Last Updated:January 10, 2025, 12:24 IST
School student abuse: नासिक जिले के त्र्यंबकेश्वर में जिला परिषद स्कूल में एक शिक्षक ने एक छात्र की बेरहमी से पिटाई की. टीचर ने इसलिए बेरहमी से पीटा गया क्योंकि उसकी नोटबुक खो गई थी.
प्रतीकात्मक तस्वीर.
नासिक जिले के टाके हर्ष गांव से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई. जिला परिषद स्कूल में हुई इस अमानवीय घटना ने सभी को झकझोर दिया है. तीसरी कक्षा के एक मासूम छात्र, आयुष सदगीर, को केवल इसलिए बेरहमी से पीटा गया क्योंकि उसकी नोटबुक खो गई थी. शिक्षक ने क्रोध में आकर छड़ी से छात्र की पीठ पर कई वार किए, जिससे उसकी पीठ काली-नीली हो गई और गहरे घाव उभर आए.
माता-पिता ने देखे जख्मों के निशान
घटना के बाद आयुष घर पहुंचा, तो उसकी पीठ पर पिटाई के निशान देखकर माता-पिता हैरान रह गए. जब उन्होंने बच्चे से इसका कारण पूछा, तो शिक्षक द्वारा की गई मारपीट का खुलासा हुआ. इससे आहत माता-पिता ने स्कूल प्रशासन से संपर्क किया और शिक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.
शिक्षा विभाग की चेतावनी
शिकायत के बाद समूह शिक्षा अधिकारी ने मारपीट करने वाले शिक्षक को चेतावनी दी है. हालांकि, अब तक केवल चेतावनी देकर मामला शांत करने की कोशिश की गई है. यह देखना बाकी है कि शिक्षा विभाग इस गंभीर घटना पर क्या ठोस कदम उठाता है.
पुलिस में शिकायत का इंतजार
इस घटना में माता-पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है या नहीं, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है. हालांकि, सोशल मीडिया पर छात्र की पीठ पर पड़े घावों की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं. माता-पिता ने शिक्षक पर सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं से बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर गहरा असर पड़ता है.
क्या शिक्षा विभाग जागेगा?
त्र्यंबकेश्वर के इस मामले ने शिक्षा विभाग की लापरवाही और बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं. ऐसे मामलों में केवल चेतावनी पर्याप्त नहीं होती, बल्कि जिम्मेदार शिक्षक पर सख्त कार्रवाई होना जरूरी है ताकि भविष्य में बच्चों के साथ ऐसी घटनाएं न हों.
मासूमों की सुरक्षा बनी प्राथमिकता
यह घटना समाज और शिक्षा जगत को यह सोचने पर मजबूर करती है कि बच्चों की सुरक्षा और सम्मान को कैसे सुनिश्चित किया जाए. मारपीट जैसी घटनाएं न केवल बच्चों के अधिकारों का हनन करती हैं, बल्कि उनके मनोबल को भी तोड़ती हैं. यह समय है कि शिक्षा विभाग कठोर कदम उठाए और शिक्षकों को बच्चों के प्रति संवेदनशील बनने का संदेश दे.