Last Updated:January 10, 2025, 13:32 IST
What is Gujarat Jantri: जंत्री एक सरकारी दर है, जो संपत्ति की बाजार कीमत का मूल्यांकन करती है. यह दर विकास कार्यों के आधार पर तय होती है. बता दें कि जंत्री में वृद्धि से घर खरीदना महंगा हो सकता है, जिससे आम जनता को...और पढ़ें
गुजरात जंत्री रेट में वृद्धि
जूनागढ़: जंत्री एक सरकारी निर्धारित दर (government fixed rate) होती है, जो किसी भी संपत्ति या जमीन की बाजार कीमत का मूल्यांकन करती है. यह दर सरकार द्वारा तय की जाती है और स्थानीय बाजार की कीमतों के आधार पर निर्धारित की जाती है. जब भी कोई व्यक्ति प्लॉट या घर खरीदता है, तो जंत्री के आधार पर ही उस संपत्ति की कीमत तय की जाती है.
जंत्री कैसे तय होती है?
जूनागढ़ के डिप्टी कलेक्टर (स्टांप ड्यूटी) सिद्धार्थ गढ़वी के अनुसार, जंत्री की दर राज्य में होने वाले विकास कार्यों, जैसे कि सड़कें, नहरें, उद्योगों के विकास, आदि के आधार पर तय की जाती है. इन बदलावों के बाद जमीन और संपत्तियों की कीमत बढ़ती है, जिसे समय-समय पर सर्वे कर के संशोधित किया जाता है.
जंत्री की दर में बदलाव
गुजरात सरकार नियमित समयांतराल (Gujarat Government Regular Interval) पर जंत्री की दर तय करती है. इस बार जूनागढ़ में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे किया गया है और लोगों से सुझाव एवं आपत्तियां मांगी गई हैं. 56 प्रस्तुतियां ऑनलाइन प्राप्त हुई हैं, जबकि 22 प्रस्तुतियां ऑफलाइन मिली हैं. सभी प्रस्तुतियों का अध्ययन किया जाएगा और कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति इस पर रिपोर्ट पेश करेगी.
जंत्री की दर में वृद्धि का प्रभाव
बता दें कि जूनागढ़ सिटी क्रेडाई के चेयरमैन निलेश धुलेशिया ने इस बढ़ी हुई जंत्री दर पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि इससे लोगों को अपने घर खरीदने में कठिनाई होगी. जंत्री की दर बहुत ज्यादा रखी गई है, जो लोगों पर अतिरिक्त बोझ डालेगी. यह सिर्फ बिल्डरों का मुद्दा नहीं है, बल्कि आम जनता के लिए भी एक समस्या बनेगी.
जंत्री की बढ़ोतरी से मंदी की आशंका
निलेश धुलेशिया का मानना है कि जंत्री की दर में सालाना 8 से 10 प्रतिशत की वृद्धि एक सामान्य दर हो सकती है, जो लोगों के लिए सहनीय हो, लेकिन, इस वृद्धि से व्यापार में मंदी आ सकती है और आम जनता अपने घर का सपना पूरा नहीं कर सकेगी.
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जंत्री से जुड़े अन्य कर
बता दें कि जंत्री के अलावा, खरीदार को कैपिटल गेन टैक्स, दस्तावेज़ शुल्क जैसे अन्य कर भी चुकाने होते हैं. इन अतिरिक्त खर्चों से संपत्ति की कुल लागत और भी बढ़ जाती है, जिससे घर खरीदना और भी मुश्किल हो सकता है.