Last Updated:January 10, 2025, 11:19 IST
Sharad Pawar, Maharashtra Politics and Ajit Pawar: विधानसभा चुनाव के बाद भी महाराष्ट्र में राजनीतिक सरगर्मियां शांत नहीं हुई हैं. वयोवृद्ध नेता शरद पवार ने एक बार फिर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने भतीजे अजित पवार के साथ सुलह पर भी अपनी राय जाहिर की...और पढ़ें
विधानसभा चुनाव के बाद शरद पवार ने पहली बार खुलकर तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी है.
Sharad Pawar and Ajit Pawar: बीते विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी की बुरी हार के बाद वयोवृद्ध नेता शरद पवार ने पहली बार खुलकर अपनी राय जाहिर की है. एनसीपी शरद गुट की दो दिवसीय बैठक में उन्होंने विधानसभा चुनाव में हार के कारणों और भतीजे अजित पवार के साथ सुलह की संभावना जैसे तमाम सवालों पर अपनी राय जाहिर की है. दरअसल, पिछले कुछ दिनों से चर्चा चल रही है कि शरद पवार गुट में फूट पड़ने वाली है. विधानसभा चुनाव में हार के बाद शरद पवार की पार्टी एनसीपी के एक बड़े धड़े के टूटकर अजित पवार के गुट में शामिल होने की आशंका है. इस संबंध में अजित पवार गुट के नेताओं की ओर से कुछ बयान दिए गए थे. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान ऐसी भी खबरें आई थीं कि अजित पवार गुट के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने शरद पवार गुट के सांसदों को ऑफर दिया था.
इन सबके बाद अब शरद पवार ने पार्टी विभाजन पर टिप्पणी की है. पवार ने माना है कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद वह थोड़े परेशान थे. मुंबई में शरद पवार गुट की ओर से दो दिवसीय बैठक का आयोजन किया गया. यह बैठक विधानसभा में हार और आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी. इस बैठक में पवार ने पार्टी विभाजन की चर्चा पर टिप्पणी की. साथ ही विधानसभा में महायुति की जीत कैसे हुई? उन्होंने इस बारे में बयान भी दिया. उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी सराहना की.
आखिर शरद पवार ने क्या कहा?
शरद पवार ने कहा कि विधानसभा परिणाम के बाद वह थोड़ा असहज हो गए थे, क्योंकि साथियों-कार्यकर्ताओं की उम्मीद के उलट रिजल्ट आया था. मेरे मन में सवाल था कि विधानसभा चुनाव के बाद कार्यकर्ताओं के मन में क्या चल रहा होगा. लेकिन छात्रों, महिलाओं और युवाओं की बैठकें हुईं और उसके बाद मेरा विश्वास बढ़ गया. शरद पवार गुट और अजित पवार गुट के साथ आने की चर्चा पर पवार ने विराम लगाते हुए कहा कि चुनाव में असफलता के बावजूद वे थके नहीं हैं.
शरद पवार ने आगे कहा कि मैं सोच रहा था कि पिछले 60 वर्षों में नेहरू-गांधी विचारों की क्या स्थिति थी? एक साल ऐसा भी था जब राज्य में कांग्रेस पार्टी का पूरी तरह से सफाया हो गया था. सतारा, सांगली, कोल्हापुर में बुरी हार हुई थी. धुले, नासिक, जलगांव में 100 फीसदी हार हुई. 1957 की स्थिति अलग थी. लेकिन फिर 1972 में हालात बदले और कांग्रेस को 288 में से 230 सीटें मिल गईं. 1980 में चुनाव हुए और मेरे नेतृत्व में 58 से 59 लोग चुने गए. मैं किसी कारण वश इंग्लैंड चला गया, जब वापस आया तो केवल 6 सीटें रह गईं. मैंने फिर पार्टी का पुनर्गठन किया और उसके बाद 72 सीटों पर जीत मिलीं. पवार ने मौजूद कार्यकर्ताओं में यह विश्वास भी जगाया कि हालात बदल रहे हैं इसलिए पीछे हटने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि आज सुबह से मैं देख रहा हूं कि हर किसी की भूमिका संकट से उबारने की है. लोकसभा चुनाव में आठ लोग चुने गए लेकिन उसके बाद क्या हुआ? लोकसभा चुनाव के बाद हम संतुष्ट थे. लेकिन जो हार गए उन्होंने इस पर गंभीरता से गौर किया. उन्होंने कुछ योजनाएं बनाईं. किसानों के बिजली माफ करने का फैसला किया. 2 करोड़ 37 लाख बहनों को सरकारी खजाने से पैसा बांटे गए. लोकसभा चुनाव में पैसा बांटा गया. पवार ने यह भी कहा कि उन्होंने सरकारी खजाने से पैसा विधानसभा में बांटा और वे जीत गए.