दी और उनसे बलात्कार के लिए माफी मांगने को कहा. उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों चुनावों में दखल देने का आरोप लगाया

जर्मनी में गहरी रुचि
इस समय यूरोप में सबसे अहम घटना अगले महीने जर्मनी में होने वाले चुनाव ही हैं. जर्मनी यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा प्रभावी देश है. वे जर्मनी में चरम दक्षिणपंथी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AFD) का खुल कर समर्थन कर रहे हैं और सोशल डेमोक्रेटिक (SFD) के उम्मीदवार ओलाफ स्कूल्ज पर निशाना साधते हुए उ शुल्ज को “अक्षम मूर्ख” कहा है.

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एलन मस्क ने यूरोप के देशों के नेताओं की चुन चुन कर आलोचना की है. (तस्वीर: PTI)

जर्मनी के चुनावों और यूरोप में रुचि क्यों?
जिस तरह से मस्क राजनैतिज्ञों को अपना निशाना बना रहा हैं, इसमें उनका कोई मकसद लग रहा है. वे केवल उस पक्ष के समर्थन में बयान दे रहे हैं जिसकी नीतियां उनके व्यवसाय के अनुकूल है. जर्मनी में ऐसा ही है. एफडी जर्मनी में व्यवसायों पर अतिनियंत्रण को कम  करने,  बाजार को विनियंत्रित करने और टैक्स को कम करने की बात कर रहे हैं.  इसी तरह से वे हर देश के उस शीर्ष नेता की आलोचना कर रहे हैं जिसका सत्ता में बने रहना उनके लिए नुकसानदेह या कम फायदे में है. ब्रिटेन और फ्रांस के मामले में भी कुछ ऐसा ही है.

विस्तारवादी होते तो ट्रम्प भी दिख रहे हैं.
यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि राष्ट्रपति चुने जाने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प भी, शपथ लेने से पहले ही अंतरराष्ट्रीय मामलों में कुछ ज्यादा ही मुखर हो गए हैं. कभी वे पनाम नहर पर कब्जे की बात करते हैं तो कभी ग्रीनलैंड को ही खरीदने  का जिक्र करते हैं.  यहां तक कि उन्होंन कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात कर दी.

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डोनाल्ड ट्रम्प भी इसी तरह के अजीब बयान दे रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

क्या ये दखल है?
मस्क हों या ट्रम्प दोनों का यह चरम रवैया हर देश को बांट रहा है. एक हिस्सा उनके समर्थन में हैं तो एक मुखर विरोधी. पर सवाल यही है कि क्या उनकी ये बयानबाजी हर देश में दखल देने की शुरुआत है? अगर आने वाले दिनों में किसी देश ने उनके व्यवसाय के हितों के विपरीत कोई नीती लागू कि तो क्या वे सत्ता में बदलाव की कोशिशों को हवा देंगे या जहां चुनाव होने वाले हैं क्या वे वहां दखलदे कर नतीजों पर असर डालेंगे. सच जो भी हो, यह बहस तो शुरू वे कर ही चुके हैं.

तो क्या भारत में भी करेंगे ऐसा
साफ है मस्क की भारत में रुचि बहुत गहरी है. उनकी निगाहें यहां के इंटरनेट बाजार पर हैं. अगर उन्हें मोदी सरकार से वह समर्थन नहीं मिला जिसकी उन्हें जरूरत है, तो अगले चुनाव में वे भारत के चुनाव पर भी असर डालने की कोशिश करें, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा ट्रम्प सरकार भारत में किस पार्टी का शासन चाहेगी यह भी एक फैक्टर होगा.

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इसमें कोई संदेह नहीं जिस तरह से ट्रम्प और मस्क दुनिया के मामलों में अपने अनोखे बयान दे रहे हैं, यह मानना मुश्किल है कि वे भारत को छोड़ेंगे. एक तरफ रूस यूक्रेन और मिडिल ईस्ट में युद्ध के हालात से दुनिया काफी तेजी से बदल रही है. अमेरिका में सत्ता परिवर्तन इस बदलाव का रुख जरूर मोड़गा. भारत इन हालातों पर कैसा रुख अपनाता है काफी कुछ इस पर भी निर्भर करेगा.

Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

January 13, 2025, 14:36 IST

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