कौन थे दिल्ली के दूसरे CM जिन्होंने कर दी थी शराबबंदी,नेहरू के समझाने पर भी...

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Last Updated:January 10, 2025, 13:12 IST

Delhi Second CM Gurmukh Nihal Singh: दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री चौधरी ब्रह्म प्रकाश को 12 फरवरी 1955 को इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद सरदार गुरमुख निहाल सिंह को दिल्ली के मुख्यमंत्री बनाया गया. उन्होंने 13 फरवरी 1955 को पदभार संभाला. वह 31 अक्टूबर, 1956...और पढ़ें

कौन थे दिल्ली के दूसरे CM जिन्होंने कर दी थी शराबबंदी,नेहरू के समझाने पर भी...

सीएम गुरमुख निहाल सिंह का कार्यकाल बहुत छोटा था लेकिन दिल्ली के शुरुआती दिनों में बहुत अहम था.

हाइलाइट्स

चौधरी ब्रह्म प्रकाश की जगह गुरमुख निहाल सिंह ने मुख्यमंत्री का पद संभालावह 13 फरवरी 1955 से 31 अक्टूबर, 1956 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री पद रहे बाद में गुरमुख निहाल सिंह को राजस्थान का पहला राज्यपाल नियुक्त किया गया

Delhi Second CM Gurmukh Nihal Singh: भारत के संविधान अपनाने के बाद दिल्ली में पहले विधानसभा चुनाव 1952 में कराए गए थे. ये चुनाव देश के पहले  लोकसभा चुनाव के साथ ही आयोजित कराए गए थे. दिल्ली की पहली सरकार कांग्रेस पार्टी ने बनाई थी. उस समय दिल्ली विधानसभा में 48 सीटों के लिए चुनाव हुआ था और कांग्रेस ने 37 पर जीत हासिल की थी. चौधरी ब्रह्म प्रकाश दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री बने थे.

चौधरी ब्रह्म प्रकाश मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे. उन्होंने दिल्ली सरकार के लिए अधिक स्वायत्तता की मांग कर केंद्र सरकार के साथ टकराहट मोल ले ली थी. तत्कालीन गृह मंत्री गोविंद बल्लभ पंत और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चौधरी ब्रह्म प्रकाश के इस रवैये से खुश नहीं थे. इसलिए उनका कार्यकाल उतार-चढ़ाव से भरा रहा. आखिरकार चौधरी ब्रह्म प्रकाश को अपना पद छोड़ना पड़ा था. उन्होंने 17 मार्च 1952 से 12 फरवरी 1955 तक दिल्ली की बागडोर संभाली. 

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13 फरवरी, 1955 को सीएम बने निहाल सिंह
चौधरी ब्रह्म प्रकाश की जगह गुरमुख निहाल सिंह ने मुख्यमंत्री का पद संभाला. गुरमुख निहाल सिंह 13 फरवरी, 1955 से 31 अक्टूबर, 1956 तक पद पर रहे.  हालांकि उनका कार्यकाल बहुत छोटा था लेकिन दिल्ली के शुरुआती दिनों में बहुत अहम था. उन्होंने दिल्ली की राजनीति में अपनी छाप छोड़ी. गुरमुख निहाल सिंह दरियागंज विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे. वह 1952 में विधानसभा गठन होने के बाद उसके पहले अध्यक्ष बने थे. 

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शराबबंदी की तो नेहरू की भी नहीं सुनी
गुरमुख निहाल सिंह सिख समुदाय के दिल्ली के पहले और इकलौते मुख्यमंत्री हैं. वह शराबबंदी के कट्टर समर्थक थे. सात दशक पहले उन्होंने दिल्ली में शराब की दुकानें खोलने का विरोध किया था. लेकिन उनके कदम यहीं नहीं रुके. उन्होंने सीएम पद संभालने के बाद दिल्ली में शराबबंदी लागू कर दी. उनके इस फैसले से राजधानी में हंगामा मच गया. बात यहां तक पहुंची कि उस समय पीएम रहे जवाहरलाल नेहरू को दखल देना पड़ा. नेहरू ने इस बाबत गुरमुख निहाल सिंह को पत्र लिखा. पंडित जवाहर लाल नेहरू कि खतोकिताबत के बाद भी गुरमुख निहाल सिंह अपने फैसले से नहीं डिगे. उन्होंने दिल्ली में शराबबंदी से प्रतिबंध हटाने का फैसला वापस नहीं लिया.

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लंदन में पढ़े थे और कई जगह पढ़ाया
गुरमुख निहाल सिंह को उस समय गृहमंत्री रहे दिग्गज कांग्रेसी नेता गोविंद बल्लभ पंत का नजदीकी माना जाता था. जीबी पंत के समझाने पर ही निहाल सिंह साल 1952 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए राजी हुए थे. गुरमुख निहाल सिंह का जन्म 1895 को पंजाब प्रांत के रावलपिंडी में हुआ था. उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में बैचलर डिग्री हासिल किए और फसके बाद वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पढ़ाने लगे थे. गुरमुख निहाल सिंह ने देश के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में अपनी सेवा दी थीं. उन्होंने दिल्ली के श्री राम कॉलेज में भी पढ़ाया था.

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बाद में बने राजस्थान के पहले गवर्नर
केंद्र की कांग्रेस सरकार ने एक नवंबर 1956 को दिल्ली को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया और विधानसभा भंग कर दी गई.  इसकी वजह से गुरमुख निहाल सिंह की कुर्सी भी चली गई. साल 1956 के बाद दिल्ली के प्रशासन की जिम्मेदारी मेट्रोपॉलिटन काउंसिल को सौंप दी गई थी. इसके बाद 37 साल तक यहां विधानसभा चुनाव नहीं हुए. बाद में गुरमुख निहाल सिंह को राजस्थान का पहला राज्यपाल नियुक्त किया गया. गुरमुख निहाल सिंह ने रियासतों के पुनर्गठन के बाद 18 नवंबर, 1956 को राजस्थान के राज्यपाल का पदभार संभाला और वह 15 अप्रैल, 1962 तक इस पद पर आसीन रहे. विशेष प्रतिभा के धनी होने के बावजूद वो एक तरह से दिल्ली के गुमनाम सीएम बनकर रह गए. दिल्ली की सियासत में बहुत कम लोग गुरमुख निहाल सिंह को जानते हैं. 

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